भगवान राम और माता सीता का विवाह- हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का विशेष महत्व। 

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस बार कुछ अलग ही नजारा देखने को राम विवाह .....

Nov 25, 2024 - 12:27
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भगवान राम और माता सीता का विवाह- हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का विशेष महत्व। 

देव बक्श वर्मा
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस बार कुछ अलग ही नजारा देखने को राम विवाह में मिलेगा क्योंकि एक लंबे समय बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के जन्म स्थान का मंदिर बनकर तैयार हुआ है। और प्राण प्रतिष्ठा के बाद लाखों लाख लोग अयोध्या पहुंचकर भगवान श्री राम का दर्शन पूजन कर रहे हैं। भगवान राम की नगरी अयोध्या का चौमुखी विकास हो रहा है और अयोध्या अब वायु मार्ग सड़क मार्ग रेल मार्ग से पूरे भारत से जुड़ गया है। 

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल 5 दिसंबर 2024 को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए हर साल विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर विधि विधान से  प्रभु श्री राम और जनक दुलारी माता सीता की पूजा की जाती है। विवाह पंचमी के दिन माता सीता और भगवान राम के विवाह प्रसंग को सुनने का भी विधान है। इस दिन राम-सीता के विवाह प्रसंग को सुनने या पढ़ने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।  भगवान राम विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। वहीं सीता राजा जनक की पुत्री थीं। कहा जाता है कि सीता जी का जन्म धरती से हुआ था। राजा जनक हल चला रहे थे उस समय उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी, जिसका नाम उन्होंने सीता रखा था। यही वजह है कि सीता जी को जनक नंदिनी के नाम से भी जाना जाता है।

कहा जाता है कि एक बार माता सीता ने शिव जी का धनुष उठा लिया था, जिसे परशुराम के अलावा और कोई नहीं उठा सकता था। ऐसे में राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी शिव जी का धनुष उठा पाएगा सीता का विवाह उसी से होगा। राजा जनक ने माता सीता के विवाह के लिए सीता स्वयंवर का आयोजन किया और सीता जी के विवाह के लिए या घोषणा करवा दिया की जो धनुष को उठेगा उसी के साथ जनक नंदिनी का विवाह होगा फिर सीता के स्वयंवर के लिए घोषणाएं कर दी गईं। सीता स्वयंवर में देश-विदेश से तमाम बड़े-बड़े राजा महाराजा आई आई ।भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ, गए और देवी सीता के स्वयंवर में प्रतिभाग किया। वहां पर कई और राजकुमार भी आए हुए थे पर कोई भी शिव जी के धनुष को नहीं उठा सका।

वहां पर आए तमाम वीरों ने अपनी ताकत लगाई पर धनुष को जगह से हिला भी नहीं पाए। उसे समय राजा जनक को बड़ी चिंता हुई कि हमने जो घोषणा किया है यदि धनुष को कोई उठा नहीं पाएगा तो सीता कुमारी रह जाएगी ऐसे में उन्होंने आए हुए राजा को बहुत कुछ सुना दिया उसे बात को सुनकर लक्ष्मण जी तिलमिला गए और उन्होंने राजा जनक को भी कुछ कह दिया जिस पर भगवान राम और गुरु जी ने शांत कराया, जिसके बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम ने धनुष को प्रणाम करके अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का याद करके और धनुष को उठा लिया और धनुष को तोड़ भी दिया उसे समय चारों तरफ जय जय कर होने लगा दूर दराज से आए राजा महाराजा बहुत ही चिंतित हुए कि आखिर यह है बालक कौन है जो धनुष को उठाकर तोड़ दिया ऐसा कर दिखाया।

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जैसे ही उन्होंने शिव का धनुष उठाया उसके दो टुकड़े हो गए और वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। इसके बाद विधि के अनुसार मां सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के साथ से हुआ। जिस दिन माता सीता और प्रभु राम का विवाह हुआ था, उस दिन मार्गशीर्ष माह की पंचमी तिथि थी, इसलिए हर साल इस दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है। भगवान राम और सीता का विवाह से पूरी दुनिया वाकिफ है हिंदू धर्म में सीता का विवाह बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है अयोध्या में विभूति मंदिर में भगवान राम का विवाह धूमधाम के साथ किया जाता है इस वर्ष जनकपुर से अयोध्या जाकर भगवान राम का तिलकोत्सव भी हुआ और विवाह भी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा बारात निकलेगी जिसमें बड़ी संख्या में राम भक्त शामिल होकर भगवान राम के जन्मोत्सव को मनाएंगे।

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