Ayodhya News: मिल्कीपुर उपचुनाव 5 फरवरी को , 3 लाख 70 हजार मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और भाजपा में कड़ा मुकाबला, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने पासी बिरादरी को प्रत्याशी बनाया है...

अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की धर्म नगरी अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव होना है जहां पर समाजवादी पार्टी ने अयोध्या फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं पर भारतीय जनता पार्टी ने चंद्रभान पासवान को जो पासी समाज से आते हैं और उनका मुकाबला अजीत प्रसाद से है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से बीजेपी ने पासी विरादरी के प्रत्याशी को मैदान में उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। दोनों पासी समाज से ही आते हैं। मिल्कीपुर सीट पर कांग्रेस और बसपा ने प्रत्याशी न उतारने का फैसला लिया है, लिहाजा इस हाई-प्रोफाइल सीट पर सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच ही है।
समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद की तरह ही चंद्रभान पासवान युवा नेता हैं। इस सीट पर बीजेपी की तरफ से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ व पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी ने भी दावेदारी की थी, लेकिन प्रतिष्ठा का सवाल बनी इस सीट पर बीजेपी ने नए चेहरे को मौका देकर सभी को चौंका दिया है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की धर्म नगरी अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का चुनाव का बिगुल बज गया है। राजनीतिक पार्टियों अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार में जुट गई है। मिल्कीपुर उपचुनाव 10 जनवरी से नामांकन, 17 जनवरी तक नामांकन, 18 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच, 20 जनवरी को नाम वापसी, 5 फरवरी को होगा मतदान, 8 फरवरी को होगी मतगणना । 3 लाख 70 हजार 829 मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला। 1 लाख 92 हजार 984 पुरुष मतदाता,1 लाख 77 हजार 838 महिला मतदाता। सात थर्ड जेंडर भी करेंगे मतदान। विधानसभा क्षेत्र में 4811 नए युवा मतदाता।
विधानसभा में है 255 मतदान केंद्र,414 मतदेयस्थल।विधानसभा क्षेत्र में लगाए गए हैं चार जोनल मजिस्ट्रेट, 41 सेक्टर मजिस्ट्रेट। ऐसे में अब ठंड के मौसम में चुनावी पारा गर्म हो गया। सियासत बाजी का दौर शुरू हो गया। सपा, भाजपा के बीच शब्द वार होने लगा। इस सीट के हार जीत से सपा, भाजपा का कोई बहुत मतलब नहीं है सरकार पर भी कोई प्रभाव नहीं है फिर भी उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ इस सीट को लेकर प्रतिष्ठा बनाए हैं और आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की ड्यूटी लगा दिए हैं। वहीं पर समाजवादी पार्टी भी इस सीट को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव व यहां के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद अवधेश प्रसाद भी एड़ी चोटी एक किए हैंऔर जीत का दावा कर रहे हैं ।ऐसे में मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होगा। इस बार देखा जा रहा है कि चुनाव प्रत्याशी नहीं बल्कि पार्टी और पार्टी के मुखिया चुनाव लड़ रहे हैं। सारी प्रतिष्ठा पार्टी और पार्टी के मुखिया की लगी हुई है।
पिछली बार समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने यह सीट जीती थी। यदि पुराना इतिहास देखा जाए तो यह सीट ज्यादातर समाजवादी पार्टी के मित्रसेन यादव के इर्द-गिर्द ही रही है पहले यह सीट सामान्य सीट थी, किंतु अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई है जिस कारण अनुसूचित जाति का ही प्रत्याशी यहां से चुनाव लड़ रहा है।
लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद को ही अयोध्या से उतार दिया। अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की और मिल्कीपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। अवधेश प्रसाद के अयोध्या की लोकसभा सीट जीतने और भाजपा के हारने से पूरे देश में यह सीट चर्चा का विषय बन गई। सपा ने भी इसे खूब भुनाया। अवधेश प्रसाद को अखिलेश ने लोकसभा में अपने साथ सबसे आगे बैठाया। यही नहीं मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया।
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लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में मिल्कीपुर समेत कुल 10 सीटें रिक्त हुई थीं। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के ऐलान के साथ ही यूपी की दस में से नौ सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हुआ लेकिन मिल्कीपुर का चुनाव टाल दिया गया। चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट का मामला हाईकोर्ट में होने के कारण उपचुनाव का ऐलान नहीं किया। मिल्कीपुर सीट को लेकर सपा व भाजपा द्वारा शब्दबाण चलाई गई। सपा ने इस सीट से प्रत्याशी का भी ऐलान तभी कर दिया था। सपा की तरफ से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारने का ऐलान किया गया है। चुनाव को यदि चुनाव की तरह लड़ा जाए अपनी-अपनी पार्टियों अपने द्वारा किए गए कार्यों और भविष्य में कराए जाने वाले कार्यों का बखान करें तो बेहतर होगा।
किंतु उससे हटकर अपने सामने वाले राजनीतिक दल पर जितना तीखा चुनावी वार चला सकते हैं चलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। वह चाहे जो राजनीतिक दल हो सभी की यही हाल है। वर्तमान समय में देखा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण, महंगाई, बेरोजगारी जैसे आदि मुद्दे चुनाव में नहीं उठ पाते हैं। जनता चाहती है कि आमदनी के हिसाब से महंगे हो जिस कारण सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ता है। इसी प्रकार लोग अपने बच्चों को शिक्षित करके नौकरी और रोजगार की तलाश में रहते हैं किंतु जब नहीं मिलता है तो समस्या खड़ी हो जाती है। शायद इस सब का मूल कारण बढ़ती जनसंख्या है। आजादी के समय जो जनसंख्या थी और आज जो जनसंख्या है उसमें बहुत बड़ा अंतर है। किंतु कोई भी राजनीतिक दल बढ़ती जनसंख्या की तरफ निगाह नहीं कर रहा है। जो इस देश और इस क्षेत्र की मूल समस्या का जड़ है।
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