Ayodhya News: छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत- प्रभु राम का ननिहाल, कौशल्या देवी साय ने राम को भांजा बताया और भावुक हुईं।
रामलला के भव्य प्राकट्य के बाद अयोध्या धाम श्रद्धालुओं के भाव और भक्ति का संगम बन चुकी है। इसी आध्यात्मिक प्रवाह में छत्तीसगढ़...
अयोध्या। रामलला के भव्य प्राकट्य के बाद अयोध्या धाम श्रद्धालुओं के भाव और भक्ति का संगम बन चुकी है। इसी आध्यात्मिक प्रवाह में छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला कौशल्या देवी साय की उपस्थिति ने एक नई सांस्कृतिक परंपरा को स्वर दिया। रामलला के दर्शन के बाद उन्होंने नम आँखों और भावुक हृदय से कहा—"प्रभु राम हमारे भांजे हैं।"
यह कथन केवल एक भाव नहीं, अपितु उस सांस्कृतिक विरासत की अभिव्यक्ति है जिसमें छत्तीसगढ़ को प्रभु श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। कौशल्या देवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के ग्राम्य जीवन में राम भांजे के रूप में पूजे जाते हैं, उनके चरणों के जल को भी श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है।
- धार्मिक-साहित्यिक धरातल पर जुड़ी है पौराणिक कड़ी
वनगमन काल में राम का छत्तीसगढ़ आना, वहां के वनों में समय बिताना, माता कौशल्या का वहीं जन्म लेना—ये सभी बातें छत्तीसगढ़ को प्रभु राम के बालकाल से जोड़ती हैं। यही कारण है कि कौशल्या देवी साय ने स्वयं को 'मामी' कहकर राम के साथ रिश्ते को आत्मीयता से परिभाषित किया।
- श्रद्धा की शक्ति, थकान पर विजय
कौशल्या देवी साय ने बताया कि वह सड़क मार्ग से अयोध्या पहुंचीं, लेकिन उन्हें तनिक भी थकान महसूस नहीं हुई। "यह आस्था है, जो हर थकान को शक्ति में बदल देती है," उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। उन्होंने सरयू आरती, हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि दर्शन को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की—"उन्होंने न सिर्फ मंदिर का पुनर्जागरण किया, बल्कि हमारी सांस्कृतिक आत्मा को भी जीवित कर दिया।"
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