नांदेड़ में मराठी-हिंदी भाषा विवाद- सुलभ शौचालय कर्मी की पिटाई, MNS कार्यकर्ताओं ने मंगवाई माफी। 

Maharashtra News: महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में एक सुलभ शौचालय में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। एक व्यक्ति ने शौचालय कर्मी द्वारा ...

Jul 24, 2025 - 13:18
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नांदेड़ में मराठी-हिंदी भाषा विवाद- सुलभ शौचालय कर्मी की पिटाई, MNS कार्यकर्ताओं ने मंगवाई माफी। 
नांदेड़ में मराठी-हिंदी भाषा विवाद- सुलभ शौचालय कर्मी की पिटाई, MNS कार्यकर्ताओं ने मंगवाई माफी। 

महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में एक सुलभ शौचालय में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। एक व्यक्ति ने शौचालय कर्मी द्वारा महिलाओं से 5 रुपये वसूलने पर सवाल उठाया और उससे मराठी में बात करने की मांग की। कर्मी ने हिंदी में जवाब देते हुए मराठी बोलने से इनकार कर दिया और कहा, “नहीं बोलूंगा, तू क्या कर लेगा?” इस पर व्यक्ति ने घटना का वीडियो बनाकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं को सौंप दिया। इसके बाद MNS कार्यकर्ताओं ने कर्मी की पिटाई की और उससे मराठी में माफी मांगने के लिए मजबूर किया।

घटना नांदेड़ के एक व्यस्त बस स्टैंड पर स्थित सुलभ शौचालय में हुई। एक व्यक्ति, जिसकी पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, ने शौचालय कर्मी से पूछा कि क्या वह महिलाओं से शौचालय उपयोग के लिए 5 रुपये वसूल रहा है। कर्मी ने हिंदी में जवाब दिया, जिस पर व्यक्ति ने उससे मराठी में बात करने को कहा। कर्मी ने जवाब में गुस्से से कहा, “मैं मराठी नहीं बोलूंगा, तू क्या कर लेगा? जा।” व्यक्ति ने इस बातचीत का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और इसे MNS कार्यकर्ताओं को भेज दिया।

इसके बाद MNS कार्यकर्ता, जिनके गले में पार्टी का प्रतीक चिह्न वाला स्कार्फ था, शौचालय पर पहुंचे। उन्होंने कर्मी की पिटाई की और उसे मराठी में माफी मांगने के लिए मजबूर किया। वायरल वीडियो में कर्मी को अपने कान पकड़कर कहते सुना गया, “मैं मराठी लोगों और राज ठाकरे से माफी मांगता हूं। मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा।” कार्यकर्ताओं ने कर्मी से यह भी कहा, “मराठी सीख ले, जल्दी सीख ले।” इस घटना ने स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं।

नांदेड़ पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक रमेश खांबे ने बताया कि वायरल वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया गया है, और मारपीट में शामिल MNS कार्यकर्ताओं की पहचान की जा रही है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुलभ शौचालय के प्रबंधक ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि कर्मी को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया गया।

यह घटना महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर चल रहे तनाव का हिस्सा है। हाल के महीनों में, MNS और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत कथित “हिंदी थोपने” के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। अप्रैल 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। इस फैसले का भारी विरोध हुआ, जिसके बाद 29 जून 2025 को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस आदेश को वापस ले लिया और भाषा नीति की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की।

इसके बावजूद, मराठी भाषा और पहचान को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। नांदेड़ की घटना से पहले भी कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं:

ठाणे में दुकानदार की पिटाई: जून 2025 में मीरा रोड पर MNS कार्यकर्ताओं ने एक गुजराती दुकानदार की पिटाई की, क्योंकि उसने हिंदी में जवाब दिया था।

विक्रोली में हमला: एक दुकानदार को मराठी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक व्हाट्सएप स्टेटस डालने के लिए MNS कार्यकर्ताओं ने पीटा।

मुंबई लोकल ट्रेन में विवाद: 20 जुलाई 2025 को सेंट्रल लाइन की लोकल ट्रेन के महिला डिब्बे में सीट को लेकर झगड़ा मराठी-हिंदी भाषा विवाद में बदल गया, जिसमें एक महिला ने दूसरी से कहा, “मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, वरना बाहर निकलो।”

MNS प्रमुख राज ठाकरे ने इन घटनाओं का समर्थन करते हुए कहा, “जब कोई मराठी लोगों के गले में कील ठोकने की कोशिश करता है, तो मुझे गर्व है कि मेरे सैनिक उसका जवाब थप्पड़ से देते हैं। यह व्यक्तिगत ईर्ष्या नहीं, बल्कि मराठी भाषा और लोगों के लिए प्यार है।”

नांदेड़ की घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स ने MNS की हिंसक कार्रवाइयों की निंदा की और इसे मुंबई और महाराष्ट्र की बहुभाषी संस्कृति के लिए खतरा बताया। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “मराठी नहीं बोलने पर पिटाई? यह हिंसा मराठी संस्कृति को बदनाम करती है। हमें एकजुटता की जरूरत है, न कि भाषा के नाम पर बंटवारे की।”

वहीं, कुछ यूजर्स ने MNS के रुख का समर्थन किया और कहा कि मराठी भाषा को बढ़ावा देना जरूरी है। एक यूजर ने लिखा, “महाराष्ट्र में मराठी बोलना गर्व की बात है। जो लोग यहां रहते हैं, उन्हें मराठी सीखनी चाहिए।”

शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस विवाद को बीजेपी की नीतियों से जोड़ा और कहा, “यह हिंदी थोपने की साजिश का नतीजा है। हम मराठी पहचान की रक्षा करेंगे।” दूसरी ओर, मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि मराठी स्कूलों में अनिवार्य है और हिंदी को थोपने का कोई इरादा नहीं है।

महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी को लेकर तनाव कई दशकों से चला आ रहा है। 1960 के दशक में शिवसेना ने मराठी भाषी लोगों के अधिकारों और नौकरियों के लिए आंदोलन शुरू किया था, जिसमें मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने की मांग शामिल थी। हाल के वर्षों में, MNS ने मराठी पहचान को और आक्रामक तरीके से बढ़ावा दिया है, खासकर गैर-मराठी भाषी प्रवासियों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ।

2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र की 11.24 करोड़ आबादी में 68.93% लोग मराठी को अपनी मातृभाषा मानते हैं, जबकि 12.89% लोग हिंदी बोलते हैं। 2001 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वालों की संख्या में 35.57% की वृद्धि हुई, जो मराठी (16.23%) से कहीं अधिक है। इस बदलते जनसांख्यिकीय परिदृश्य ने मराठी भाषी समुदाय में असुरक्षा की भावना को बढ़ाया है, जिसे MNS और अन्य क्षेत्रीय दल भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मराठी अभ्यास केंद्र के दीपक पवार ने कहा, “हिंदी को अनिवार्य करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह मराठी भाषा और संस्कृति पर हमला है।” वहीं, भाषाविद् प्रभाकर जोशी का कहना है कि भाषा विवाद को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है। “महाराष्ट्र में हिंदी, उर्दू, गुजराती, और अन्य भाषाएं सदियों से साथ रहती आई हैं। हिंसा और बंटवारे से किसी का भला नहीं होगा।”

नांदेड़ की यह घटना महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर बढ़ते तनाव का एक और उदाहरण है। MNS कार्यकर्ताओं द्वारा सुलभ शौचालय कर्मी की पिटाई और उससे जबरन माफी मंगवाने ने न केवल हिंसा को बढ़ावा दिया, बल्कि मुंबई और महाराष्ट्र की बहुसांस्कृतिक पहचान पर सवाल उठाए हैं। यह घटना आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों से पहले मराठी पहचान की राजनीति को और गर्म कर सकती है।

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