Lucknow : लखनऊ में योजनाओं की समीक्षा- जनप्रतिनिधियों की भूमिका बढ़ाने पर जोर, कृषि को बूस्ट देकर एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
कृषि योजनाओं पर खास ध्यान देते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कुसुम योजना की समीक्षा की। कृषि यंत्रों का
लखनऊ : वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री तथा लखनऊ जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कलेक्ट्रेट सभागार में जिले की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने लाभार्थी आधारित योजनाओं के वितरण में जनप्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से शामिल करने के निर्देश दिए। वितरण कार्यक्रम में उपकरण विधायकों के माध्यम से बांटे जाएं। सभी विभागों को योजनाओं की जानकारी और आवेदन प्रक्रिया के बारे में जनप्रतिनिधियों को बताने को कहा। खन्ना ने कहा कि प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्राथमिक क्षेत्र को मजबूत करना जरूरी है।
कृषि योजनाओं पर खास ध्यान देते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कुसुम योजना की समीक्षा की। कृषि यंत्रों का वितरण जनप्रतिनिधियों के जरिए सुनिश्चित किया जाए। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाए। जनप्रतिनिधियों की मदद से जानकारी देकर आवेदन बढ़ाए जाएं। मत्स्य संपदा योजना से किसान अधिक कमाई कर सकते हैं, जिससे प्रदेश की जीएसपी बढ़ेगी। किसानों को इस योजना के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
जिलाधिकारी लखनऊ ने बताया कि मार्च 2025 तक 1,95,953 किसानों को किसान सम्मान निधि की धनराशि हस्तांतरित हो चुकी है। अप्रैल 2025 तक यह संख्या 2,15,417 हो गई। कृषि विभाग कैंप लगाकर पंजीकरण करा रहा है। जिले में कुल 1,36,454 किसान हैं। कृषि योग्य भूमि 2,52,800 हेक्टेयर है, जिसमें 1,68,975 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। मुख्य फसलें गेहूं और धान हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 2024-25 में 2,45,334 किसानों का लक्ष्य था, जिसमें 2,15,54 किसान कवर हो चुके हैं। प्रधानमंत्री कुसुम योजना में मार्च 2025 तक 258 सोलर पंप लगे, जो अगस्त 2025 तक 358 हो गए।
पशुपालन विभाग में गौ-आश्रय स्थलों पर 14 स्थायी आश्रयों में 3,940 गोवंश और 78 अस्थायी गौशालाओं में 17,063 गोवंश रखे गए हैं। 10 कांजी हाउस, 3 कान्हा उपवन और 8 नगर पंचायत आश्रयों में कुल 32,239 गोवंश को आश्रय मिला है। पशुओं के स्वास्थ्य, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल सुधार पर काम चल रहा है।
लखनऊ का क्षेत्रफल 2,528 वर्ग किलोमीटर है। 2011 में जनसंख्या 45.89 लाख थी, जो 2027 तक 57.07 लाख होने का अनुमान है। जिले का सकल घरेलू उत्पाद 1,41,613 करोड़ रुपये है, विकास दर 14.40 प्रतिशत। प्रशासनिक रूप से 5 तहसील और 8 विकास खंड हैं।
महिला कल्याण योजनाओं में निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत मार्च 2025 तक 70,112 महिलाओं को सहायता मिली। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में मार्च 2025 तक 59,811 और अगस्त 2025 तक 68,632 लाभार्थी जुड़े। राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में मार्च 2025 तक 1,281 और अगस्त 2025 तक 833 आवेदकों को लाभ दिया गया। यह योजना गरीब परिवारों को मुख्य कमाऊ सदस्य की मृत्यु पर सहायता देती है।
उद्योग क्षेत्र में 1,132 एमओयू से 3,38,421.07 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है, जिसमें 163 क्रियान्वित हो चुके। 27,645.09 करोड़ से 233 जीबीसी तैयार हुए। निवेशकों की समस्याओं का समाधान जिलाधिकारी की बैठकों में होता है। द्वितीयक क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। 5,000 करोड़ की आवासीय परियोजनाएं जैसे गोमती विस्तार और बख्शी का तालाब शहर को औद्योगिक केंद्र बना रही हैं। अगले 5 वर्षों में तृतीयक क्षेत्र से 70,000 रोजगार के अवसर बनेंगे। डिफेंस कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे, लॉजिस्टिक हब और मेडिकल सिटी विकसित हो रही हैं। लखनऊ से बाराबंकी, फैजाबाद और गोंडा की कनेक्टिविटी बढ़ रही है।
बैठक में जनप्रतिनिधियों ने फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण की समस्या बताई। मंत्री ने संबंधित विभाग और नगर निगम को समन्वय से दौरा कर सौंदर्यीकरण और पार्किंग की योजना बनाने को कहा। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में सीएचसी फैजुल्लागंज में दो माह से एक्स-रे मशीन खराब होने की शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अधीक्षक का वेतन रोककर मशीन तुरंत ठीक कराने के निर्देश दिए।
ग्राम लतीफ नगर में ट्यूबवेल खराब होने पर अधिशासी अभियंता ट्यूबवेल ने मोटर जलने का कारण बताया। मंत्री ने दो दिनों में ठीक करने को कहा। रीबोरिंग वाले 11 ट्यूबवेलों की योजना बनाकर काम पूरा करने के निर्देश दिए। बेसिक शिक्षा विभाग में नगर निगम क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में सफाई की कमी बताई गई। नगर निगम को सभी स्कूलों में सफाई सुनिश्चित करने को कहा। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि हर वार्ड में एक सफाईकर्मी तैनात है। जर्जर स्कूलों के चिह्नीकरण पर जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के स्कूलों की सूची बेसिक शिक्षा अधिकारी को देने को कहा। सीवर, जलापूर्ति और सामुदायिक शौचालयों की निगरानी मजबूत करने पर जोर दिया।
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