मऊ: लेडी डॉन शिक्षिका रागिनी मिश्रा बिना स्कूल जाये ले रहीं सैलरी, आवाज उठाने वाले 6 पत्रकारों पर केस किया, कथावाचन कर कमा रहीं पैसा
यहां की अध्यापिका रागिनी मिश्रा हफ्तों बाद स्कूल आती हैं,और जिस दिन विद्यालय में पहुंचती हैं,उस दिन थोक के भाव उपस्थिति पंजिका पर बीते सभी दिनों की उपस्थिति एक साथ दर्ज करती हैं। विभाग में उनके इस कारनामे की दबी जुबान से तो सभी चर्चा करते हैं,परंतु सामने से बोल...

By INA News Mau.
Teacher Ragini Mishra News.
टीचर से बच्चे डरते हैं ये तो आपने देखा और सुना होगा। क्या आपने सुना है कि किसी टीचर से सिर्फ बच्चे ही नहीं, उस विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिका भी खौफ खाते हों। हम आपको बता रहे हैं उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रणवीर पुर की। यहां रागिनी मिश्रा नाम की टीचर हैं जिनका नाम लेने से उस विद्यालय के शिक्षक भी घबराते हैं। इतना ही नहीं, इनके खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर फर्जी केस करके उन्हें दोषी करार दे दिया गया, इनका इतना खौफ है कि यदि गलती से भी किसी अन्य टीचर के मुंह से रागिनी का नाम निकला तो नाम लेने वाले शिक्षक का वेतन रोक दिया जाता है। इस टीचर पर पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप हैं।
इन पर शिक्षा के मंदिर में भय का माहौल फैलाने और वहां शिक्षा का माहौल खराब करने का भी आरोप है। विभागीय उच्चाधिकारियों से मिली भगत के बाद प्रभावशाली शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में चल रही सरकार की योजनाओं में किस तरह से पलीता लगा रहे इसकी बानगी मऊ जिले के कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय रणवीरपुर में देखने को मिल रही। यहां की अध्यापिका रागिनी मिश्रा हफ्तों बाद स्कूल आती हैं,और जिस दिन विद्यालय में पहुंचती हैं,उस दिन थोक के भाव उपस्थिति पंजिका पर बीते सभी दिनों की उपस्थिति एक साथ दर्ज करती हैं। विभाग में उनके इस कारनामे की दबी जुबान से तो सभी चर्चा करते हैं,परंतु सामने से बोलने की हिम्मत किसी में नहीं। अध्यापकों की मानें तो रागिनी मिश्रा बीएसए की बेहद करीबी हैं और धौंस दिखा कर विद्यालय नहीं जातीं। यही नहीं यदि कोई अध्यापक इसका विरोध करता तो बड़े ऑफिस से पहुंच कर लोग उस विरोध करने अध्यापक का वेतन गुणवत्ता के नाम पर रोक देते हैं। उपस्थिति पंजिका देखने पर स्पष्ट रूप से दिख रहा कि रागिनी के समक्ष वाला कॉलम 26 नवंबर से 3 दिसंबर तक लगातार खाली है,जबकि बाकी अध्यापकों की उपस्थिति बनी हुई है। 4 दिसंबर को वो विद्यालय में आ कर सभी छूटे हुए कार्य दिवसों की उपस्थिति एक साथ बना देती हैं। ठीक ऐसा ही 11 और 12 नवम्बर को रागिनी मिश्रा का स्थान उपस्थिति रजिस्टर में खाली है न तो कोई अवकाश लगा है न तो गैरहाज़िरी, जबकि बाद में उपस्थिति दर्ज हो गई है। सरकार द्वारा गुणवत्ता को लेकर हुई महत्वपूर्ण परीक्षा के दिन भी विभागीय कार्यों को ठेंगा दिखाकर वो गायब हैं। सबसे हास्यास्पद बात इसमें ये हैं कि ये सब बीएसए की जानकारी में हो रहा और बीएसए से उनकी नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं। अब अगर इसी तरह से शह देकर अध्यापकों से शिक्षण कार्य नहीं करवाया जायेगा तो क्या यह संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के अधिकार कानून की अवहेलना नहीं है?वहीं इस पूरे मामले पर सीडीओ प्रशांत नागर ने कहा कि मामले की जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सख्त कार्रवाई की जायेगी। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर किसी शिक्षिका में इतनी ताकत कहां से आई कि उसके खिलाफ न ही कोई अध्यापक बोल पा रहा न ही प्रधानाध्यापक उसे अनुपस्थित दिखा पा रहा। वहीं सोमवार को जब शिकायत पर वस्तुस्थिति जानने के लिए विद्यालय पर मीडिया पहुंची तो रागिनी मिश्रा विद्यालय पर बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाई गईं। प्रभारी प्रधानाध्यापक से पूछने पर उन्होंने कहा कि रागिनी ने कोई छुट्टी नहीं ली है। मीडिया के वहां पहुंचने के 1 घंटे बाद उनका व्हाट्सअप पर संदेश आया कि मैं मेडिकल लीव पर हूं।
जबकि उसके एक दिन पहले रविवार के दिन पल्स पोलियों महाअभियान के दिन जबकि सारे विद्यालय जिलाधिकारी के आदेश पर खुले थे,जबकि उस दिन भी रागिनी मिश्रा अनुपस्थित थी। वहीं अध्यापकों ने कैमरे के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा कि रागिनी मिश्रा के खिलाफ हम लोग कुछ भी नहीं बोल सकते,यदि कुछ भी बोले तो हम लोगों का वेतन गुणवत्ता के नाम पर रोक दिया जायेगा। अध्यापक तो अध्यापक बच्चे भी रागिनी मिश्रा के बारे में यही कहते हुए नजर आए कि मैडम हमेशा लंच के बाद आतीं हैं और पढ़ाती भी नहीं हैं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ जन्मदिन मनाते हुए इनका वीडियो खूब वायरल हो रहा,जो कहीं न कहीं बीएसए से इनकी नजदीकियों को उजागर कर रहा। इस संबंध में जब बीएसए से पूछा गया तो उन्होंने इसका सारा दोष प्रधानाध्यापक पर मढ़ते हुए कहा कि यदि कोई विद्यालय नहीं आ रहा तो प्रधानाध्यापक को उन्हें अनुपस्थित करना चाहिए।आरोप और प्रत्यारोप के बीच सहायक अध्यापिका और कथा वाचक रागिनी मिश्रा ने आखिरकार अब अपनी चुप्पी तोड़ दी है। उन्होंने मीडिया में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके साथी अध्यापक ही उनके खिलाफ षडयंत्र रच रहे हैं। सहायक अध्यापिका रागिनी मिश्रा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि हर व्यक्ति का कर्म क्षेत्र और धर्म क्षेत्र अलग है। वह अपने खाली समय में कुछ भी कर सकती हैं। इससे उनके अध्यापकन में कोई असर नहीं पड़ता है।
वह नियमित विद्यालय जाती हैं और बच्चों को पढ़ाने का काम करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन उन्हें लगेगा कि उनके कारण बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, वह खुद अपने पद से इस्तीफा दे देंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह भगवान राम को अपना आराध्य मानती हैं। वह कथा वाचन का काम 6 वर्ष की उम्र से करती हैं। उन्हें उनके आराध्य से उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता। रागिनी मिश्रा ने कहा कि उन्हें षड्यंत्र कर फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह अपना आध्यात्मिक कार्य अपने नैतिक कामों से निवृत होकर करती हैं। कुछ स्थानीय पत्रकारों को घेरा। इन आरोप और प्रत्यारोपों के बीच बेसिक शिक्षा विभाग मऊ ने भी अपनी दखल दे दी है। संबंधित प्रकरण के जांच का आदेश दिया है।
विभागीय अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षिकाओं के बीच मिलीभगत के चलते शिक्षिका रागिनी मिश्रा मनमाने ढंग से विद्यालय आती हैं। हफ्ते में एक दिन आकर बीते दिनों की हाजिरी भर जाती हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, वह हफ्तों में एकाध बार स्कूल पहुंचती हैं और उपस्थिति पंजिका में एक साथ छूटे हुए दिनों की उपस्थिति दर्ज कर देती हैं।कथावाचक भी हैं रागिनी मिश्रा..
बताते हैं कि रागिनी मिश्रा एक कथित कथा वाचक भी है और हफ्तों विद्यालय नहीं जाती हैं। विभागीय कार्यों में अपनी हिम्मत और प्रभाव का प्रदर्शन करते हुए वे विद्यालय में न जाकर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती हैं। इस तरह के कारनामे विभाग में चर्चाओं का विषय बने हुए हैं लेकिन कोई भी इन्हें खुलकर सामने नहीं ला पाता।
बताई जाती हैं BSA की करीबी..
सूत्रों और मीडिया द्वारा प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार, रागिनी मिश्रा बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) की करीबी हैं और उनका प्रभाव इतना अधिक है कि कोई भी शिक्षक उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता। यदि कोई विरोध करता है तो विभागीय अधिकारियों द्वारा उस पर कार्रवाई कर दी जाती है और उसका वेतन रोक लिया जाता है।
26 नवम्बर 2024 से 3 दिसम्बर 2024 तक रागिनी मिश्रा की उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड नहीं..उपस्थिति पंजिका या रजिस्टर में 26 नवम्बर 2024 से 3 दिसम्बर 2024 तक रागिनी मिश्रा की उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड नहीं है। 4 दिसम्बर 2024 को वह विद्यालय पहुंचकर सभी छूटे हुए कार्य दिवसों की उपस्थिति एक साथ दर्ज कर देती हैं। इसी तरह 11 और 12 नवम्बर 2024 को भी रागिनी मिश्रा का स्थान उपस्थिति रजिस्टर में खाली है। बाद में इसे दर्ज कर लिया जाता है।
यह घटना शिक्षा के अधिकार कानून और सरकारी योजनाओं के प्रति घोर लापरवाही को उजागर करती है। इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गांव और प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की बात करते हैं। ऐसे में अधिकारी स्तर के सरकारी कमर्चारी और शिक्षिकाएं ही उनकी योजनाओं को कमजोर कर रहे हैं और गांव के बच्चों के मूलअधिकारों का भी उल्लंघन कर रही हैं।
नाम लेने वाले का रुक जाता है वेतन..
रागिनी मिश्रा अपने पावरफुल संबंधों का दुरुपयोग करते हुए कभी विद्यालय नहीं आती हैं। उनके खिलाफ बोलने वालों का वेतन कट जाने से बाकी शिक्षकों में भय भी बना हुआ है। ऐसे में उनके खिलाफ बोलने से काफी लोग बचते भी हैं। क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों से उनके अच्छे संबंध हैं इस वजह से उनके खिलाफ बोलने वाले टीचरों का वेतन रोक दिया जाता है।
बीएसए ने पत्रकारों को दोषी बताकर कार्रवाई की मांग की..इस मामले में बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) संतोष कुमार उपाध्याय भी कूद गए हैं। बीएसए उपाध्याय रागिनी मिश्रा को बचाने में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी, सीडीओ, एडीएम और जिला सूचना अधिकारी के नाम एक पत्र भी लिखा है। पत्र में उपाध्याय की तरफ से कहा गया है- उन्होंने पूरी शिद्दत से जांच करा ली है। पत्रकारों द्वारा लगाये गए आरोप बेबुनियाद हैं। और इस तरह का कृत्य सरकार व उनके मातहतों को भी बदनाम करता है। कार्यवाही की जाए।
क्या शिक्षिका का स्कूल छोड़कर कथावाचन करना नियमविरुद्ध नहीं..
एक शिक्षिका जब स्कूल छोड़कर प्राइवेट कोचिंग पढ़ाती है तो यह नियमविरुद्ध माना जाता है तो क्या शिक्षिका जब स्कूल में अनुपस्थित होकर कथावाचन करने जाती है तो क्या यह नियमविरुद्ध नहीं है? सब कुछ साफ होने के बाद भी विभागीय अधिकारी इस मामले में लीपापोती कर रहे हैं और शिक्षिका को बचाने की जुगत में लगे हैं।
कहीं नेपाल तो कहीं ... की ट्रिप कर रही शिक्षिका..स्कूल में अनुपस्थित होकर शिक्षिका रागिनी मिश्रा कहीं नेपाल तो कहीं ... ट्रिप पर निकल जाती हैं। उनके कई वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। रागिनी के हौसले इसलिए बुलंद हैं क्योंकि उन पर सवाल उठाने वाला कोई नहीं है और अगर है तो उस पर कार्रवाई कर दी जाती है। ऐसे में बिना किसी डर के रागिनी मिश्रा स्कूल छोड़कर कभी भी कहीं भी जा सकती है।
भीख मांगकर न्याय की लड़ाई लड़ रहे मऊ के पत्रकार..रागिनी मिश्रा के खिलाफ खबर चलाने वाले इन पत्रकारों ने स्कूल के बच्चों से भी बातचीत की है जिन्होंने खुद बताया है कि मैम पढ़ाने नहीं आती हैं। अब रागिनी मिश्रा की ओर से पत्रकारों के खिलाफ सरायलखांसी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन पत्रकारों पर यह आरोप लगाया गया है कि ये लोग उनसे रंगदारी मांग रहे थे। इसे लेकर पत्रकारों का कहना है कि यह आरोप सरासर गलत है और उन्हें सच्ची पत्रकारिता करने की कीमत चुकानी पड़ रही है। पत्रकार अभिषेक सिंह ने कहा कि रागिनी मिश्रा कथा वाचिका हैं और काफी ताकतवर हैं।
वे लोग आर्थिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि हम उनका मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए हमें न्याय पाने के लिए लोगों से आर्थिक सहयोग जुटाना पड़ रहा है। साथ ही हम जनता के बीच जा रहे हैं और शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लगातार उजागर कर रहे हैं। पत्रकार संजय यादव ने कहा कि हमारा हौसला नहीं टूटने वाला है, चाहे हमारे ऊपर कितनी भी FIR दर्ज कर दी जाए। हम लोग सच्ची पत्रकारिता करते रहेंगे और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ जारी रखेंगे।
पत्रकारों पर हुए FIR में सामने आए मंत्री अनिल राजभर, बोले मैं चौथे स्तंभ के साथ, मुख्यमंत्री से करूंगा शिकायत..

पत्रकारों का कहना है कि कभी स्कूल न जाने वाली शिक्षिका ने पोल खुलने के डर से शिक्षकों को फ़र्ज़ी केस में फँसा दिया है। पत्रकारों का कहना है कि मऊ जिले के परदहा ब्लॉक के रणवीर पुर कंपोजिट विद्यालय की शिक्षिका रागिनी मिश्रा विभाग की मिली भगत से कभी विद्यालय नहीं जाती थीं। यदि कोई अध्यापक इसके खिलाफ बोलता था तो गुणवत्ता के नाम पर उसका वेतन रोक दिया जाता था। साक्ष्य मिलने और ग्रामीणों की शिकायत पर जब मीडिया स्कूल पहुंची तो उस दिन भी रागिनी मिश्रा विद्यालय पर नहीं थीं। मामला संज्ञान में आने पर उन्होंने दोपहर में अपना मेडिकल प्रभारी प्रधानाध्यापक के वाट्सअप नंबर भेजा। वहां के शिक्षकों और बच्चों ने भी ऑन कैमरा इस बात को स्वीकार किया था परंतु बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षिका के खिलाफ कोई भी एक्शन लेने की बजाय जनपद के 6 पत्रकारों के खिलाफ उल्टा मुकदमा दर्ज करवा दिया है। स्कूल में कोई शिक्षक इनके खिलाफ कुछ नहीं बोलता क्योंकि ये वेतन रुकवा देती है। बिना स्कूल में पढ़ाए मोटी सैलरी ले रही हैं, जब पत्रकारों ने खिलाफ खबर चलाई तो 6 पत्रकारों पर FIR करवा दिया है।
इस पूरे मामले पर सीडीओ प्रशांत नागर ने कहा कि मामले की जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सख्त कार्रवाई की जायेगी। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर किसी शिक्षिका में इतनी ताकत कहां से आई कि उसके खिलाफ न ही कोई अध्यापक बोल पा रहा न ही प्रधानाध्यापक उसे अनुपस्थित दिखा पा रहा। सबकी चुप्पी आखिर किस तरफ इशारा कर रही? क्या किसी अधिकारी का धौंस है या फिर मामला कुछ और, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
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