विश्व ध्यान दिवस- ध्यान ईश्वर-साक्षात्कार का विज्ञान।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, दुनिया भर में ध्यान (Meditation) या चिन्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, 21 दिसम्बर को विश्व ध्यान दिवस घोषित...

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, दुनिया भर में ध्यान (Meditation) या चिन्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, 21 दिसम्बर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है और वर्ष 2024 में यह प्रथम दिवस मनाया जा रहा है।ध्यान ईश्वर-साक्षात्कार का विज्ञान है। यह विश्व का सबसे अधिक व्यावहारिक विज्ञान है। यदि संसार के अधिक से अधिक लोग आत्मज्ञान के लाभदायक परिणामों को समझने लगें तो वे सभी ध्यान करने लगेंगे। ध्यान का परम उद्देश्य परमात्मा की चेतना की अनुभूति करना और उनके साथ आत्मा की शाश्वत एकता प्राप्त करना है।
सीमित मानवीय क्षमताओं को सृष्टिकर्ता की सर्वव्यापी व सर्व शक्तिमान सत्ता से एकाकार करने से अधिक उपयोगी और महत्वपूर्ण भला दूसरी कौन सी उपलब्धि हो सकती है? ईश्वर-साक्षात्कार साधक के जीवन को परमात्मा की परम शांति, प्रेम, आनंद, शक्ति और विवेक से परिपूर्ण कर देता है। ध्यान एकाग्रता का उत्कृष्ट रूप में प्रयोग करना है। ध्यान से भटकावों को मुक्त कर अपनी रुचि के किसी विचार पर केंद्रित करना ही एकाग्रता है। ध्यान एकाग्रता का विशिष्ट रूप है जिसमें ध्यान को हर प्रकार के भटकाव व अशांति से हटाकर परमात्मा पर केंद्रित किया जाता है। ध्यान इसलिए परमात्मा को खोजने के लिए एकाग्रता का व्यावहारिक प्रयोग है।
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परमात्मा की विद्यमानता का पहला प्रमाण है अनिर्वचनीय शांति। यह शांति ऐसे आनंद उल्लास में खिलती है जो साधारण मनुष्य की समझ से नितांत परे है। एक बार भी यदि आप सत्य व जीवन के मूल स्त्रोत की अनुभूति कर लेते हैं तो संपूर्ण प्रकृति आपके साथ संवाद करने लगती है। “ईश्वर को अपने अंतःकरण में खोज कर आप उन्हें हर तरफ और हर परिस्थिति में अनुभव करने लगेंगे।”
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