Maha Kumbh 2025: आधी आबादी की सहभागिता से प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) रच रहा है नया इतिहास

प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) में पहुंचने वालों की संख्या 55 करोड़ को भी पार कर गई है। देश की लगभग आधी आबादी का यहां पहुंचना समाज विज्ञानियों के लिए भी एक...

Feb 19, 2025 - 23:59
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Maha Kumbh 2025: आधी आबादी की सहभागिता से प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) रच रहा है नया इतिहास

सार-

  • शिक्षा और सुरक्षा से मिली ताकत, सनातन को समझने की जगी ललक
  • सामाजिक व्यवस्था पर अध्ययन करने वाले शीर्षस्थ संस्थान की प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) की रिपोर्ट से मिले संकेत
  • एक दर्जन से अधिक शोधार्थियों के सर्वे और अध्ययन से हुआ खुलासा

By INA News Maha Kumbh Nagar.

प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) सनातन के  विस्तार की बुलंदी की नई इबारत लिख रहा है। देश की 50 फीसदी के आगमन की तरफ आगे बढ़ रहे प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) ने समाज के सभी वर्गों की भागीदारी हुई है। नारी शक्ति की महाकुम्भ (Maha Kumbh) में अब तक सबसे अधिक संख्या में मौजूदगी के कई सामाजिक निहितार्थ भी सामने आए हैं। 

  • नारी शक्ति की सहभागिता ने रचा इतिहास

प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) में पहुंचने वालों की संख्या 55 करोड़ को भी पार कर गई है। देश की लगभग आधी आबादी का यहां पहुंचना समाज विज्ञानियों के लिए भी एक विश्लेषण और शोध के लिए प्रेरित करता है। देश में सामाजिक व्यवस्था पर हो रहे परिवर्तन पर अध्ययन करने वाले शीर्षस्थ मंच गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के शोधार्थियों ने अपने शोध में नारी सहभागिता को लेकर जो प्रारम्भिक निष्कर्ष सामने आए हैं वह  मौजूदा समाज की सोच का खाका खींच रही है।

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संस्थान के निदेशक प्रो बद्री नारायण और  एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अर्चना सिंह के नेतृत्व में यह शोध चल रहा है। डॉ अर्चना सिंह का कहना है कि महाकुम्भ (Maha Kumbh) के विभिन्न एंट्री पॉइंट्स और स्नान घाटों पर उनके अध्ययन दल के सदस्य मौजूद हैं जो अभी भी महा कुम्भ आने वाली आबादी के विभिन्न पहलुओं पर उनसे बातचीत कर उनके बिहेवियर और उनकी सोच को समझने का प्रयत्न कर रही है। डॉ अर्चना का कहना है कि महाकुम्भ (Maha Kumbh) आ रही आबादी में आधी आबादी की संख्या 40 फीसदी से अधिक है। इसके पूर्ववर्ती कुम्भ के आयोजनों से यह संख्या अधिक है। इसमें नगरीय क्षेत्र से आने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है खासकर 18 से 35 आयु वर्ग से ,जो कई तरह के  संकेत दे रही  है। 

  • शिक्षा , सुरक्षा से मिली ताकत जगी सनातन की ललक

प्रयागराज (Prayagraj) महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आने वाले श्रद्धालुओं में नारी शक्ति की संख्या में इस बार अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। लेकिन सहभागिता के साथ इसके पीछे के कारक अधिक महत्वपूर्ण हैं। शोध दल की समन्वयक डॉ अर्चना सिंह का कहना है कि इस बार महाकुम्भ (Maha Kumbh) में विमेन ओनली ग्रुप की महिलाओं की संख्या अधिक थी जो किसी पुरुष के साथ नहीं बल्कि अकेले आई थी।

इसकी वजह एक तरफ अगर उनके शिक्षा की  बेहतर स्थिति है तो वहीं दूसरी तरफ खुद को अब वह अधिक सुरक्षित समझ रही है। प्रदेश में सुरक्षित वातावरण से वह घर से भी निकली है और अपने को व्यक्त भी कर रही है। अभी तक जो घर में पूजा अर्चना तक खुद को सीमित रखती थी अब वो सनातन को भी समझने के लिए आगे आई हैं। 

  • धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने दी स्वीकृति

महाकुम्भ (Maha Kumbh) अध्ययन दल की इस 17 सदस्यीय टीम के निष्कर्ष में यह भी बात सामने आई है कि अब धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं का दृष्टिकोण भी बदला है। शोध दल की सीनियर फेलो डॉ नेहा राय का कहना है कि महाकुम्भ (Maha Kumbh) में अखाड़ों और उनके धर्माचार्यों का दृष्टिकोण भी इस बार नारी शक्ति के प्रति अधिक उदारवादी रहा है। अखाड़ों में महिला श्रद्धालुओं को सम्मान और स्वीकृति भी बढ़ी है। इससे सनातन को समझने में उनकी ललक बढ़ी है। इसी दल की शोध सदस्या डॉ प्रीति यादव का कहना है कि  बहुत सी महिलाओं ने अखाड़ों के साधु संतों और धर्माचार्यों के सामने अपनी जिज्ञासा और अपने विमर्श भी दिए, जिससे साधु संतों को भी सनातन के विस्तार के लिए रास्ता बनाने में आसानी होगी ।

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