Politics: मुंबई में भाषा विवाद- पप्पू यादव की राज ठाकरे को खुली चुनौती, कहा- 'हेकड़ी निकाल दूंगा'
Politics Khabr: महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई में मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। बिहार के पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार...

महाराष्ट्र (Maharashtra) की आर्थिक राजधानी मुंबई में मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। बिहार के पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के नेता पप्पू यादव ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे को खुली चुनौती दी है। 4 जुलाई 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पप्पू यादव ने कहा, "महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों पर हमले बंद करो, वरना मैं मुंबई आकर राज ठाकरे की सारी हेकड़ी निकाल दूंगा।" यह बयान मुंबई के मीरा रोड और पुणे के कोथरूड में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदी भाषी लोगों पर कथित हमलों के बाद आया है, जिनमें मराठी न बोलने को लेकर दुकानदारों और व्यक्तियों को निशाना बनाया गया।
- मराठी बनाम हिंदी विवाद
महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की मांग लंबे समय से रही है, और राज ठाकरे की एमएनएस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाती रही है। हाल के वर्षों में, एमएनएस कार्यकर्ताओं पर मराठी न बोलने वाले प्रवासियों, खासकर उत्तर भारतीयों, के खिलाफ हिंसा और धमकी देने के आरोप लगे हैं। ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब 28 जून 2025 को मुंबई के मीरा रोड में एक मिठाई दुकान के मालिक बabulal खिमजी चौधरी पर एमएनएस कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हमला किया, क्योंकि उन्होंने मराठी में बात करने से इनकार कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें कार्यकर्ता दुकानदार को थप्पड़ मारते और धमकी देते नजर आए।
इसी तरह, 3 जुलाई 2025 को पुणे के कोथरूड में एमएनएस कार्यकर्ताओं ने एक स्थानीय निवासी केदार सोमन के घर के बाहर प्रदर्शन किया और उन्हें धमकी दी, क्योंकि उन्होंने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट किया था। इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में भाषाई तनाव को और बढ़ा दिया। इस पृष्ठभूमि में, पप्पू यादव का बयान एक मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया, जिसने इस विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया।
- पप्पू यादव का बयान
4 जुलाई 2025 को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पप्पू यादव ने राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, "महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों पर हमले हो रहे हैं। राज ठाकरे को यह गुंडागर्दी बंद करनी होगी, वरना मैं मुंबई आकर उनकी सारी हेकड़ी निकाल दूंगा।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में गलती से उद्धव ठाकरे का नाम ले लिया गया था, जिनका वे सम्मान करते हैं। पप्पू यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हो गया, जिसके बाद कई लोगों ने उनकी इस चुनौती का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और उत्तेजक करार दिया।
पप्पू यादव, जो बिहार में अपनी बेबाक छवि और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं, ने इस बयान के जरिए हिंदी भाषी समुदाय, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासियों, के हितों की रक्षा का दावा किया है। उनके समर्थकों ने इसे बिहारियों के सम्मान की लड़ाई बताया, जबकि आलोचकों ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया।
- राज ठाकरे और एमएनएस
राज ठाकरे ने हमेशा मराठी अस्मिता और भाषा को प्राथमिकता देने की वकालत की है। उनकी पार्टी एमएनएस ने अतीत में भी उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयों को अंजाम दिया है, जैसे कि 2008 में रेलवे नौकरियों के लिए उत्तर भारतीयों पर हमले और 2009 में फिल्म "वेक अप सिड" के प्रदर्शन को बाधित करना, क्योंकि इसमें मुंबई को "बॉम्बे" कहा गया था। हाल ही में, एमएनएस ने हिंदी को प्राथमिक स्कूलों में अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले का विरोध किया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।
राज ठाकरे ने अपने 2025 के गुढ़ी पड़वा रैली में कहा था, "महाराष्ट्र में मराठी का सम्मान होना चाहिए। जो लोग मराठी नहीं बोलते, उन्हें थप्पड़ मारने में हम हिचकिचाएंगे नहीं।" इस बयान के बाद एमएनएस कार्यकर्ताओं की हिंसक कार्रवाइयों में वृद्धि देखी गई, जिसने हिंदी भाषी समुदायों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया।
पप्पू यादव के बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी। कुछ यूजर्स ने इसे बिहारियों और हिंदी भाषियों के सम्मान की रक्षा के लिए एक साहसिक कदम बताया। एक यूजर ने लिखा, "पप्पू यादव ने बिहार का गौरव बढ़ाया। राज ठाकरे की गुंडागर्दी को जवाब देना जरूरी था।" दूसरी ओर, कुछ ने इसे उकसावे वाला बयान माना। एक यूजर ने लिखा, "पप्पू यादव की धमकी से कोई समाधान नहीं निकलेगा। यह केवल तनाव को और बढ़ाएगा।"
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मराठी में गर्व करना और दूसरों पर हमला करना दो अलग-अलग चीजें हैं। जो लोग कानून को अपने हाथ में लेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।" उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि कुछ लोग अंग्रेजी की सराहना करते हैं, लेकिन हिंदी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, जो एक विरोधाभास है।
यह विवाद केवल मराठी बनाम हिंदी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत में भाषाई और क्षेत्रीय अस्मिता के व्यापक मुद्दे को दर्शाता है। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय प्रवासियों की बड़ी आबादी है, जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड से आते हैं। इन प्रवासियों को अक्सर नौकरियों और संसाधनों के लिए स्थानीय मराठी समुदाय के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। राज ठाकरे ने बार-बार प्रवासियों पर महाराष्ट्र की संसाधनों पर बोझ डालने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रत्येक भारतीय को अपनी पसंद की भाषा बोलने का अधिकार है। एमएनएस की कार्रवाइयों को कई लोग इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन मानते हैं। यह विवाद आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एमएनएस इस मुद्दे को भुनाकर मराठी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
What's Your Reaction?






