जशपुर: बेटी के सपने को साकार करने को 6 महीने तक 10-10 के सिक्के जोड़े, किसान परिवार ने सिक्कों के बोरे भरकर खरीदी स्कूटी। 

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक किसान परिवार की मेहनत और लगन की अनोखी मिसाल सामने आई है। जिला मुख्यालय के देवनारायण होंडा शोरूम में रविवार को बजरंग राम भगत नामक

Oct 23, 2025 - 13:53
 0  50
जशपुर: बेटी के सपने को साकार करने को 6 महीने तक 10-10 के सिक्के जोड़े, किसान परिवार ने सिक्कों के बोरे भरकर खरीदी स्कूटी। 
जशपुर: बेटी के सपने को साकार करने को 6 महीने तक 10-10 के सिक्के जोड़े, किसान परिवार ने सिक्कों के बोरे भरकर खरीदी स्कूटी। 

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक किसान परिवार की मेहनत और लगन की अनोखी मिसाल सामने आई है। जिला मुख्यालय के देवनारायण होंडा शोरूम में रविवार को बजरंग राम भगत नामक किसान अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचे। उनके पास 6 महीने की कड़ी खपत से जुटाई गई करीब 40 हजार रुपये की राशि थी, जो ज्यादातर 10 और 20 रुपये के सिक्कों के रूप में बोरे में भरी हुई थी। यह राशि उन्होंने अपनी बेटी के लिए एक नई स्कूटी खरीदने के उद्देश्य से बचाई थी। शोरूम के कर्मचारियों ने सिक्कों को गिनने में घंटों लगा दिए, लेकिन इस दृश्य ने सभी को भावुक कर दिया। पूरा वाकया शोरूम के सीसीटीवी और मोबाइल वीडियो में कैद हो गया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह घटना न केवल किसान परिवार की ईमानदारी और समर्पण को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण भारत की सादगी और सपनों को पूरा करने की जिद को भी उजागर करती है। दीपावली के पावन पर्व पर यह खरीदारी हुई, जिसने त्योहार की खुशी को और बढ़ा दिया।

घटना रविवार दोपहर करीब 2 बजे की है। बजरंग राम भगत जशपुर के तपकारा विकासखंड के एक छोटे से गांव बसधा के निवासी हैं। वे एक साधारण किसान हैं, जो धान, मक्का और सब्जियों की खेती करते हैं। उनकी बेटी राधा, जो 18 वर्ष की है, हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास कर कॉलेज में दाखिला ले चुकी है। गांव से कॉलेज दूर होने के कारण राधा को रोजाना स्कूल बस पर जाना पड़ता था, जो थकाऊ और असुरक्षित लगता था। बेटी ने एक दिन पिता से कहा कि अगर एक स्कूटी हो जाए, तो पढ़ाई आसान हो जाएगी। यह बात बजरंग के दिल में उतर गई। उन्होंने फैसला किया कि बेटी का सपना पूरा करना है, चाहे कितनी भी मेहनत लगे। पिछले 6 महीनों से वे हर छोटे-मोटे खर्च में कटौती करने लगे। दूध बेचने, सब्जी की अतिरिक्त उपज बेचने और कभी-कभी मजदूरी करने से मिलने वाले पैसे को वे 10-10 या 20-20 के सिक्कों में बदलवा लेते। घर की महिलाएं भी इसमें जुड़ गईं। पत्नी सुंदरी बाई ने बताया कि हम सबने मिलकर रोजाना थोड़ा-थोड़ा जोड़ा। कभी बाजार से लौटते वक्त बचे पैसे, कभी बच्चों की जेबखर्च से बचत। कुल मिलाकर एक बोरा भर गया।

परिवार शोरूम पहुंचा तो कर्मचारियों के चेहरे पर हैरानी छा गई। बजरंग ने मुस्कुराते हुए कहा, भैया, हम स्कूटी खरीदने आए हैं। बेटी के लिए। फिर उन्होंने बोरा खोला और सिक्के बाहर निकालने लगे। शोरूम मैनेजर रवि शर्मा ने बताया कि इतने सिक्के देखकर हम स्तब्ध रह गए। ज्यादातर 10 रुपये के थे, कुछ 20 के। गिनती में करीब 3 घंटे लग गए। हमने मशीन का इस्तेमाल किया, लेकिन बोरा खाली करने और साफ करने में समय लगा। इस दौरान परिवार इंतजार करता रहा। बेटी राधा की आंखों में चमक थी। वह बार-बार पिता का हाथ थाम लेती। कर्मचारियों ने सिक्कों की गिनती पूरी की तो ठीक 41,500 रुपये बने। इससे एक होंडा एक्टिवा स्कूटी बुक हो गई। शोरूम ने इस मौके पर परिवार को एक हेलमेट फ्री में दिया और दीपावली की शुभकामनाएं दीं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि स्टाफ और परिवार के बीच हंसी-मजाक का माहौल था। एक कर्मचारी ने सिक्के गिनते हुए कहा, अंकल, यह तो खजाना है। आपकी मेहनत का।

यह वीडियो सबसे पहले शोरूम के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया गया। कैप्शन था, मेहनत का फल मीठा होता है। जशपुर के इस किसान ने 6 महीने में जोड़ा, वह देखिए। वीडियो में बोरा खोलना, सिक्के गिराना और गिनती का सीन है। अब तक इसे 5 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। सोशल मीडिया पर लोग परिवार की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, यह है असली अमीरी। पैसे नहीं, मेहनत की कमाई। दूसरा बोला, आज के दौर में ईमानदारी की मिसाल। कई ने शेयर करते हुए कहा कि अपने बच्चों के लिए इतना त्याग, सलाम। कुछ ने सवाल भी उठाए कि बैंक में जमा क्यों नहीं किया, लेकिन ज्यादातर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। वायरल होने से परिवार को स्थानीय प्रसिद्धि मिल गई। जशपुर के कलेक्टर ने भी ट्वीट किया, ऐसी मेहनत को सलाम। सरकार किसानों के लिए और योजनाएं लाएगी।

जशपुर छत्तीसगढ़ का एक आदिवासी बहुल जिला है, जहां ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। यहां की जमीन उपजाऊ है, लेकिन सुविधाओं की कमी है। बजरंग जैसे किसान साल भर बारिश पर आश्रित रहते हैं। इस साल मानसून अच्छा रहा, जिससे फसल बेहतर हुई। लेकिन महंगाई ने सब्जी और अनाज के दाम बढ़ा दिए। परिवार ने बताया कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं, जैसे पीएम किसान सम्मान निधि। इससे मिलने वाले पैसे भी बचत में लगे। बेटी राधा अब स्कूटी पर कॉलेज जाएगी। वह बोली, पापा ने मेरे लिए इतना किया, अब मैं डॉक्टर बनूंगी और उनका ख्याल रखूंगी। परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ा बेटा गांव में ही खेती करता है। सुंदरी बाई ने कहा कि हमारा जीवन सादा है, लेकिन खुशहाल। दीपावली पर यह तोहफा बेटी के लिए सबसे बड़ा है।

यह घटना ग्रामीण भारत की वास्तविकता को दिखाती है। जहां शहरों में क्रेडिट कार्ड और लोन से खरीदारी होती है, वहीं गांवों में मेहनत की कमाई ही सब कुछ है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसी कहानियां युवाओं को प्रेरित करती हैं। जशपुर में किसान संगठनों ने इसे उदाहरण बनाया। उन्होंने कहा कि सरकार को छोटे किसानों के लिए बचत योजनाएं बढ़ानी चाहिए। शोरूम ने भी इस मौके पर एक छोटा समारोह आयोजित किया। कर्मचारियों ने परिवार के साथ दीपावली मनाई। मैनेजर रवि ने बताया कि सिक्के बैंक में जमा कर दिए गए। कोई समस्या नहीं हुई। वीडियो ने शोरूम की सेल भी बढ़ा दी। कई ग्राहक आकर बोले, हम भी सिक्कों से खरीदेंगे।

स्थानीय मीडिया ने भी कवरेज किया। दैनिक भास्कर और पत्रिका में खबर छपी। रिपोर्टर ने गांव जाकर परिवार से बात की। बजरंग ने कहा, पैसे कमाने आसान नहीं, लेकिन बेटी की मुस्कान के लिए सब सहा। गांव वाले भी गर्व महसूस कर रहे हैं। पंचायत ने परिवार को सम्मानित करने का प्लान बनाया। दीपावली पर स्कूटी सजाकर घर लाए। राधा ने पहली सवारी ली। पूरे गांव में पटाखों की जगह तालियां बजीं। यह कहानी सिखाती है कि सपने छोटे हों या बड़े, मेहनत से पूरे होते हैं। जशपुर जैसे जिलों में शिक्षा के लिए परिवहन की कमी है। सरकार ने हाल ही में स्कूटी योजना शुरू की है, लेकिन जागरूकता कम है। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे परिवारों को प्रोत्साहन देंगे।

Also Read- Uttarakhand : खनन तत्परता सूचकांक योजना में उत्तराखंड को मिला दूसरा स्थान, मिलेगी 100 करोड़ की प्रोत्साहन राशि।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।