Sitapur : बिसवां में शुभाशीष काव्य संध्या का आयोजन, अथर्व मौर्य के जन्मदिन पर कवियों ने साधा मन

कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य देवेंद्र देव ने की। मुख्य अतिथि सांसद छत्रपाल गंगवार ने अथर्व मौर्य को आशीर्वाद दिया और लंबी आयु व सफलता की कामना की। विशिष्ट अतिथि रा

Dec 7, 2025 - 20:54
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Sitapur : बिसवां में शुभाशीष काव्य संध्या का आयोजन, अथर्व मौर्य के जन्मदिन पर कवियों ने साधा मन
Sitapur : बिसवां में शुभाशीष काव्य संध्या का आयोजन, अथर्व मौर्य के जन्मदिन पर कवियों ने साधा मन

Report : संदीप चौरसिया INA NEWS सीतापुर

सीतापुर। राष्ट्रीय कवि संगम बरेली (ब्रज प्रांत) के तत्वावधान में कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु के संयोजन में शुभाशीष काव्य संध्या का आयोजन बिसवां में हुआ। यह कार्यक्रम कमलेश मौर्य मृदु के पौत्र अथर्व मौर्य के जन्मदिन पर किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य देवेंद्र देव ने की। मुख्य अतिथि सांसद छत्रपाल गंगवार ने अथर्व मौर्य को आशीर्वाद दिया और लंबी आयु व सफलता की कामना की। विशिष्ट अतिथि राजेश गौड़, डॉ. महेश मधुकर और हिमांशु निष्पक्ष रहे। कवि सम्मेलन का संचालन रोहिलखंड संयोजक रोहित राकेश ने किया।

कमल सक्सेना की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन शुरू हुआ। हिमांशु निष्पक्ष ने कहा- गजब का ज्ञान वेदों की पढ़ाई में निकलता है, जगत में सच सनातन की दुहाई में निकलता है। कहीं केशव कहीं शंकर कहीं देवी निकलती हैं, खुदाई का करिश्मा हर खुदाई में निकलता है।

रोहित राकेश ने कहा- आंखें जो दो थी उनको भी तो चार कर गए, कमबख्त अपने दिल का भी व्यापार कर गए।

डॉ. महेश मधुकर ने कहा- जीवन का पथ बहुत कठिन है, संभल-संभल कर चलना भाई। है घुमाव हर एक मोड़ पर, ठौर-ठौर बैठी कठिनाई।

मुकेश मीत ने कहा- आसमां पे ढूंढें, आओ जमीं पे ढूंढें। जो खो गईं हैं खुशियां उनको यहीं पे ढूंढें।

कवयित्री किरण प्रजापति दिलवारी ने कहा- अपने पलड़ों में सिर्फ सच को ही ये तोलेगी, भेद कैसा भी हो ये उसकी परत खोलेगी। मुझको चुप कैसे करा पाओगे बोलो आखिर, मैं न बोलूंगी तो फिर मेरी कलम बोलेगी।

गीतकार कमल सक्सेना ने कहा- पतझर जो आ गया तो बहारों की क्या खता। जो चांद छिप गया तो सितारों की क्या खता। था दोष किसी और का तो हमको क्यों लगा, डूबी है नाव तो है किनारों की क्या खता।

उमेश त्रिगुणायक अद्भुत ने कहा- गैर की खातिर दिया है, क्या करें। जख्म उसने फिर दिया है, क्या करें। मूसलों से अब जिरह बेकार है, ओखली में सिर दिया है, क्या करें।

संयोजक कमलेश मौर्य मृदु ने तब और अब की तुलना करते हुए कहा- पहले तो थे बिना बात के घंटों तक बतियाते हम। अब तो किसी से बिना स्वार्थ के मिलने से कतराते हम। अब हम इतने व्यवसायिक हैं नपी-तुली बातें करते, जिससे जितना मतलब होता उतना ही मुस्कurate हम।

आचार्य देवेंद्र देव ने कहा- बहारें दें तुमको आशीष, थिरक कर मन के आंगन में। घटाएं गम की मत छाएं, कभी भी उजले जीवन में।

रामचंद्र मौर्य, डॉ. लक्ष्मी मौर्य और दीपू चौहान ने कवियों व अतिथियों का स्वागत किया। आयोजक अनुभव मौर्य ने आभार व्यक्त किया। सभी ने अथर्व मौर्य के लंबे जीवन की कामना की। प्रीति भोज के साथ आयोजन समाप्त हुआ।

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