Hardoi: मंडी में हो रहा नकद भुगतान, फिर क्रय केंद्रों पर धान बेचने क्यों जाएं किसान, वहां पसरा सन्नाटा
पिहानी क्षेत्र में इस बार धान की बंपर फसल हुई है। त्योहार से पहले किसान धान बेचने में जुटे हुए हैं। ऐसे में मंडी में हाथों-हाथ भुगतान होने की वजह से किसान क्रय केंद्रों के बजाय सीधे मंडियों में धान बेच रहे हैं। सरकारी धन केदो पर नियमों के प्रपंच में न पड़कर किसान सीधे नगद भुगतान लेकर धान को बेच रहा है।
सरकारी केंद्रों पर किसानों की नहीं हो रही धान की तौल, नियमों के प्रपंच को लेकर किसानों ने भी सरकारी केंद्रों से मुंह मोड़ लिया
Hardoi News INA.
पिहानी सरकारी क्रय केंद्रों की अपेक्षा नकदी भुगतान की वजह से किसान हरदोई शाहजहांपुर सीतापुर मंडियों में धान बेच रहे हैं। यहीं वजह है कि एक तरफ सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है तो वहीं, मंडी में किसानों की भीड़ उमड़ रही है। इन प्राइवेट मंडियों में किसानों को जरूरत पड़ने पर लाख दो लाख प्राइवेट व्यापारी एडवांस भी दे देते हैं।
पिहानी क्षेत्र में इस बार धान की बंपर फसल हुई है। त्योहार से पहले किसान धान बेचने में जुटे हुए हैं। ऐसे में मंडी में हाथों-हाथ भुगतान होने की वजह से किसान क्रय केंद्रों के बजाय सीधे मंडियों में धान बेच रहे हैं। सरकारी धन केदो पर नियमों के प्रपंच में न पड़कर किसान सीधे नगद भुगतान लेकर धान को बेच रहा है। किसानों का आरोप है कि सरकारी केंद्रों पर बगैर दलाल के तौल नहीं होती है उसमें भी एक ट्राली में तीन से चार दिन का समय और सैकड़ो नियमों का पालन करना पड़ता है।आलम यह है कि धान क्रय केंद्र पर जाने वाले किसानों को धान में नमी ज्यादा होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है, जिससे वे बाजार में औने पौने दामों पर धान बेंचने को मजबूर है। दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष अरविंद मौर्य ने कहा कि किसानों के धान की खरीद सभी सरकारी केंद्रों पर नहीं हो रही है। किसानों के धान में नमी बताकर तौल नहीं की जाती। जबकि, व्यापारियों का धान खरीदा जा रहा है। इसकी जांच कर क्रय केंद्र संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
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