MP News: एसडीओ के संरक्षण में निगम की चोपना रेंज में रेंजर और डिप्टी रेंजर कर रहे है खुला भ्रष्टाचार, पीओआर करने के बाद आरोपी सहित बैलगाड़ी को छोड़ा।
मामले संज्ञान में डालने के बाद भी बचा रहे अधिनस्थों को एसडीओ चोपना रेंज में सागौन से भरी बैलगाड़ी पकड़ने के बाद सांठगांठ कर, पीओआर करने के बाद आरोपी सहित बैलगाड़ी को छोड़ा....

रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल में मध्यप्रदेश वन राज्य निगम के जंगलों में भ्रष्टाचार चरम पर है एसडीओ के संरक्षण में रेंजर और डिप्टी रेंजर के हौसले बुलंद है। यही वजह है कि आये दिन जंगलों के सफाया तेजी से हो रहा है जंगल के रक्षक ही भक्षक बने हुए है और निगम के जंगलों को बेचने में लगे हुए है पर जिम्मेदार एसडीओ जगंलों को बचाने और मामलों में कार्यवाही करने की बजाए अधिनस्थों को संरक्षण देने में लगे हुए है ताजा मामला रामपुर भतोड़ीं परियोजना मण्डल बैतूल की चोपना रेंज से सामने आया है जहाँ 2 मई को चोपना परिक्षेत्र अधिकारी ने एक बैलगाड़ी पकड़ी थी जिसमे सागौन की बल्लियाँ भरी हुई थी लेकिन गहरी सांठगांठ का खेल चलता रहा।
वहीं बैलगाड़ी का पीओआर भी किया गया पर एसडीओ मिलीभगत के चलते लंबे लेनदेन के बाद आखिरकार बैलगाड़ी सहित आरोपी को बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया गया जबकि यह मामला हमारे द्वारा एसडीओ के संज्ञान में डाला गया था पर मामले में कार्यवाही करने की बजाए हमारा कॉल तक एसडीओ द्वारा रिसीव नही किया गया विश्वस्त सूत्रों की माने तो बैलगाड़ी आम ढाना के नाके में खड़ी रही पर न तो कोई आरोपी बनाया गया और न ही लकड़ी और बैलगाड़ी को जप्त करने की कार्यवाही की गई बल्कि रेंजर और डिप्टी रेंजर ने मोटी रकम लेकर बैलगाड़ी और लकड़ियों के साथ आरोपी को भी बिना कोई कार्यवाही के ही छोड़ दिया।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या जिनको जंगलों के रक्षक बनाया गया है वही भक्षक बनकर निगम के जंगलों के सौदा करते रहेंगे तो निगम के जंगल कैसे बचेंगे और शासन जो लाखों करोड़ों रुपये जंगल बचाने के नाम पर खर्च किये जा रहे है क्या उसका लाभ शासन को मिल पायेगा । वहीं एसडीओ की पोस्टिंग निगम के जंगलों को बचाने के लिए बैतूल डिविजन में कई गई है पर यहाँ तो एसडीओ जंगलो को बचाने की जगह दोषियों को संरक्षण दे रहे है और उनके साथ सांठगांठ कर जंगलो का सौदा करने में लगे हुए है।
यहाँ हम बता दें कि इस पूरे मामले के साथ साथ वन मंत्री अब तक प्रकाशित खबरों में संज्ञान ले ले तो निगम के एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार से पर्दा उठ सकता है और शासन को हो रहे लाखों करोड़ो के राजस्व को बचाया जा सकेगा और आने वाले समय मे निगम के जंगलों को बचाया जा सकता है खैर अब देखना यह होगा कि कब वनमंत्री इस मामले में संज्ञान लेकर जांच करवाते है या निगम में बैठे ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत से जंगलों का यूँ ही सफाया जारी रहेगा और आने वाले समय मे निगम को बैतूल डिवीज़न बंद ही करना पड़ेगा ।
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