Hardoi : असगरपुर का डॉ. अंबेडकर सामुदायिक केंद्र बदहाल, झाड़ियों और गंदगी में तब्दील

गांव के निवासियों ने बताया कि इस भवन के निर्माण का उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ते और सुविधाजनक स्थान उपलब्ध कराना था। लेकिन आज यह

Aug 21, 2025 - 22:18
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Hardoi : असगरपुर का डॉ. अंबेडकर सामुदायिक केंद्र बदहाल, झाड़ियों और गंदगी में तब्दील
असगरपुर का डॉ. अंबेडकर सामुदायिक केंद्र बदहाल, झाड़ियों और गंदगी में तब्दील

हरदोई : जिले के शाहाबाद ब्लॉक की असगरपुर ग्राम पंचायत में लाखों रुपये की लागत से बनाया गया डॉ. अंबेडकर सामुदायिक केंद्र आज बदहाली का शिकार है। इस भवन को ग्रामीणों के लिए विवाह समारोह और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बनाया गया था, ताकि उन्हें एक सुविधाजनक स्थान मिल सके। लेकिन रखरखाव के अभाव और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह भवन पूरी तरह वीरान पड़ा है। अब यह झाड़ियों, कूड़े और गंदगी का अड्डा बन चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन कभी हुआ ही नहीं, और न ही इसका उपयोग किसी विवाह या सामाजिक कार्यक्रम के लिए किया गया।

गांव के निवासियों ने बताया कि इस भवन के निर्माण का उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ते और सुविधाजनक स्थान उपलब्ध कराना था। लेकिन आज यह भवन अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। गांव के रामनिवास ने दुख जताते हुए कहा कि जनता की मेहनत की कमाई से बना यह भवन बेकार पड़ा है। अगर इसका सही उपयोग होता, तो गरीब परिवारों को शादी और अन्य आयोजनों में काफी राहत मिलती। अन्य ग्रामीणों ने भी बताया कि उन्होंने कई बार पंचायत और संबंधित विभागों में इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।स्थानीय जांच में पाया गया कि भवन के आसपास घनी झाड़ियां उग आई हैं, जो इसे जंगल जैसा बना रही हैं। भवन की खिड़कियां और जालियां टूट चुकी हैं, दीवारों में दरारें पड़ गई हैं, और छत की हालत भी जर्जर हो रही है। सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है, जिसके कारण यह स्थान असामाजिक तत्वों का ठिकाना बनता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इसकी मरम्मत और रखरखाव नहीं किया गया, तो यह भवन पूरी तरह खंडहर में बदल जाएगा।

गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने प्रशासन से मांग की है कि इस सामुदायिक केंद्र को जल्द से जल्द ठीक किया जाए और इसका उपयोग शुरू किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि भवन की सुरक्षा के लिए चौकीदार नियुक्त किया जाए और नियमित सफाई की व्यवस्था की जाए। ग्रामीणों का मानना है कि अगर इस भवन का सही इस्तेमाल हो, तो यह न केवल सामाजिक आयोजनों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि गांव में सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।

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