Lucknow : खेत से बाजार तक फसल खराब न हो, इसमें कोल्ड स्टोरेज की अहम भूमिका होगी, कोल्ड स्टोरेज में नवाचार एवं आधुनीकीकरण की आवश्यकता है

वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में बढ़ते उत्पादन के साथ-साथ भंडारण क्षमता का विस्तार भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा शीतगृह की एक इकाई की स्थापना

Jul 17, 2025 - 22:23
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Lucknow : खेत से बाजार तक फसल खराब न हो, इसमें कोल्ड स्टोरेज की अहम भूमिका होगी, कोल्ड स्टोरेज में नवाचार एवं आधुनीकीकरण की आवश्यकता है
उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात दिनेश प्रताप सिंह ने गुरूवार को फेयरफील्ड बाय मैरियट, लखनऊ में आयोजित शीतगृह सशक्तिकरण एवं आधुनिकीकरण विषयक कार्यशाला का शुभारम्भ किया।

शीतगृह की स्थापना के लिए अधिकतम 35 फीसदी अनुदान दिया जा रहा- दिनेश प्रताप सिंह

प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात दिनेश प्रताप सिंह ने गुरूवार को फेयरफील्ड बाय मैरियट, लखनऊ में आयोजित शीतगृह सशक्तिकरण एवं आधुनिकीकरण विषयक कार्यशाला का शुभारम्भ किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पारंपरिक कोल्ड स्टोरेज प्रणालियों को नवाचार और स्थायित्व की दिशा में सशक्त बनाना है।

उद्यान मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 2,300 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनमें अधिकांशतः आलू का भण्डारण किया जाता है। प्रदेश में आलू भण्डारण की कोई कमी नहीं है। किसान की फसल खेत से बाजार तक खराब न हो इसमें कोल्ड स्टोरेज की अहम भूमिका होगी। आलू के साथ-साथ आम, केला, सब्जी आदि का भण्डारण भी हो सके इसके लिए उ0प्र0 सरकार किसानों एवं कोल्ड स्टोरेज के स्वामियों के साथ है। उन्होंने कहा कि कोल्ड स्टोरेज के संचालन में नवाचार करने की जरूरत है, जिसके लिए अन्य प्रदेशों से तकनीकी का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता है।वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में बढ़ते उत्पादन के साथ-साथ भंडारण क्षमता का विस्तार भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा शीतगृह की एक इकाई की स्थापना के लिए अधिकतम 35 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है। ऐसे में मेरी शीतगृह स्थापित करने के लिए इच्छुक व्यक्तियों से अपील है कि वे प्रस्ताव लेकर सामने आएं, सरकार उनकी हरसंभव मदद के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि एलॉन्स फार एन एनर्जी एफीसिएन्ट इकॉनॉमी संस्था की संकल्प शीतगृह सशक्तिकरण और आधुनिकीकरण की पहल एक साहसिक और दूरदर्शी कदम हो सकता है। इस पहल से पारंपरिक शीतगृहों को ऊर्जा-दक्ष, बहु-उत्पाद और जलवायु-सहनीय सुविधाओं में बदलने में सहयोग प्रदान कर सकती है। यह पहल न केवल परिचालन लागत को कम करेगी, बल्कि खाद्य क्षति और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी लाएगी। उन्होंने कहा कि इससे सतत कृषि को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण-तीनों को लाभ होगा। इस अवसर पर निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण बी.पी. राम, उप निदेशक के.के. नीरज, संस्था के प्रतिनिधि सहित शीतगृह स्वामियों ने प्रतिभाग किया।

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