गीत- मतलब की दुनियादारी में, मतलब के रिश्ते नाते हैं .....
जो दलदल के बाशिंदे हैं, अपने दामन के कीचड़ को....

अमिता मिश्रा "मीतू"
उपन्यासकार,साहित्यकार
मतलब की दुनियादारी में
मतलब की दुनियादारी में
मतलब के रिश्ते नाते हैं
मतलबी चाहतों के किस्से
हैं लिखे फरेबी गलियों में
जो तोड़ मतलबों के जाले
जा निकले सत्य पथिक बनकर
उन पर कीचड़ हैं फेंक रहे
जो दलदल के बाशिंदे हैं
अपने दामन के कीचड़ को
वो बता रहे संघर्ष कठिन
उजले दामन पर दाग लगा
मुंह उजला करके घूम रहे
निर्दोष आह जब निकलेगी!
ईश्वर की लाठी टूटेगी..
कर ऊंचा कॉलर ऐंठ रहे
कल अंधियारे में डूबेंगे
मत सता किसी को इतना भी
जो ईश्वर का दिल तड़प उठे
सच्ची आहें मासूम अश्रु..
एक दिन ले डूबे मतलब को।
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