दहेज़ हत्या के झूठे केस में पति को फंसाया, BF संग जी रही खुशहाल जिन्दगी, गाजीपुर दहेज हत्या केस का झूठा चेहरा सामने आया, जानकर आपके उड़ जायेंगे होश।
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से एक ऐसी सनसनीखेज कहानी सामने आई है, जो दहेज हत्या के नाम पर दर्ज फर्जी केसों की कड़वी सच्चाई को उजागर करती
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से एक ऐसी सनसनीखेज कहानी सामने आई है, जो दहेज हत्या के नाम पर दर्ज फर्जी केसों की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है। यहां एक विवाहिता रुचि, जिसे उसके ससुरालवालों ने कथित तौर पर दहेज के लालच में मार डाला बताया गया था, पुलिस जांच में जिंदा पाई गई। वह मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में अपने पुराने प्रेमी गजेन्द्र यादव के साथ रह रही थी और दूसरी शादी कर चुकी थी। दो साल से ससुराल के छह सदस्य दहेज हत्या और सबूत मिटाने के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे थे, लेकिन अब पूरा मामला मनगढ़ंत साबित हो गया है। पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। यह घटना न केवल कानूनी प्रक्रिया पर सवाल खड़ी करती है, बल्कि समाज में फैले दहेज के दुष्प्रचार और व्यक्तिगत रिश्तों की जटिलताओं को भी सामने लाती है।
कहानी की शुरुआत दो साल पहले हुई, जब गाजीपुर के जमानियां थाना क्षेत्र के एक गांव में रुचि की मां सुशीला देवी ने ससुरालवालों पर अपनी बेटी की हत्या का आरोप लगाया। सुशीला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी रुचि की शादी 2023 में गजेंद्र राम से हुई थी, लेकिन ससुराल वाले दहेज की लालच में उसे जिंदा जला दिया और शव को गायब कर दिया। शिकायत में ससुर फूलचंद, सास कमली देवी, देवर मुन्ना, ननद रेनू और दो अन्य रिश्तेदारों के नाम शामिल थे। सुशीला ने दावा किया कि रुचि को शादी के बाद से ही ससुराल में प्रताड़ित किया जाता था। दहेज न देने पर वे उसे मार डालने की साजिश रच चुके थे। पुलिस ने सुशीला की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी (दहेज हत्या) और 201 (सबूत मिटाना) के तहत केस दर्ज किया। ससुराल के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। दो साल तक मुकदमे चले, साक्ष्य जुटाए गए और अदालत में सुनवाई हुई। ससुराल वाले बेगुनाही का दावा करते रहे, लेकिन परिवार का दबाव और सबूतों की कमी से वे जेल की सलाखों के पीछे सड़ते रहे।
लेकिन सच्चाई कुछ और निकली। गाजीपुर पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि रुचि जिंदा है और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रह रही है। एसएसपी डॉ. अनिल कुमार ने एक विशेष टीम गठित की, जो 7 नवंबर को ग्वालियर पहुंची। जांच में पता चला कि रुचि ने अपने स्कूल के समय से ही गजेन्द्र यादव नामक युवक से प्रेम संबंध बनाए रखे थे। शादी के बाद भी यह रिश्ता टूटा नहीं। रुचि ने बताया कि उसकी पहली शादी परिवार के दबाव में हुई थी और वह कभी राजी नहीं थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही वह गजेन्द्र के साथ भाग गई और ग्वालियर में दूसरी शादी कर ली। वहां वे एक किराए के मकान में खुशहाल जीवन जी रहे थे। रुचि ने पुलिस को कहा कि ससुराल में कोई प्रताड़ना नहीं हुई, बल्कि वह खुद अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली गई। लेकिन मां सुशीला ने बदले की भावना से फर्जी हत्या का केस करवा दिया। रुचि का यह कबूलनामा वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया, जो अब अदालत में सबूत बनेगा।
पुलिस ने रुचि और गजेन्द्र को हिरासत में लेकर गाजीपुर लाया। पूछताछ में रुचि ने विस्तार से अपनी कहानी सुनाई। वह बोली, मैंने कभी दहेज की मांग नहीं सुनी। शादी के बाद सब ठीक था, लेकिन मेरा दिल गजेन्द्र के पास था। हम स्कूल में साथ पढ़ते थे और प्रेम हो गया। परिवार को जब बताया तो उन्होंने जबरदस्ती शादी कर दी। मैं सहन नहीं कर पाई और भाग गई। ग्वालियर में हमने कोर्ट मैरिज की और नई जिंदगी शुरू की। रुचि ने कहा कि मां का केस उनके भाई की शादी के लिए दहेज जुटाने की साजिश थी। ससुराल वाले निर्दोष हैं। गजेन्द्र ने भी पुष्टि की कि वे दोनों अब पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। पुलिस ने रुचि को उसके ससुरालवालों से मिलवाया, जहां भावुक क्षण देखने को मिले। ससुर फूलचंद ने आंसू पोछते हुए कहा कि हम दो साल जेल में सड़े, लेकिन बेटी की खुशी देखकर सब भूल गए।
यह मामला गाजीपुर पुलिस के लिए बड़ी चुनौती था। एसएसपी डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि फर्जी केसों से न्याय व्यवस्था कमजोर होती है। हमने तुरंत जांच शुरू की और सच्चाई सामने लाई। अब सुशीला और उसके सहयोगियों के खिलाफ धारा 182 (झूठी शिकायत) और 211 (झूठा मुकदमा) के तहत केस दर्ज होगा। ससुरालवालों को जमानत मिलने की प्रक्रिया चल रही है। जमानियां थानाध्यक्ष ने बताया कि रुचि की मां को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अगर साजिश साबित हुई तो उन्हें जेल हो सकती है। यह घटना दहेज कानून के दुरुपयोग को उजागर करती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल 7000 से ज्यादा दहेज हत्या के केस दर्ज होते हैं, लेकिन 20 प्रतिशत से ज्यादा फर्जी साबित होते हैं। गाजीपुर जैसे ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और गंभीर है, जहां पारिवारिक विवादों को दहेज के नाम पर हल करने की कोशिश होती है।
रुचि की कहानी समाज के दोहरे मापदंड को दिखाती है। एक ओर दहेज विरोधी कानून महिलाओं की रक्षा के लिए हैं, लेकिन दूसरी ओर इन्हें हथियार बनाकर निर्दोषों को फंसाया जाता है। रुचि ने पुलिस को बताया कि उसके परिवार ने ससुराल पर दबाव डाला ताकि संपत्ति हथियाने में आसानी हो। गजेन्द्र ग्वालियर में एक छोटे व्यवसाय से जुड़े हैं, और रुचि घर संभालती है। वे दोनों अब गाजीपुर लौटना नहीं चाहते। पुलिस ने उन्हें सुरक्षा दी है। इस मामले ने स्थानीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। महिला संगठनों ने कहा कि सच्चे पीड़ितों के लिए न्याय मिलना चाहिए, लेकिन फर्जी केसों से कानून की विश्वसनीयता घटती है। एक एनजीओ ने जागरूकता कैंप लगाने की योजना बनाई है।
सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई है। ट्विटर पर #GhazipurFakeMurder ट्रेंड कर रहा है। हजारों यूजर्स ने अपनी राय शेयर की। एक यूजर ने लिखा कि दहेज कानून का दुरुपयोग बंद होना चाहिए। एक अन्य ने कहा कि रुचि की खुशी महत्वपूर्ण है, लेकिन झूठे आरोपों का दंड जरूरी। न्यूज चैनलों ने विशेष कवरेज किया। आज तक और एनडीटीवी ने वीडियो रिपोर्ट जारी कीं। गाजीपुर के डीएम ने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित जांच सुनिश्चित की जाएगी। पुलिस ने अपील की कि शिकायत करने से पहले सबूत जुटाएं।
यह घटना उत्तर प्रदेश में दहेज से जुड़े केसों पर नजर डालने का संकेत है। योगी सरकार ने दहेज निषेध एक्ट को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। गाजीपुर में पिछले साल 50 से ज्यादा दहेज केस दर्ज हुए, लेकिन कई जांच में कमजोर साबित हुए। रुचि का मामला एक मिसाल बनेगा। ससुराल वाले अब मानसिक आघात से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। फूलचंद ने कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दिन आएगा। रुचि ने माफी मांगी और कहा कि वह अब अपनी जिंदगी खुद चुनेगी।
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