Prayagraj News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण अधूरे, दोनों का संबंध आत्मा-शरीर जैसा- रीना एन. सिंह

रीना एन. सिंह ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर राधा रानी (राधा रानी वृषभानु कुमारी वृंदावनी) को श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में पक्षकार बनाने की मांग की थी। उनकी याचिका में कहा गया ....

May 6, 2025 - 23:42
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Prayagraj News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण अधूरे, दोनों का संबंध आत्मा-शरीर जैसा- रीना एन. सिंह

राधा रानी को पक्षकार बनाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहस, अधिवक्ता रीना एन. सिंह ने रखे ठोस तथ्य

By INA News Prayagraj.

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक नया मोड़ आया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन. सिंह ने राधा रानी को भी पक्षकार बनाने की मांग की है। इस मांग को लेकर कोर्ट में हुई ताजा सुनवाई में रीना एन. सिंह ने ठोस तथ्य और धार्मिक ग्रंथों के आधार पर अपनी दलीलें पेश कीं, जिसके बाद कुछ पक्षकारों ने इसका विरोध किया। रीना एन. सिंह ने जोर देकर कहा कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण अधूरे हैं और दोनों का संबंध आत्मा-शरीर जैसा है।

राधा रानी को पक्षकार बनाने की मांग

रीना एन. सिंह ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर राधा रानी (राधा रानी वृषभानु कुमारी वृंदावनी) को श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में पक्षकार बनाने की मांग की थी। उनकी याचिका में कहा गया कि भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान और राधा रानी को अनादिकाल से देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कटरा केशव देव नामक स्थल पर हुआ था, जो 13.37 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। यह भूमि श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है, और इस पर श्रीकृष्ण और राधा रानी दोनों का ईश्वरीय स्वामित्व है। रीना एन. सिंह ने दावा किया कि ये दोनों देवता एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, और इस पवित्र भूमि पर दोनों का समान अधिकार है।

हालांकि, कुछ पक्षकारों ने इस मांग का विरोध किया, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर गहन बहस हुई। रीना एन. सिंह ने कोर्ट के समक्ष विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और सांस्कृतिक तथ्यों को प्रस्तुत कर अपनी बात को मजबूती दी।

राधा-कृष्ण का आत्मा-शरीर जैसा संबंध

रीना एन. सिंह ने कोर्ट में अपनी दलील में कहा कि राधा रानी और श्रीकृष्ण का संबंध अटूट और आध्यात्मिक है। उन्होंने ब्रह्म वैवर्त पुराण और नारद पंचरात्र संहिता का हवाला देते हुए बताया कि राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी थीं और उनकी आध्यात्मिक अभिव्यक्ति हैं। ग्रंथों के अनुसार, राधा रानी श्रीकृष्ण के बाएं अंग से उत्पन्न हुईं और सदा उनके साथ लीला करती हैं। रीना ने जोर देकर कहा, "राधा और कृष्ण का संबंध आत्मा और शरीर जैसा है। एक के बिना दूसरा अधूरा है। इसलिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में राधा रानी को पक्षकार बनाना न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है।"

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उन्होंने यह भी बताया कि राधा रानी श्रीकृष्ण से पहले इस पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं और उन्होंने जीवनभर वृंदावन में निवास किया। राधा रानी के दिव्य प्राकट्य का उल्लेख करते हुए रीना ने कहा कि ब्रह्म वैवर्त पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, राधा और श्रीकृष्ण का विवाह भगवान ब्रह्मा द्वारा बंधिरवन वन में संपन्न कराया गया था। यह स्थल आज भी मथुरा जिले की मांट तहसील में मौजूद है, जहां प्रतिवर्ष फुलेरा दूज के दिन इस दिव्य विवाह का उत्सव मनाया जाता है।

जन्मभूमि पर अतिक्रमण का आरोप

रीना एन. सिंह ने कोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि प्रतिवादियों और उनके अनुयायियों ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि की पवित्र भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, जिसके कारण श्रद्धालुओं की अपने देवताओं तक पहुंच बाधित हो गई है। उन्होंने दावा किया कि जन्मस्थल की दीवारों, स्तंभों, और शिल्प को विकृत कर छिपा दिया गया है, जिससे हिंदुओं की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत को गहरी ठेस पहुंची है। रीना ने कहा, "श्रीकृष्ण और राधा रानी को सदियों से एक-दूसरे से अलग रखा गया है। वे अपने भक्तों से पुनर्मिलन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस पवित्र भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करवाना और दोनों देवताओं को उनका अधिकार दिलाना हमारा कर्तव्य है।"

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

रीना एन. सिंह ने कोर्ट के समक्ष इस स्थान के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि न केवल हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न हिस्सा है। राधा और श्रीकृष्ण की लीलाओं ने भारतीय संस्कृति, कला, और साहित्य को गहरे रूप से प्रभावित किया है। रीना ने जोर देकर कहा कि राधा रानी को पक्षकार बनाकर इस मामले में उनकी स्थिति को मजबूत करना न केवल धार्मिक न्याय की दृष्टि से जरूरी है, बल्कि यह हिंदू आस्था और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी आवश्यक है।

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद लंबे समय से चर्चा में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मथुरा में कटरा केशव देव की 13.37 एकड़ भूमि श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है, जहां प्राचीन काल से मंदिर मौजूद था। उनका आरोप है कि 17वीं शताब्दी में औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मामले में हिंदू पक्ष इस भूमि पर अपना स्वामित्व और मंदिर की पुनर्स्थापना की मांग कर रहा है। रीना एन. सिंह की याचिका ने इस विवाद में एक नया आयाम जोड़ा है, जिसमें राधा रानी को भी पक्षकार बनाने की मांग की गई है।

प्रतिवादियों का विरोध

सुनवाई के दौरान कुछ प्रतिवादियों ने राधा रानी को पक्षकार बनाने की मांग का विरोध किया। उनका कहना था कि यह मांग मामले को अनावश्यक रूप से जटिल कर सकती है। हालांकि, रीना एन. सिंह ने इस विरोध को खारिज करते हुए कहा कि राधा रानी का इस मामले में पक्षकार बनना ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से उचित है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि इस मांग को स्वीकार कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि को उसका मूल स्वरूप वापस दिलाया जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में राधा रानी को पक्षकार बनाने की मांग ने इस मामले को एक नई दिशा दी है। अधिवक्ता रीना एन. सिंह की दलीलों ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक तथ्यों को मजबूती से पेश किया, बल्कि यह भी साबित करने की कोशिश की कि राधा रानी और श्रीकृष्ण का संबंध अविभाज्य है। यह सुनवाई श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। अब कोर्ट के अगले फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं, जो इस ऐतिहासिक विवाद में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।

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