14 लाख की इनामी नक्सली सुनीता ने आत्मसमर्पण किया, 19 साल की उम्र में शुरू हुआ था रोंगटे खड़े कर देने वाला सिलसिला; हथियारों के साथ मुख्य धारा में लौटीं । 

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। छत्तीसगढ़ की रहने वाली 23 वर्षीय नक्सली सुनीता ने 1 नवंबर 2025 को हथियार डाल

Nov 4, 2025 - 13:06
 0  101
14 लाख की इनामी नक्सली सुनीता ने आत्मसमर्पण किया, 19 साल की उम्र में शुरू हुआ था रोंगटे खड़े कर देने वाला सिलसिला; हथियारों के साथ मुख्य धारा में लौटीं । 
14 लाख की इनामी नक्सली सुनीता ने आत्मसमर्पण किया, 19 साल की उम्र में शुरू हुआ था रोंगटे खड़े कर देने वाला सिलसिला; हथियारों के साथ मुख्य धारा में लौटीं । 

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। छत्तीसगढ़ की रहने वाली 23 वर्षीय नक्सली सुनीता ने 1 नवंबर 2025 को हथियार डाल दिए और आत्मसमर्पण कर दिया। सुनीता पर तीन राज्यों की पुलिस ने मिलकर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। वह प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया माओवादी के केंद्रीय समिति सदस्य रामदेर की निजी सुरक्षा इकाई की सदस्य थी। आत्मसमर्पण के बाद सुनीता ने अपने छिपे हुए हथियारों का खुलासा किया, जिससे पुलिस को एक इंसास राइफल, तीन मैगजीन और एक अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर का शेल बरामद करने में मदद मिली। यह घटना मध्य प्रदेश में नक्सलियों के आत्मसमर्पण की नई पुनर्वास नीति के लागू होने के बाद पहला मामला है। सुनीता का सरेंडर न केवल सुरक्षा बलों के लिए राहत है, बल्कि अन्य नक्सलियों के लिए भी मुख्य धारा में लौटने का संदेश दे रहा है।

सुनीता मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ तहसील के गोमवेटा गांव की रहने वाली हैं। वह 19 साल की उम्र में माओवादियों के संपर्क में आईं और संगठन में शामिल हो गईं। सुनीता गोदिया-राजनांदगांव-बालाघाट यानी जीआरबी डिवीजन की सदस्य थीं, जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय है। जीआरबी डिवीजन माओवादी संगठन के एमएमसी जोन का हिस्सा है। सुनीता मलाजखंड-दार्रे खासा दलम की एरिया कमेटी मेंबर थीं और कई हमलों में शामिल रहीं। पुलिस के अनुसार, वह रामदेर की सुरक्षा में तैनात थीं, जो नक्सली संगठन के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। सुनीता ने आत्मसमर्पण के दौरान बताया कि संगठन में महिलाओं को भी पुरुषों की तरह हथियार थमाए जाते हैं और उन्हें जंगल में कठिन जीवन जीना पड़ता है। वह कई महीनों से संगठन से असंतुष्ट थीं और सरेंडर की योजना बना रही थीं।

आत्मसमर्पण चौरिया पुलिस कैंप में हुआ, जो लांजी थाना क्षेत्र में स्थित है। सुनीता बिना हथियारों के कैंप पहुंचीं और हॉक फोर्स के सहायक कमांडेंट रूपेंद्र धुर्वे के सामने सरेंडर कर दिया। हॉक फोर्स मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष एंटी-नक्सल इकाई है। सरेंडर के तुरंत बाद सुनीता ने पुलिस टीम को जंगल के गहराई में ले जाकर अपने हथियारों का खजाना खोला। कमांडेंट शियाज के.एम. ने बताया कि सुनीता ने बिना किसी दबाव के आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि यह नई पुनर्वास नीति का पहला फल है। सुनीता पर महाराष्ट्र पुलिस ने 6 लाख, छत्तीसगढ़ ने 3 लाख और मध्य प्रदेश ने 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सरेंडर के बाद यह राशि सुनीता को ही मिलेगी, जो पुनर्वास पैकेज का हिस्सा बनेगी।

मध्य प्रदेश सरकार की नई नक्सल आत्मसमर्पण नीति 2025 के तहत सुनीता को 35 लाख रुपये से अधिक का पुनर्वास पैकेज मिलेगा। इसमें इनाम की राशि के अलावा आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधाएं शामिल हैं। नीति का उद्देश्य नक्सलियों को मुख्य धारा में लाना और उन्हें सम्मानजनक जीवन देना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सरेंडर की सराहना की। उन्होंने कहा कि नक्सलियों को या तो खत्म किया जा रहा है या वे सरेंडर कर रहे हैं। अब कुछ ही बचे हैं, जल्द ही उनका भी अंत होगा। विशेष पुलिस महानिदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि सुनीता के सरेंडर से अन्य नक्सलियों का मनोबल टूटेगा। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले कुछ दिनों में चार से पांच और नक्सली सरेंडर कर सकते हैं। बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, जहां जंगल घने हैं और सीमाएं जुड़ी हुई हैं। यहां हॉक फोर्स लगातार अभियान चला रही है।

सुनीता का सरेंडर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही कार्रवाई का हिस्सा है। छत्तीसगढ़ में इस साल जनवरी से अब तक 203 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, 213 गिरफ्तार हुए हैं और 90 मारे गए हैं। बस्तर क्षेत्र में नक्सल प्रभाव कम हो रहा है। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नक्सल मुक्त भारत का सपना साकार हो रहा है। सुनीता के सरेंडर से जीआरबी डिवीजन कमजोर हुआ है। रामदेर जैसे बड़े नेता की सुरक्षा इकाई से एक सदस्य का अलग होना संगठन के लिए झटका है। पुलिस ने कहा कि सुनीता से पूछताछ में अन्य नक्सलियों के सुराग मिल सकते हैं।

सुनीता ने सरेंडर के बाद मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि संगठन ने उन्हें झूठे वादे किए थे। महिलाओं को समानता का दावा था, लेकिन जंगल में भूख, बीमारी और हिंसा का सामना करना पड़ा। निर्दोष ग्रामीणों पर अत्याचार देखकर मन उचट गया। छत्तीसगढ़ सरकार की नीयद नेल्लानार योजना ने उन्हें प्रभावित किया, जो दूरदराज गांवों में विकास ला रही है। सुनीता ने कहा कि वह अब सामान्य जीवन जीना चाहती हैं। परिवार के साथ रहेंगी और कोई छोटा व्यवसाय शुरू करेंगी। उनके गांव गोमवेटा में सरेंडर की खबर फैल गई। ग्रामीणों ने खुशी जताई। एक बुजुर्ग ने कहा कि बेटी घर लौट आई, अब गांव सुरक्षित है।

यह सरेंडर महिलाओं के नक्सलवाद छोड़ने की बढ़ती प्रवृत्ति दिखाता है। संगठन में महिलाओं की संख्या 40 प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन वे हिंसा से त्रस्त हैं। छत्तीसगढ़ में हाल ही में सुकमा में 27 नक्सली सरेंडर कर चुके थे, जिनमें 10 महिलाएं थीं। उनमें एक सुनीता नाम की 24 वर्षीय नक्सली भी थी, जिस पर 8 लाख का इनाम था। लेकिन यह बालाघाट वाली सुनीता अलग हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरेंडर नीतियां प्रभावी साबित हो रही हैं। पुनर्वास पैकेज आकर्षक है। लेकिन चुनौतियां बाकी हैं। नक्सली संगठन अब महिलाओं को कम उम्र में भर्ती कर रहा है। सुनीता जैसी लड़कियां गरीबी और अज्ञानता के कारण फंस जाती हैं।

बालाघाट जिला सीमावर्ती होने से नक्सली गतिविधियां ज्यादा हैं। यहां दिंदोरी और मंडला जिले भी प्रभावित हैं। 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद मध्य प्रदेश में कोई नक्सली सरेंडर नहीं हुआ था। सुनीता पहली हैं। हॉक फोर्स ने जश्न मनाया। कमांडेंट शियाज ने कहा कि यह टीम वर्क का नतीजा है। मुखबिरों की मदद से सुनीता का संपर्क हुआ। सरेंडर के बाद सुनीता को मेडिकल चेकअप कराया गया। वह स्वस्थ हैं। अब पुनर्वास प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार उन्हें नई पहचान देगी।

यह घटना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की कहानी भी बयान करती है। छत्तीसगढ़ में नीयद नेल्लानार योजना से सड़कें, स्कूल और अस्पताल बन रहे हैं। नक्सली अब जनता से कट गए हैं। सुनीता ने कहा कि जंगल में कोई भविष्य नहीं। मुख्य धारा में अवसर हैं। केंद्र सरकार ने नक्सल मुक्त गांवों को 1 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है। बस्तर में कई गांव नक्सल मुक्त हो चुके हैं। लेकिन संगठन अब भी सक्रिय है। हाल ही में महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में 60 नक्सली सरेंडर कर चुके थे। अमित शाह ने कहा कि सशस्त्र बलों की सफलता सराहनीय है।

सुनीता का परिवार गरीब किसान है। पिता खेती करते हैं। भाई-बहन गांव में ही हैं। सरेंडर की खबर सुनकर वे भावुक हो गए। मां ने कहा कि बेटी की वापसी भगवान की कृपा है। सुनीता ने संगठन में शामिल होने का पछतावा जताया। कहा कि दोस्तों के बहकावे में आ गई। अब पढ़ाई पूरी करेगी। पुलिस ने परिवार को सुरक्षा दी है। नक्सली प्रतिशोध ले सकते हैं। बालाघाट एसपी ने कहा कि सुनीता से पूछताछ जारी है। उसके बयानों से बड़े खुलासे हो सकते हैं।

नक्सलवाद अब कमजोर पड़ रहा है। 2025 में अब तक 500 से ज्यादा सरेंडर हो चुके हैं। गिरफ्तारियां बढ़ी हैं। एनकाउंटर में 200 नक्सली मारे गए। गृह मंत्रालय ने कहा कि लक्ष्य हासिल होगा। लेकिन स्थानीय लोगों का सहयोग जरूरी है। सुनीता जैसी कहानियां प्रेरणा देती हैं। युवा नक्सलवाद से दूर रहें। शिक्षा और रोजगार चुनें। बालाघाट में अब शांति की उम्मीद है। हॉक फोर्स के जवान उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि और सरेंडर होंगे।

Also Read- नवी मुंबई में 10 वर्षीय बच्ची को मां ने पैसे के लालच में NRI के हवाले किया, एएचटीयू ने बचाया, दोनों गिरफ्तार।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।