Hindu New Year 2025: नव वर्ष का तात्पर्य है नव शुभारंभ से, नए उल्लास और नए वातावरण से...

हिन्दू नव वर्ष अर्थात चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस दिन न केवल ऋतु परिवर्तन होता है बल्कि इसकी अध्यात्मिक...

Apr 5, 2025 - 12:45
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Hindu New Year 2025: नव वर्ष का तात्पर्य है नव शुभारंभ से, नए उल्लास और नए वातावरण से...

मीनाक्षी ऋषि, विचारक/ वक्ता 
 आगरा उत्तर प्रदेश

हिन्दू नव वर्ष अर्थात चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस दिन न केवल ऋतु परिवर्तन होता है बल्कि इसकी अध्यात्मिक, सांस्कृतिक और कृषि संबंधित महत्व भी है। वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को ही नव वर्ष का स्थान दिया गया है। 

भारत देश आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं कृषि प्रधान देश है हिंदू कैलेंडर, जिसे पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन और अद्वितीय समय गणना प्रणाली है। यह कैलेंडर चाँद और सूर्य की गति को ध्यान में रखते हुए समय को संगठित करता है, इसे लूनिसोलर कैलेंडर कहा जाता है। पंचांग, वेदिक ज्योतिष के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है, जो हर दिन के ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल को दर्शाता है। यह कैलेंडर न केवल त्योहारों और धार्मिक अवसरों की तारीखें निर्धारित करता है, बल्कि हमारे जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए शुभ समय (मूहूर्त) भी तय करता है।

शादी, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत, या धार्मिक अनुष्ठान ये सभी महत्वपूर्ण कार्य पंचांग की सहायता से किए जाते हैं। इसके अलावा, यह कैलेंडर कृषि गतिविधियों की योजना बनाने, यात्रा की तिथियाँ तय करने, और दैनिक अनुष्ठानों में भी मार्गदर्शन करता है। पंचांग के माध्यम से लोग अपने कार्यों को ब्रह्मांडीय लय के साथ जोड़ सकते हैं, जिससे सफलता और सामंजस्य की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। भले ही पंचांग एक जटिल प्रणाली प्रतीत हो, लेकिन यह एक शक्तिशाली और सदियों पुराना उपकरण है।

इसलिए सही वास्तविक रूप से वास्तविक रूप से हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही नव वर्ष होता है। आज से‌ ही‌नवरात्र और दुर्गा पूजन का आयोजन शुरू हो जाता हैमाँ दुर्गा आपको और आपके परिवार को नौ प्रकार के आशीर्वाद प्रदान करें- प्रसिद्धि, नाम, धन, समृद्धि, खुशी, शिक्षा, स्वास्थ्य, शक्ति और प्रतिबद्धता।

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क्योंकि भारतीय संस्कृति में तो नारी ही सृष्टि की समग्र अधिष्ठात्री मानी जाती है। पूरी सृष्टि ही स्त्री है सृष्टि के विभिन्न रूपों में स्त्री ही व्याप्त है। नारी भावों की अभिव्यक्ति है। पारंपरिक दर्शन में बेशक पुरुष प्रधान समाज दिखता हो किंतु भारतीय दर्शन और संस्कृति की मूल अवधारणा में नारी ही शक्तिस्वरूपा है। 

एक बार फिर से आप को नव वर्ष व चैत्र वरात्रा की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं। यह नव वर्ष आप सबके लिए बहुत ही मंगलमय हो

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