Kanpur News : खानकाह-ए-हुसैनी ने मोहर्रम 2025 के लिए कानपुर की जनता से की शांति और सहयोग की अपील, प्रशासन से मांगी व्यवस्थाओं की मांग

खानकाह-ए-हुसैनी की यह अपील मोहर्रम के पवित्र महीने में सामाजिक सद्भाव, शांति, और एकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोहर्रम, जो इस्लामिक कैलेंडर का ....

Jun 26, 2025 - 23:32
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Kanpur News : खानकाह-ए-हुसैनी ने मोहर्रम 2025 के लिए कानपुर की जनता से की शांति और सहयोग की अपील, प्रशासन से मांगी व्यवस्थाओं की मांग

By INA News Kanpur.

कानपुर : मोहर्रम 2025 की तैयारियों को लेकर कानपुर के कर्नलगंज स्थित खानकाह-ए-हुसैनी में खादिमों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मोहर्रम के पवित्र अवसर पर शांति, एकता, और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कानपुर की जनता से व्यापक अपील जारी की गई। साथ ही, प्रशासन से मोहर्रम के जुलूसों और आयोजनों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की मांग की गई। बैठक का शुभारंभ तिलावत-ए-कुरान-ए-पाक के साथ हुआ। खानकाह-ए-हुसैनी के खादिम इखलाक अहमद डेविड चिश्ती की अगुवाई में आयोजित इस बैठक में कानपुर की जनता से मोहर्रम के दौरान सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों का पालन करने की अपील की गई। बैठक में मौजूद सूफी और धार्मिक नेताओं ने पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की याद में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

खानकाह-ए-हुसैनी की अपील

  1. शर्बत और पानी की शबीले: मोहर्रम के दौरान इमाम हुसैन की शहादत की याद में शर्बत और पानी की हुसैनी शबीले लगाएं।
  2. भूखों और जरूरतमंदों की मदद: भूखों को भोजन, विधवाओं और अनाथों की सहायता, और बीमार व बेसहारा लोगों का इलाज करवाने में योगदान दें।
  3. पर्यावरण संरक्षण: प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक पौधा लगाए और उसकी देखभाल कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे।
  4. हुसैनी परचम: अपने घरों पर हुसैनी परचम लगाएं और जुलूसों में सम्मान के साथ शामिल हों।
  5. नमाज और धार्मिक आयोजन: नमाज की पाबंदी करें और मस्जिदों, खानकाहों, और घरों में जंगे कर्बला की याद में जिक्र-ए-शहादतैन का आयोजन करें।
  6. जुलूस में अनुशासन: आलम जुलूसों में अदब और एहतराम के साथ चलें, इमाम चौक पर जरी (ताजिया) रखने और उठाने में सम्मान का ख्याल रखें।
  7. सुरक्षा मानक: परचमों की छड़ें 10 फीट से अधिक न हों और लोहे की छड़ों का उपयोग न करें। जुलूस में स्टंटबाजी या मोटरसाइकिलों के जुलूस से बचें।
  8. पड़ोसियों का ख्याल: अपने पड़ोसियों का ध्यान रखें, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से हों।
  9. प्रशासन के साथ सहयोग: कानपुर प्रशासन और पुलिस का सहयोग करें, अफवाहों से बचें, और किसी भी झूठी अफवाह की जानकारी तुरंत नजदीकी थाना या चौकी को दें।
  10. शासन की गाइडलाइंस का पालन: मोहर्रम के दौरान शासन-प्रशासन की सभी गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करें।

प्रशासन से मांग

खानकाह-ए-हुसैनी के खादिम इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने कानपुर नगर के जिलाधिकारी से निम्नलिखित मांगें कीं:

  • मोहर्रम के दौरान बिजली और पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।
  • जुलूस मार्गों पर खराब सड़कों की मरम्मत कराई जाए।
  • कर्बलाओं और इमाम चौकों के पास सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करें।
  • जर्जर बिजली के खंभों को ठीक करवाएं और जुलूस के समय मार्गों पर बिजली आपूर्ति बंद करें।
  • सभी संबंधित विभागों को व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए जाएं।

इसके अलावा, उन्होंने कानपुर नगर के पुलिस आयुक्त से मांग की कि मोहर्रम के जुलूसों के दौरान पुलिस को अलर्ट रखा जाए और जुलूस आयोजकों व क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों के साथ समन्वय बैठक आयोजित की जाए।खानकाह-ए-हुसैनी की यह अपील मोहर्रम के पवित्र महीने में सामाजिक सद्भाव, शांति, और एकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोहर्रम, जो इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का समय है। यह अपील न केवल धार्मिक आयोजनों को व्यवस्थित और सम्मानजनक ढंग से आयोजित करने पर जोर देती है, बल्कि सामाजिक कार्यों जैसे पर्यावरण संरक्षण और जरूरतमंदों की मदद को भी प्रोत्साहित करती है। कानपुर प्रशासन ने मोहर्रम की तैयारियों को लेकर पहले ही कई कदम उठाए हैं, जैसा कि हाल ही में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के कर्बला नवाबगंज के निरीक्षण से स्पष्ट है। खानकाह-ए-हुसैनी की अपील इस दिशा में प्रशासन के साथ सहयोग को और मजबूत करने का प्रयास है। स्थानीय लोगों ने इस अपील की सराहना करते हुए कहा कि यह शांति और व्यवस्था के साथ मोहर्रम मनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। बैठक में खानकाह-ए-हुसैनी के खादिम इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, सूफी मोईनुद्दीन चिश्ती, सैय्यद अबूजर जैदी नक्शबंदी, आशिक अली नियाजी, अनवार अहमद मदारी, सूफी इश्तियाक निजामी, परवेज आलम वारसी, सैय्यद तलहा कादरी, सूफी मोहम्मद आरिफ चिश्ती, सूफी मंसूर सब्लू, अफजाल अहमद, और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

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