Agra News: सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट को लेकर सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की रिव्यू एप्लीकेशन निस्तारित, इलहाबाद हाई कोर्ट ने सोसायटी की पी आई एल पर लगायी लागत हटायी। 

सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  की ओर से   सीनियर एडवोकेट अकलंक कुमार जैन एडवोकेट  ने दाखिल रिव्यू एप्लीकेशन पर सुनवायी के दौरान....

Apr 19, 2025 - 11:00
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Agra News: सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट को लेकर सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की रिव्यू एप्लीकेशन निस्तारित, इलहाबाद हाई कोर्ट ने सोसायटी की पी आई एल पर लगायी लागत हटायी। 


 
Agra News: सिविल सोसायटी आफ आगरा की रिव्यू एप्लीकेशन ( Review Application No.3 of 2020) का निस्तारण करते समय 75000 रूपय की उस लागत (cost)को माफ कर दिया है, जो कि जनहित याचिका(PUBLIC INTEREST LITIGATION (PIL) No. - 2422 of 2019 ) पर आर्डर दिये जाने के दौरान लगाई थी। 

सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  की ओर से   सीनियर एडवोकेट अकलंक कुमार जैन एडवोकेट  ने दाखिल रिव्यू एप्लीकेशन पर सुनवायी के दौरान कोर्ट के समक्ष कहा कि समय सीमा के आधार पर उनकी याचिका पर सुनवायी का अब औचित्य नहीं रह गया है,क्यों कि नये सिविल एन्कलेव को वायुसेना परिसर से बाहर बनाये जाने का कार्य शुरू हो जाने के साथ ही अब प्रगति पर है।इसी के साथ उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि सिविल सोसायटी की मूल याचिका के निस्तारण के समय सोसायटी पर लगायी  लागत गयी 75 हजार रुपये की (cost) को माफ कर दिया जाना चाहिये।

  • कॉस्ट को माफ किया

कोर्ट के समक्ष दाखिल रिव्यू एप्लीकेशन पर कोर्ट के समक्ष सिविल एन्कलेव (एयरपोर्ट) को वायुसेना परिसर आगरा से बाहर आम नागरिकों की पहुंच के उपयुक्त स्थान पर शिफ्ट किये जाने की जरूरत को क्रियान्वित करवाने के लिये सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  के द्वारा इलहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका(:- PUBLIC INTEREST LITIGATION (PIL) No. - 2422 of 2019 ) के निस्तारण के साथ लगायी गयी लागत (cost) को माफ करवाना ही मुख्य मुद्दों में से एक था। इलहाबद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्याय मूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की द्वि सदस्यीय पीठ ने माफ कर दिया है।

  • जनहित से जुड़ा मुद्दा

श्री जैन ने अदालत के समक्ष निवेदन करते हुए कहा कि याचिका जनहित में सिविल एन्क्लेव के निर्माण के लिये प्रतिवादियों को जनहित में निर्देश दिये जाने के लिये प्रस्तुत की गई थी।  उन्होंने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा जनहित में सक्रिय संगठन है अगर उसे कोर्ट के द्वारा लगाई गई लागत / जुर्माने    की भरपाई करनी पड़ी तो सोसायटी के लिए एक अपूरणीय क्षति होगी। श्री जैन ने अदालत के समक्ष यह भी स्पष्ट किया कि मूल याचिका का आधार केवल एकेडमिक डिवेट नहीं अपितु जमीनी हकीकत है।

उल्लेखनीय है कि सिविल सोसायटी आफ आगरा के द्वारा नागरिक जनजीवन से जुड़े जिन मुख्य मुद्दों को स्वैच्छिक रूप से उठाया गया है, उनमें सिविल एन्क्लेव को एयरफोर्स स्टेशन आगरा से बाहर लाकर जनपहुंच सहज बनाना भी है।2012 में सिविल एन्क्लेव का वायुसेना परिसर से बाहर लाया जाना सैद्धान्तिक रूप से स्वीकार कर लिया गया था और इसके लिये धनौली ग्राम सभा(सी टी) की जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी ,किंतु इसके बाद प्रोजेक्ट को भुला दिया गया।2016 से सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने प्रोजेक्ट को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में लिया ।अब तो सिविल एन्क्लेव तेजी के साथ बन रहा है।

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अगर सब कुछ निर्धारित समय सीमा में चलता रहा तो 2026 से पूर्व यह सुचारू हो जायेगा।सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा है कि अगर सोसायटी की याचिका हाईकोर्ट में दाखिल नहीं होती तो सरकारी तंत्र के द्वारा इस मुद्दे को आगरा के नागरिकों की जरूरत के रूप में नहीं लिया गया होता।श्री शर्मा ने आगरा के उद्यमियों और पर्यटन व्यवसायियों से सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट के प्रति जागरूक बने रहने का निवेदन किया है। 17 अप्रैल 2025 को निस्तारित रिव्यू एप्लीकेशन पर सुनवाई के दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी,यू पी सरकार आदि पक्षकारों की ओर से प्रांजल मेहरोत्रा ,मनोज कुमार सिन्हा,मिथलेश चन्द्र त्रिपाठी आदि अधिवक्ता मौजूद थे।

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