कानपुर न्यूज़: यादे हुसैन में हामिद मियां का अलम जूलूस बड़ी शान और शौकत के साथ नई सड़क से निकाला गया।
- इमामबारगाहों, कर्बलाओं, खानकाहों, मस्जिदों और घरो में जिकरे शाहादतैन और मजलिसे हुसैन बरपा होने का सिलसिला जारी,
जन्नत का रास्ता है तेरा
रास्ता हुसैन
कानपुर। आज यहां मोहर्रमकी 4 तारीख पर हामिद मियां का 134 वर्ष पुराना अलम का जुलूस अपनी पुरानी शान व शौकत अबद के एहतराम के साथ नई सडक सुनहरी मस्जिद के सामने से निकाला गया। जुलूस का नेतृत्व मो० मुन्ना, अजमत अली अशरफी, मोहम्मद नसीम और रफीक अहमद कुरैशी कर रहे थे। जुलूस में घुड़सवार पुलिस आगे आगे चल रही थी ये जुलूस यहां से फूलवाली गली. इफितखाराबाद, रूपम चौराहा, हलीम कालेज चमनगंज, मो0 अली पार्क, से गुजरता हुआ गुलाब घोसी की मस्जिद नाला रोड कंघी मोहाल, बेकनगंज, तलाक महल अमीनगंज से गश्त करता हुआ दादामिया चौराहा पहुंचा।
यहां से पेचबाग होता हुआ वापस नई सड़क पर रात 9 बजे के बाद समाप्त हुआ। जूलूस में दर्जनों ऊँट मोहर्रमी रंगों से सजे चल रहे थे। जिनमें छोटे बड़े बच्चों को लिये अकीदतमन्द बैठे हुए थे और मोहर्रनी कपड़े पहने हुए थे जुलूस मे लाल हरे पटकों के साथ दर्जनों अलम अकीदतमन्द लेकर चल रहे थे बेशुमार सब्ज हिलाली परचम भी साथ थे जुलूस में शामिल करीब एक दर्जन ठेलों से लाउडस्पीकर के द्वारा नौहाख्वानी की जा रही थी और अकीदतमन्द नौहो के द्वारा पैगम्बरे इस्लाम के नवासे शहीदे आजम हजरत इमान हुसैन और उनके साथ मैदाने कर्बला में शहीद हुए 72 साथियों को खिराजे अकीदत पेश कर रहे थे।
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कुछ घोड़ों पर लोग अरबी लिबास पहने बैठे थे और नारये हुसैनी लगा रहे थे जुलूस जिधर से भी गुजरता हजारों अकीदतमन्द सड़क के दोनों ओर इस्तकबाल करते हुए दिखाई दिये। महिलाएं भी अपने घरों की छतों से अलम व ताजिये की जियारत कर रही थीं। बिरयानी जर्दा और शिरीनी का तबर्रुक बॉटा जा रहा था। जुलूस में पुलिस की समुचित व्यवस्था थी दूसरी तरफ।
झूलापार्क खलासी लाइन से अलम का जुलूस बड़ी शान से इस्माईल के नाम से उठाया गया जो सूटरगंज से होता हुआ अपने कदीमी रास्तों से गश्त करता हुआ ग्वालटोली से होता हुआ देर रात झूला पार्क के पास समाप्त हुआ। उधर इमामबाड़ों, मस्जिदों, कर्बलाओं, खानकाहों और मुसलमानों के घरों में बने इमाम बारगाहों में मजलिसे अजा और इमाम चौकों पर जिकरे शाहादतैन व कुरान ख्वानी का सिलसिला देर रात तक जारी रहता है।
इमामबारगाह आगामीर की मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना जहीर अब्बास साहब (लखनऊ,) ने कहा कि यज़ीद नुमाईन्दाह था फिरौन का, शद्दाद का ननरूद का अबूलहब अबूजेहल का और हज़रत इमाम हुसैन नुमाइन्दे थे हजरत आदम के हज़रत नूह के हजरत मूसा के हज़रत ईसा के और ताजदारे अम्बिया हजरत मोहम्मद स०अ० वसल्लम के।
मौलाना ने आगे कहा कि हजरात इमाम हुसैन ने इस्लाम का परचम कर्बला के मैदान मे अपने और अपने 72 जानिसारों की अजीम कुर्बानी पेश करके कायमत तक के लिये ऊंचा कर दिया और इस्लाम व इंसानियत विरोधी ताकतों का सर हमेशा के लिये नीचा कर दिया। मजलिस से पहले शायरों ने बारगाहें हुसैनी में मन्जूम अशआर का नज़राना पेश किया।
दुनिया भी है हुसैन की जन्नत हुसैन की
जन्नत का रास्ता है मोहब्बत हुसैन की
शहर की मजलिसों में इब्ने हसन जैदी, नवाब मुमताज, कासिम अब्बास, हाजी मुन्सिफ अली रिज़वी, पप्पू मिर्जा, असर कानपुरी, ताज कानपुरी, परवेज जैदी, कुमैल नमाजी, एहसान हुसैन, जवाज हैदर, अयाज़ हैदर, नज़ीर हैदर, फुरकान हैदर रिज़वी आदि मौजूद थे।
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