वाराणसी न्यूज़: आठ एमएलए, तीन एमएलसी, तीन मंत्री, मेयर सब भाजपा के फिर भी घटा अंतर प्रधानमंत्री के जीत का अंतर।

Jun 5, 2024 - 17:39
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वाराणसी न्यूज़: आठ एमएलए, तीन एमएलसी, तीन मंत्री, मेयर सब भाजपा के फिर भी घटा अंतर प्रधानमंत्री के जीत का अंतर।

कैंट विधायक ने रामनगर के पीड़ितों से कहा था आपके दस हजार वोट न देने से हमारा कुछ नही बिगड़ेगा

वीरेंद्र प्रताप सिंह गौतम\वाराणसी। जिले में भारतीय जनता पार्टी के आठ विधायक, तीन एमएलसी, प्रदेश सरकार के तीन मंत्री हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष और मेयर भी भाजपा के हैं। इसके बावजूद इस बार के लोकसभा के चुनाव में वाराणसी में मतदान का प्रतिशत घट गया। इसमे कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव का रामनगर के पीड़ित लोगों के लिये यह बयान की आपके दस हजार वोट से हमे कोई फर्क नही पड़ेगा ने आग में घी का काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजय राय के बीच जीत का अंतर काफी कम हो गया।

जबकि इससे पहले वर्ष 2014 और 2019 के आम चुनाव में ऐसा नहीं था। वर्ष 2014 के आम चुनाव में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में 58.35 प्रतिशत मतदान हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5,81,022 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों से हराया था। वर्ष 2019 के आम चुनाव में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में 57.13 प्रतिशत मतदान हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6,74,664 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा की शालिनी यादव को 4,79,505 वोट से चुनाव हराया था। इस बार के आम चुनाव में मतदान घटकर 56.35 फीसदी रहा। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,12,970 वोट मिले। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजय राय को 1,52,513 वोट से हराया।

इस बार के आम चुनाव में 2019 की तुलना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राप्त मतों में 9.38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जबकि अजय राय को पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 26.36 प्रतिशत मत ज्यादा मिले। 

मतदान प्रतिशत और जीत का अंतर घटने पर पूर्वांचल के सियासी जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार इस पर जल्द ही मंथन करेंगे। मंथन में सामने आए निष्कर्ष से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराया जाएगा। शीर्ष नेतृत्व के निर्देश के आधार पर जल्द ही भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर काशी में बदलाव देखने को मिलेगा।

चार राउंड तक आगे रहे अजय राय फिर आखिरी तक रही मोदी की बढ़त

भाजपा के नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वाराणसी सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के अजय राय को 152513 वोटों से हरा दिया। नरेंद्र मोदी को 612970 वोट मिले। हालांकि 2014 और 2019 की अपेक्षा उनकी जीत का रिकॉर्ड घट गया। 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री को 581022 वोट मिले थे और उन्होंने 371784 मतों से जीत हासिल की थी। इसी तरह 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने 479505 वोटों से जीत दर्ज की थी।

मंगलवार को जब मतगणना शुरू हुई तो पहले चार राउंड तक कांग्रेस के अजय राय आगे रहे और पांचवें राउंड से प्रधानमंत्री को बढ़त मिली। इसके बाद वह बढ़त बनाते चले गए। पहले राउंड में कांग्रेस के अजय राय को 11480 और भाजपा के नरेंद्र मोदी को 5257 वोट मिले। 6223 वोट से अजय राय आगे रहे। दूसरे राउंड में अजय राय को 14503 वोट मिले तो नरेंद्र मोदी को 9505 वोट मिले। अजय राय 4998 से आगे रहे।

वहीं तीसरे राउंड में अजय राय 18629 और नरेंद्र मोदी को 14540 वोट मिले। इस राउंड में अजय राय 4089 वोटों से आगे रहे। इसके बाद चौथे राउंड में अजय राय को 21552 वोट मिले तो नरेंद्र मोदी को 19924 वोट मिले, इस राउंड में भी अजय राय 1628 से आगे रहे। पांचवें राउंड में नरेद्र मोदी को 28719 वोट मिले और अजय राय को 28283 वोट मिले। इस राउंड में नरेंद्र मोदी ने 436 वोटों की बढ़त बनाई जो अंत तक बनी रही।

तो क्या प्रलोभन से वशीभूत होकर किये गए थे एग्जिट पोल तो क्या प्रयोनित था एग्जिट पोल

कुछ बाते जो चुनाव में एक आम आदमी को भी साफ दिख रहा था। जैसे विंध्याचल मंडल में स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि मिर्जापुर में एनडीए और इंडिया गठबंधन के मध्य संघर्ष है। जबकि राबर्ट्सगंज से रिंकी कोल को टिकट मिलते ही यह तय हो गया था की यह सीट एनडीए के हाथ से चली गई। रही बात भदोही से ललितेशपति त्रिपाठी की तो साइकिल चुनाव चिन्ह नहीं लेना भी उनके पराजय का एक बड़ा कारण रहा। वैसे भी एनडीए प्रत्याशी डॉ विनोद बिंद निर्विवादित चेहरा रहे।

पड़ोसी जिले में महेंद्रनाथ पांडेय को पिछले चुनाव में जिस प्रकार से विजय दिलाई गई यह किसी से छुपा हुआ नहीं था। इसलिए मान के चला जा रहा था कि इस बार यह सीट हाथ से निकल जाएगी। लेकिन लगता है कि एग्जिट पोल करवाने वाली एजेंसियों को यह सब नजर नहीं आया। तो निश्चित रूप से इसके पीछे उनका कोई लाभ छिपा था। उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि महंगाई और बेरोजगारी से आम आदमी और युवा वर्ग किस प्रकार से त्रस्त है।

मिर्जापुर की बात की जाए तो दो जनपदों को मिलाकर मोदी की चुनावी जनसभा में किसी प्रकार से 50-60 हजार लोगों को  जुटाया सका था। जबकि अखिलेश की जनसभा में सिर्फ मिर्जापुर के 75 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। मोदी- योगी को लेकर पहले जैसी लहर नहीं थी। जनता खामोश थी। आम आदमी से लेकर युवा वर्ग सभी हताश और निराश थे। एग्जिट पोल करने वालों को यह सब कुछ भी नहीं दिखा।

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