पिहानी। धोबिया गांव के तपोवन सिद्ध आश्रम में शुक्रवार को एक क्षतिग्रस्त प्राकृतिक जलस्रोत के संरक्षण कार्य का शुभारंभ हुआ। गोमती नदी की सांस्कृतिक विरासत का संकलन कर रहे सुशील सीतापुरी ने महंत स्वामी नारायणानन्द की उपस्थिति में पूजा-अर्चना के साथ इस कार्य का श्रीगणेश किया। सुशील सीतापुरी के नेतृत्व में उनके मित्रों और शुभचिंतकों के सहयोग से यह संरक्षण कार्य किया जा रहा है।
पंडरवा किला गांव के निवासी सुशील सीतापुरी पिछले पांच वर्षों से 'मैं तुम्हारी गोमती हूं' अभियान के तहत गोमती नदी की सांस्कृतिक विरासत का सर्वेक्षण और संकलन कर रहे हैं। लखीमपुर-खीरी के चपरतला गांव की स्वयंसेवी संस्था सेवा सदन द्वारा संचालित इस अभियान के अंतर्गत गोमती के घाटों, मंदिरों, मेलों, परंपराओं और आसपास के गांवों के रहन-सहन का अध्ययन किया जा रहा है। सुशील अब तक गोमती की 300 किमी यात्रा कर चुके हैं। उनका कहना है कि तपोवन सिद्ध आश्रम के जलस्रोत गोमती नदी के लिए संजीवनी का काम करते हैं, इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है। इन जलस्रोतों को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आसपास के जनपदों से आते हैं।
धोबिया गांव को महाभारत कालीन संत और पांडवों के कुल पुरोहित धौम्य ॠषि की तपस्थली माना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, पहले इसका नाम धौम्या था, जो अपभ्रंश होकर धोबिया हो गया। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां कुछ समय बिताया था और अर्जुन ने प्यास बुझाने के लिए तीर चलाकर जलस्रोत उत्पन्न किया था। आश्रम के शिलापट्ट में भी धोबिया का महाभारत काल से संबंध होने का उल्लेख है।