प्रतापगढ़ में ड्रग माफिया के घर से 2 करोड़ कैश और ड्रग्स की बरामदगी, गिनती में लगे 22 घंटे; जेल से चल रहा था नेटवर्क। 

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है, जो ड्रग तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं में शुमार है। शनिवार सुबह

Nov 10, 2025 - 13:22
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प्रतापगढ़ में ड्रग माफिया के घर से 2 करोड़ कैश और ड्रग्स की बरामदगी, गिनती में लगे 22 घंटे; जेल से चल रहा था नेटवर्क। 
प्रतापगढ़ में ड्रग माफिया के घर से 2 करोड़ कैश और ड्रग्स की बरामदगी, गिनती में लगे 22 घंटे; जेल से चल रहा था नेटवर्क। 

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है, जो ड्रग तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं में शुमार है। शनिवार सुबह मानिकपुर थाना क्षेत्र के मुंदीपुर गांव में स्थित ड्रग माफिया राजेश मिश्रा के घर पर नारकोटिक्स विभाग और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने छापा मारा। इस छापेमारी में पुलिस को नोटों का पहाड़ मिला, जिसकी कुल राशि दो करोड़ एक लाख पचपन हजार तीन सौ पैंतालीस रुपये आंकी गई। इसके अलावा छह किलोग्राम से अधिक गांजा और पांच सौ सत्तर सात ग्राम स्मैक यानी हेरोइन भी बरामद हुई। ड्रग्स की अनुमानित कीमत एक करोड़ पंद्रह लाख रुपये बताई जा रही है, जबकि कुल बरामदगी की कीमत तीन करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह कार्रवाई मुखबिर की गुप्त सूचना पर आधारित थी और एसपी दीपक भूकर के नेतृत्व में की गई।

राजेश मिश्रा, जो वर्तमान में प्रतापगढ़ जेल में बंद है, के घर पर हुई इस तलाशी ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। पुलिस को संदेह था कि जेल की सलाखों के पीछे से ही यह अंतरराज्यीय ड्रग सिंडिकेट संचालित हो रहा है। छापे के दौरान राजेश की पत्नी रीना मिश्रा, पुत्र विनायक मिश्रा, पुत्री कोमल मिश्रा, रिश्तेदार अजीत कुमार मिश्रा और यश मिश्रा मौके पर मौजूद थे। इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि राजेश जेल से फोन कॉल्स और मुलाकातों के जरिए अपने परिवार को निर्देश देता था। वह नेटवर्क को चला रहा था, जो आसपास के जिलों जैसे प्रयागराज, सुल्तानपुर और फैजाबाद तक फैला हुआ था। ड्रग्स की सप्लाई मुख्य रूप से बिहार और झारखंड से होती थी, जबकि वितरण उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में किया जाता था।

छापे की शुरुआत शनिवार सुबह करीब आठ बजे हुई। जब पुलिस टीम घर में घुसी, तो कमरों और अलमारियों से नोटों से भरी कई बोरियां बरामद हो गईं। ज्यादातर नोट सौ, पचास और बीस रुपये के थे, जो छोटे मूल्य के होने से गिनती का काम और मुश्किल हो गया। पहले पुलिसकर्मियों ने हाथों से गिनती शुरू की, लेकिन मात्र कुछ घंटों में थकान महसूस होने लगी। कई महिला कांस्टेबल पसीना पोंछते नजर आईं, जबकि पुरुष अधिकारी भी परेशान हो गए। एसपी दीपक भूकर ने बताया कि इतनी बड़ी राशि को मैन्युअली गिनना व्यावहारिक नहीं था। इसलिए तुरंत चार नोट काउंटिंग मशीनें मंगाई गईं। इन मशीनों की मदद से गिनती रविवार सुबह छह बजे तक चली, जो कुल मिलाकर बाईस घंटे की मेहनत थी। इस दौरान थाने के सई कॉम्प्लेक्स में विशेष कक्ष बनाया गया, जहां सख्त निगरानी रखी गई।

इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें नोटों का अंबार साफ दिख रहा है। वीडियो में पुलिसकर्मी बोरियों को खोलते और नोटों को फैलाते नजर आ रहे हैं। एक क्लिप में मशीनों से नोट गुजारते हुए अधिकारी थकान से लाल आंखें लिए दिख रहे हैं। एसपी भूकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास की सबसे बड़ी ड्रग्स से जुड़ी कैश बरामदगी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ड्रग तस्करी समाज का काला धब्बा है, जो युवाओं को बर्बाद कर रही है। प्रतापगढ़ जिले में पिछले एक वर्ष में ड्रग्स के कई छोटे-मोटे केस दर्ज हुए थे, लेकिन यह कार्रवाई एक बड़े नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने वाली है।

राजेश मिश्रा का आपराधिक इतिहास लंबा है। वह पहले से ही नारकोटिक्स एक्ट के तहत जेल में है। पुलिस के अनुसार, उसके खिलाफ पहले से तीन करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क हो चुकी है। इस गिरोह का मुख्य कारोबार गांजा और स्मैक की तस्करी था, जो स्कूलों और कॉलेजों के आसपास बेचा जाता था। बरामद गांजा की मात्रा छह किलोग्राम सत्तर ग्राम थी, जिसकी कीमत तीन लाख रुपये से अधिक है। स्मैक की कीमत सबसे ज्यादा थी, जो उच्च गुणवत्ता वाली लगी। पुलिस ने मौके से पैकिंग सामग्री, वजन करने वाले तराजू और मोबाइल फोन भी जब्त किए, जो नेटवर्क के संचार के साधन थे। एसपी ने बताया कि राजेश के जेल में रहते हुए भी उसके निर्देशों पर सप्लाई चली रही थी। परिवार के सदस्य खरीद-फरोख्त में सक्रिय थे।

इस कार्रवाई के बाद पुलिस ने पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। आसपास के थानों को निर्देश दिए गए हैं कि संदिग्ध वाहनों पर नजर रखें। नारकोटिक्स विभाग ने कहा कि यह अभियान जारी रहेगा और गिरोह के अन्य सदस्यों को भी पकड़ा जाएगा। स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई की सराहना की है। मुंदीपुर गांव के एक बुजुर्ग ने कहा कि ड्रग्स ने उनके गांव के कई युवाओं को गुमराह किया था, अब उम्मीद है कि इलाका सुरक्षित होगा। एक महिला ने बताया कि उनके बेटे को नशे की लत लग गई थी, जो बाहर से आती थी। एसपी भूकर, जो पहले प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ कार्रवाई के लिए मशहूर हैं, ने इस सफलता का श्रेय अपनी टीम को दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जा रही है।

प्रतापगढ़ जिला, जो प्रयागराज मंडल का हिस्सा है, ड्रग तस्करी का हॉटस्पॉट बन चुका था। यहां गंगा नदी के किनारे होने से तस्करी आसान हो जाती है। पुलिस के अनुसार, बिहार बॉर्डर से ड्रग्स आते थे और स्थानीय स्तर पर बेचे जाते थे। इस गिरोह ने पिछले दो वर्षों में करोड़ों का कारोबार किया। बरामद कैश का स्रोत मुख्य रूप से ड्रग्स की बिक्री था। गिनती के दौरान कोई विसंगति नहीं मिली, लेकिन पुलिस अब इसके स्रोत की जांच कर रही है। क्या यह ब्लैक मनी है या अन्य अवैध कारोबार से जुड़ी? इसकी फॉरेंसिक जांच होगी।

इस घटना ने पूरे राज्य में ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता बढ़ा दी है। स्कूलों में विशेष लेक्चर आयोजित किए जा रहे हैं। एनजीओ ने भी अभियान शुरू किया है। पुलिस ने भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों के लिए बेहतर उपकरण मंगवाने का फैसला किया है। वीडियो वायरल होने से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई यूजर्स ने पुलिस की तारीफ की, तो कुछ ने सवाल उठाए कि इतना कैश कैसे जमा हुआ। एसपी ने स्पष्ट किया कि यह सब ड्रग्स के काले कारोबार का नतीजा है। गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया और रिमांड लिया जाएगा। जेल में राजेश मिश्रा की निगरानी बढ़ा दी गई है।

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