मुंबई साइबर ठगी: विले पार्ले के 82 वर्षीय रिटायर्ड बुजुर्ग से CBI और दिल्ली पुलिस बनकर ठगों ने ठगे 1.08 करोड़, साइबर पुलिस ने शुरू की जांच। 

मुंबई, देश की आर्थिक राजधानी, जहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता है, वहां साइबर अपराधियों का जाल भी फैलता जा रहा है। विले पार्ले पश्चिम के रहने वाले 82 वर्षीय रिटायर्ड व्यक्ति बिधिन

Oct 20, 2025 - 15:15
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मुंबई साइबर ठगी: विले पार्ले के 82 वर्षीय रिटायर्ड बुजुर्ग से CBI और दिल्ली पुलिस बनकर ठगों ने ठगे 1.08 करोड़, साइबर पुलिस ने शुरू की जांच। 

मुंबई, देश की आर्थिक राजधानी, जहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता है, वहां साइबर अपराधियों का जाल भी फैलता जा रहा है। विले पार्ले पश्चिम के रहने वाले 82 वर्षीय रिटायर्ड व्यक्ति बिधिन मनहरलाल बक्शी के साथ ऐसा ही एक दर्दनाक मामला सामने आया है। ठगों ने खुद को दिल्ली टेलीकॉम विभाग, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारी बताकर बुजुर्ग को डराया-धमकाया और उनके तथा उनकी पत्नी के बैंक खातों से कुल 1.08 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। यह घटना 30 सितंबर 2025 को शुरू हुई और कई दिनों तक चली। बक्शी ने जैसे ही ठगी का पता चला, उन्होंने 19 अक्टूबर को पश्चिम क्षेत्र साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। साइबर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 316 (धोखाधड़ी), 318 (आपराधिक धमकी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT एक्ट) की धाराओं 66C (पहचान चोरी), 66D (धोखाधड़ी के लिए कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस अब मोबाइल नंबरों, बैंक खातों और व्हाट्सएप चैट्स की जांच कर रही है, ताकि अपराधियों का सुराग लगाया जा सके।

यह ठगी का तरीका बेहद चालाकी भरा था। 30 सितंबर को बक्शी के मोबाइल पर एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली टेलीकॉम विभाग का अधिकारी पवन कुमार बताया। उसने कहा कि बक्शी के आधार कार्ड का दुरुपयोग करके कनारा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है, जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय अवैध लेन-देन के लिए हो रहा है। ठग ने बुजुर्ग को डराया कि इससे जुड़ा मामला CBI को सौंप दिया गया है और अगर उन्होंने सहयोग न किया, तो गिरफ्तारी हो जाएगी। बक्शी घबरा गए। वे रिटायर्ड जीवन बिता रहे थे, जहां शांति और परिवार ही सब कुछ था। ठग ने कहा कि जांच के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक डिटेल्स दें। बक्शी ने डर के मारे सब कुछ शेयर कर दिया।

अगले कुछ दिनों में ठगी का जाल और फैला। 2 अक्टूबर को एक और कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को दिल्ली पुलिस की सब-इंस्पेक्टर खुशी शर्मा बताया। उसने कहा कि कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बक्शी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो चुका है। फिर 4 अक्टूबर को CBI अधिकारी हेमराज कोहली का फोन आया। कोहली ने फर्जी FIR, पुलिस स्टेशन के लोगो और CBI के हेडर वाले लेटर भेजे। उसने दावा किया कि बक्शी के खाते से मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है और परिवार के सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। ठगों ने वीडियो कॉल पर फर्जी दस्तावेज दिखाए, जैसे कोर्ट ऑर्डर और अरेस्ट वारंट। उन्होंने सख्त हिदायत दी कि इस मामले को किसी को न बताएं, वरना सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच जाएगा। बक्शी को "डिजिटल अरेस्ट" का डर दिखाया गया। यानी घर में बंद रहो, बाहर न निकलो और सिर्फ व्हाट्सएप पर बात करो। बुजुर्ग ने पत्नी के साथ मिलकर कई बार में 1.08 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने कहा कि यह पैसे "सेफ अकाउंट" में रखे जाएंगे, ताकि क्लियरेंस सर्टिफिकेट जारी हो सके।

बक्शी का परिवार साधारण है। वे विले पार्ले के एक छोटे फ्लैट में रहते हैं। रिटायरमेंट के बाद बचत ही उनका सहारा थी। ठगी के बाद जब पैसे खत्म होते गए, तो बक्शी को शक हुआ। 10 अक्टूबर को उन्होंने दोस्तों से बात की, तो पता चला कि यह सामान्य साइबर फ्रॉड है। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बक्शी ने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल किया, लेकिन विस्तृत शिकायत के लिए साइबर पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस ने चैट्स, ट्रांजेक्शन डिटेल्स और स्क्रीनशॉट्स लिए। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ठगों ने फर्जी ID और वॉयस चेंजर का इस्तेमाल किया था। जांच में पता चला कि फोन नंबर विदेशी सर्वर से रूटेड थे, शायद जामताड़ा (झारखंड) या विदेश से। पुलिस ने बैंक मैनेजमेंट सिस्टम से ट्रांजेक्शन ट्रैक किए। अभी तक चार संदिग्ध खाते फ्रीज किए गए हैं।

यह मामला मुंबई में बढ़ते साइबर अपराधों की कड़ी है। 2025 में मुंबई साइबर पुलिस को 25,000 से ज्यादा शिकायतें मिल चुकी हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत वृद्धजनों से जुड़ी हैं। ठग अक्सर रिटायर्ड लोगों को निशाना बनाते हैं, क्योंकि वे तकनीक से कम परिचित होते हैं। इसी तरह का एक और केस उसी दिन सामने आया, जहां अंधेरी की 68 वर्षीय धनलक्ष्मी सत्यनारायण राव नायडू से 3.71 करोड़ ठगे गए। ठगों ने कोलाबा पुलिस, CBI और टेलीकॉम अधिकारियों का भेष धारण किया। कुल मिलाकर दो मामलों में 4.79 करोड़ का नुकसान हुआ। साइबर पुलिस ने दोनों FIR एक साथ दर्ज कीं। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साइबर) ने कहा कि ठगों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला। जांच में व्हाट्सएप ग्रुप्स और डार्क वेब लिंक्स का पता लग रहा है।

साइबर ठगी के ये तरीके नित नए हो रहे हैं। "डिजिटल अरेस्ट" का चलन 2024 से बढ़ा है, जहां ठग वीडियो कॉल पर केस दिखाते हैं। वे कहते हैं कि आरोपी घर से बाहर न निकले, वरना गिरफ्तार हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ठग स्क्रिप्ट फॉलो करते हैं – पहले डराओ, फिर विश्वास दिलाओ, अंत में पैसे ऐंठो। मुंबई पुलिस ने जागरूकता अभियान चलाया है। वे कहते हैं कि कोई भी सरकारी अधिकारी फोन पर पैसे नहीं मांगता। अगर शक हो, तो नजदीकी थाने में जाकर जांच करें। हेल्पलाइन 1930 या साइबर सेल ऐप का इस्तेमाल करें। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी चेतावनी जारी की है कि संदिग्ध कॉल पर तुरंत रिपोर्ट करें।

बक्शी का केस बुजुर्गों के लिए सबक है। वे अकेले रहते हैं, बच्चे बाहर नौकरी करते हैं। ठगी के बाद परिवार ने उनका साथ दिया। पड़ोसियों ने भी मदद की। साइबर पुलिस ने बक्शी को काउंसलिंग दी, ताकि मानसिक तनाव कम हो। जांच अधिकारी ने कहा कि 70 प्रतिशत मामलों में पैसे वापस नहीं आते, लेकिन अपराधियों को पकड़ा जा सकता है। हाल ही में दिल्ली पुलिस ने इसी तरह के गैंग का भंडाफोड़ किया, जहां 10 करोड़ की ठगी हुई थी। मुंबई पुलिस इंटरपोल से भी संपर्क कर रही है।

यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर करती है। तकनीक ने जीवन आसान बनाया, लेकिन अपराध भी बढ़ा दिया। वृद्धजनों को डिजिटल साक्षरता सिखानी होगी। सरकार ने "साइबर सशक्तिकरण" कार्यक्रम शुरू किया है, जहां सीनियर सिटीजन सेंटर्स में ट्रेनिंग दी जाती है। मुंबई में 50 ऐसे सेंटर हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अनजान नंबरों पर न उठाएं, OTP शेयर न करें और ट्रांजेक्शन से पहले दोबारा जांचें। बक्शी ने कहा कि अब वे सतर्क रहेंगे। उनकी कहानी मीडिया में आने से कई लोग जागरूक हुए।

साइबर अपराध मुंबई की बड़ी समस्या बन चुका है। 2025 के पहले नौ महीनों में 15,000 केस दर्ज हुए। ज्यादातर व्हाट्सएप और SMS से शुरू होते हैं। ठग अंग्रेजी-हिंदी मिश्रित भाषा इस्तेमाल करते हैं। पुलिस ने सॉफ्टवेयर अपग्रेड किया है, जो कॉल ट्रैकिंग करता है। लेकिन चुनौती है कि ठग विदेशों से ऑपरेट करते हैं। फिलहाल बक्शी के मामले में सुराग मिले हैं – एक खाता दिल्ली से जुड़ा है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द गिरफ्तारी होगी।

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