खरगे और ओम बिरला ने संसद में तिलक-अजाद को दी श्रद्धांजलि, एकजुटता का प्रतीक। 

Political News: नई दिल्ली में संसद भवन परिसर में स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर एक....

Jul 24, 2025 - 13:25
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खरगे और ओम बिरला ने संसद में तिलक-अजाद को दी श्रद्धांजलि, एकजुटता का प्रतीक। 
खरगे और ओम बिरला ने संसद में तिलक-अजाद को दी श्रद्धांजलि, एकजुटता का प्रतीक। 

नई दिल्ली में संसद भवन परिसर में स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर एक विशेष समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, और कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने दोनों स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह आयोजन संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं की एकजुटता का प्रतीक बना, जो देश की आजादी के लिए बलिदान देने वालों के सम्मान में एक मंच पर आए। इस दौरान खरगे और बिरला के बीच बातचीत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसने लोगों का ध्यान खींचा और कई तरह की अटकलों को जन्म दिया।

यह समारोह संसद भवन के प्रांगण में हुआ, जहां ओम बिरला और मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की। खरगे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “मैं एक ऐसी धर्म में विश्वास रखता हूं जो समानता और भाईचारे की शिक्षा देता है।” उन्होंने आजाद को भारत माता का सच्चा सपूत और अमर शहीद बताते हुए उनकी कुर्बानी को याद किया। साथ ही, उन्होंने तिलक के संवैधानिक आदर्शों और स्वराज के नारे “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” को देश के स्वतंत्रता संग्राम की नींव बताया।

बिरला ने भी इस अवसर पर तिलक और आजाद के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, “लोकमान्य तिलक ने स्वदेशी और शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भरता का संदेश दिया, जबकि चंद्रशेखर आजाद ने युवाओं को क्रांति के लिए प्रेरित किया।” इस आयोजन में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ संक्षिप्त बातचीत की, जिसे कैमरों ने कैद कर लिया। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इस तस्वीर को देखकर मजाक में पूछा, “खरगे और बिरला कान में क्या कह रहे हैं?” लेकिन यह आयोजन मुख्य रूप से दोनों नेताओं की एकजुटता और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

मल्लिकार्जुन खरगे और ओम बिरला का संसद में अक्सर आमना-सामना होता रहा है, खासकर संसदीय कार्यवाही और विपक्ष की मांगों को लेकर। खरगे, जो 2022 से कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं, कई बार संसद में सरकार की नीतियों और लोकसभा अध्यक्ष बिरला के फैसलों पर सवाल उठाते रहे हैं। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2024 में खरगे ने बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि संसद में विरोध प्रदर्शन के दौरान बीजेपी सांसदों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की, जिससे उनके घुटनों में चोट लगी। उन्होंने इसे विपक्ष के नेता के सम्मान पर हमला बताया। बिरला ने इस मामले में जांच का आश्वासन दिया था।

वहीं, बिरला, जो 2019 से लोकसभा अध्यक्ष हैं और 2024 में दोबारा चुने गए, संसद की गरिमा और नियमों का पालन करने पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि संसद में सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है, लेकिन कार्यवाही को बाधित करना उचित नहीं है। तिलक और आजाद की जयंती पर दोनों नेताओं का एक साथ आना और श्रद्धांजलि देना एक सकारात्मक संदेश देता है, जो राजनीतिक मतभेदों से परे देश के प्रति एकजुटता को दर्शाता है।

इस आयोजन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए। कई यूजर्स ने खरगे और बिरला की बातचीत को लेकर मजाकिया टिप्पणियां कीं। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “खरगे और बिरला एक साथ! क्या लगता है, कान में क्या कह रहे हैं? शायद संसद की अगली छुट्टी की तारीख!” हालांकि, ज्यादातर प्रतिक्रियाएं सकारात्मक थीं, और लोगों ने इसे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहयोग का प्रतीक बताया। एक यूजर ने लिखा, “यह देखकर अच्छा लगा कि दोनों नेता देश के नायकों को सम्मान देने के लिए एक मंच पर आए।”

कुछ विपक्षी नेताओं ने इस अवसर का उपयोग सरकार पर निशाना साधने के लिए भी किया। खरगे ने अपनी पोस्ट में आजाद के समानता और भाईचारे के संदेश को दोहराते हुए अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक एकता पर जोर दिया। दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं ने तिलक और आजाद के योगदान को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ा और सरकार की आतंकवाद विरोधी नीतियों से तुलना की।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (1856-1920) ने स्वदेशी आंदोलन और “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” के नारे के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। चंद्रशेखर आजाद (1906-1931) ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के जरिए क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया और अपनी शहादत से युवाओं को प्रेरित किया। दोनों की जयंती पर संसद में श्रद्धांजलि देना एक परंपरा रही है, लेकिन इस बार खरगे और बिरला की मौजूदगी ने इसे विशेष महत्व दिया।

23 जुलाई 2025 को संसद में तिलक और आजाद की जयंती पर खरगे और बिरला का एक साथ श्रद्धांजलि देना न केवल स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय हितों पर एकजुटता संभव है। दोनों नेताओं की बातचीत की तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर चर्चा तो छेड़ी, लेकिन इसका असली संदेश संसद की गरिमा और देश के प्रति एकजुटता का है। यह आयोजन देशवासियों को यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों का सम्मान करना हमारी साझा जिम्मेदारी है, और राजनीतिक दलों को इसे लेकर एकजुट रहना चाहिए।

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