बिहार चुनाव में हार के बाद यूट्यूबर मनीष कश्यप का भावुक पोस्ट- मां को याद कर बोले, जेल से ज्यादा दुख आज का, 37 हजार वोटों का आशीर्वाद मिला
यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हजारों लाइक्स और कमेंट्स आए। कई यूजर्स ने कहा कि मनीष की हिम्मत देखने लायक है। एक यूजर ने लिखा, "तुम्हारी मां को सलाम,
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने न केवल पारंपरिक दलों को हिला दिया, बल्कि सोशल मीडिया के सितारों को भी राजनीतिक पटल पर परखा। जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के उम्मीदवार और यूट्यूबर मनीष कश्यप, जिन्हें त्रिपुरारी कुमार तिवारी के नाम से भी जाना जाता है, चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट से तीसरे स्थान पर रह गए। उन्हें कुल 37,172 वोट मिले, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार उमाकांत सिंह से 50,366 वोटों के अंतर से हार गए। चुनाव हारते ही मनीष ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने अपनी मां को याद किया और कहा कि जेल जाने जितना दुख नहीं हुआ, उतना आज का दर्द है। उन्होंने लिखा कि बिहार बदलने के चक्कर में परिवार का हालात न सुधार पाने का पछतावा है। यह पोस्ट वायरल हो गया और लोगों ने उनकी हिम्मत की तारीफ की। मनीष का यह सफर यूट्यूब से विधानसभा तक का है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा और सबक दोनों है।
मनीष कश्यप का जन्म बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। वे 34 वर्ष के हैं और ग्रेजुएट प्रोफेशनल हैं। 2025 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 88.4 लाख रुपये है, जिसमें 53.4 लाख रुपये की चल संपत्ति शामिल है। उनके ऊपर 17 लाख रुपये का कर्ज भी है। मनीष ने दो आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री फैलाने से जुड़े हैं। वे यूट्यूब पर 'मनीष कश्यप' चैनल चलाते हैं, जिसके 9.6 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। उनका चैनल बिहार-यूपी के मुद्दों, सामाजिक न्याय और प्रवासी बिहारियों की समस्याओं पर वीडियो बनाता है। मनीष की वीडियो वायरल होने का राज उनकी सीधीबोल भाषा और आम आदमी की पीड़ा को आवाज देना है। वे कहते हैं कि यूट्यूब ने उन्हें पहचान दी, लेकिन राजनीति ने सपना दिखाया।
मनीष की राजनीतिक यात्रा 2023 से शुरू हुई। उसी साल तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर बिहारी प्रवासियों पर हमलों की अफवाहें फैलाईं। चेन्नई में लॉकडाउन के दौरान बिहारियों पर कथित अत्याचार के वीडियो शेयर करने पर मामला दर्ज हुआ। जेल में 100 से ज्यादा दिन बिताने के बाद वे रिहा हुए। इस घटना ने उन्हें बिहार में हीरो बना दिया। कई लोगों ने कहा कि वे बिहारी अस्मिता के प्रतीक हैं। रिहाई के बाद 2024 में मनीष भाजपा में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी जॉइन की, लेकिन टिकट न मिलने पर नाराज हो गए। फिर वे प्रतीक किशोर की जन सुराज पार्टी में चले गए। जेएसपी ने उन्हें चनपटिया से टिकट दिया, जहां 2020 में भाजपा के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोटों से हराया था। मनीष ने प्रचार में कहा कि वे जाति-धर्म के बंधन से ऊपर बिहार बदलने आए हैं।
चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में हुए। नतीजे 14 नवंबर को आए। एनडीए को 202 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन को 35। जेएसपी जैसे नई पार्टियों को कुल छह सीटें मिलीं। चनपटिया में मनीष को 37,172 वोट पड़े, जो कुल वोटों का 17.2 प्रतिशत था। वे तीसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस के अभिषेक रंजन ने जीत हासिल की। मनीष ने कहा कि उनके वोट जाति या पार्टी के नाम पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत मेहनत से मिले। प्रचार के दौरान उन्होंने साइकिल पर गांव-गांव घूमे और यूट्यूब लाइव सेशन किए। लेकिन स्थापित दलों की मशीनरी के आगे वे टिक न सके। हार के बाद मनीष ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने अपनी मां को संबोधित करते हुए कहा, "मां आज फिर तुम्हारे सिवा मेरे पास कुछ नहीं बचा। अच्छा होता मैं बिहार बदलने की जगह अपना परिवार का हालात बदलता तो शायद किस्मत में 22 मुकदमे और अनेकों बार जेल नहीं जाता।" उन्होंने आगे लिखा, "आज कुछ लोग ताने मार रहे हैं और कह रहे हैं कि क्या मिला तुझे अब हार के बाद। उन्हें कैसे बताऊं कि 37,172 लोगों का आशीर्वाद मुझे जाति या पार्टी के नाम पर नहीं, अपने दम पर मिला। जेल जाते वक्त मैं इतना दुखी नहीं था जितना दुखी आज हूं क्योंकि मैंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था और बदले में मुझे हार और लोगों के ताने मिले। लेकिन वादा करता हूं, तब तक प्रयास करूंगा जब तक जीत न हूं।"
यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हजारों लाइक्स और कमेंट्स आए। कई यूजर्स ने कहा कि मनीष की हिम्मत देखने लायक है। एक यूजर ने लिखा, "तुम्हारी मां को सलाम, जो बेटे को संभालती है।" लेकिन कुछ ने ताने भी कसे, जैसे "यूट्यूब पर वोट मांगते हो, लेकिन वोटिंग मशीन पर हार जाते हो।" मनीष का यह दर्द बिहार की राजनीति की कड़वी सच्चाई दिखाता है। जेएसपी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी पार्टी के प्रदर्शन पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि नई पार्टी को समय लगता है। मनीष की हार ने दिखाया कि सोशल मीडिया की लोकप्रियता चुनावी सफलता की गारंटी नहीं। चनपटिया जैसे ग्रामीण इलाकों में जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दे ज्यादा असर डालते हैं। मनीष ने प्रचार में बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों की समस्या और विकास पर जोर दिया। उनके वीडियो में वे कहते थे, "मैं जेल गया, लेकिन झुका नहीं। अब विधानसभा जाऊंगा।"
मनीष का परिवार अब शोक में है। उनकी मां ने एक इंटरव्यू में कहा, "बेटा ने सब कुछ दांव पर लगाया। हार से दुख तो है, लेकिन गर्व भी है।" मनीष के पिता एक छोटे व्यापारी हैं, जो चनपटिया में रहते हैं। मनीष की पत्नी और दो बच्चे भी प्रचार में साथ थे। हार के बाद मनीष ने कहा कि वे यूट्यूब पर लौटेंगे और राजनीति नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने वादा किया कि अगले प्रयास में जीत लेंगे। बिहार चुनाव में अन्य यूट्यूबर्स जैसे खेसारी लाल यादव और ज्योति सिंह भी हार गए। तेज प्रताप यादव को महुआ से करारी शिकस्त मिली। लेकिन एनडीए की जीत ऐतिहासिक रही। नीतीश कुमार और भाजपा ने 200 से ज्यादा सीटें जीतीं। विपक्ष की M-Y फॉर्मूला कमजोर साबित हुआ।
Also Click : Sambhal: जिसका वोट नहीं बनेगा दिल्ली में बैठे लोग उसे कहेंगे बांग्लादेश- रामगोपाल यादव
What's Your Reaction?