Maharashtra News: कक्षा 5 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने पर भड़के राज ठाकरे, बोले- इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार के द्वारा कक्षा 5 तक हिंदी को अनिवार्य किए जाने पर राज ठाकरे भड़क उठे हैं। उन्होंने राज्य...

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार के द्वारा कक्षा 5 तक हिंदी को अनिवार्य किए जाने पर राज ठाकरे भड़क उठे हैं। उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले का खुले तौर पर विरोध किया।
- हिंदी अनिवार्य होने पर नाराज दिखें राज ठाकरे
देश में वैसे तो हिंदी का चलन काफी है और देश के कई राज्यों में हिंदी अच्छी खासी बोली जाती है। लेकिन हिंदी को लेकर हमेशा से महाराष्ट्र में विरोध होता रहा है। यहां पर देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले लोगों को मराठी बोलने पर दबाव बनाया जाता है। लेकिन यहां मौजूद भाजपा की सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के द्वारा सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे ने इसका खुले तौर पर विरोध किया। उन्होंने एक बयान को जारी करते हुए कहा कि मैं स्पष्ट शब्दों में कहता हूं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इस अनिवार्यता को बर्दाश्त नहीं करेगी।
- हिंदी को शिक्षा में ना लाएं
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने हिंदी को कक्षा 5 तक अनिवार्य किए जाने पर अपनी चिंता को व्यक्त किया उन्होंने X पर एक ट्वीट लिखते हुए कहा “महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाना हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की ये कोशिशें महाराष्ट्र में हिंदी को थोपने की हैं, जो पूरी तरह गलत है। हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं, बल्कि एक राज्य भाषा है, जैसे अन्य भाषाएं हैं। इसे शुरू से ही महाराष्ट्र में क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? आगे कहा कि सरकार का जो फार्मूला है उन्हें सरकारी दफ्तर तक ही रखें।
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- राज ठाकरे ने सरकार को दी खुली चेतावनी
राज ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि "हम हिंदू हैं लेकिन हिंदी नहीं" अगर आप महाराष्ट्र को हिंदी के रंग में रंगने की सोच रहे हैं तो महाराष्ट्र में संघर्ष होना तय है। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान (मराठी भाषा) को जबरन हिंदी थोपकर दबाने की कोशिश की जा रही है, और यह स्वाभाविक रूप से विरोध और संघर्ष को जन्म देगा।
आगे कहा कि सरकार जानबूझकर मराठी बनाम गैर-मराठी का मुद्दा खड़ा कर रही है ताकि आगामी चुनावों में इसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सके। उन्होंने गैर-मराठी लोगों को भी आगाह किया कि यह सिर्फ भाषाई प्रेम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक चाल है।
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