MP: 50 लाख की सड़क घटिया निर्माण की भेंट चढ़ी: ठेकेदार की मनमानी, अधिकारियों की मिलीभगत और तकनीकी धांधली का खुलासा।
मध्यप्रदेश के बैतुल में जनप्रतिनिधियों के मौन का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है सड़कों की दुर्दशा से तो आज कोई भी अनजान नही है जबकि केंद्रीय
- घटिया निर्माण की भेंट चढ़ रही 50 लाख की सड़क,ठेकेदार की मनमानी और अधिकारियों की मिलीभगत का खामियाजा भविष्य में जनता भुगतेगी, तकनीकी अधिकारियों को नही है जानकारी मापदंड के विपरीत बन रही सड़क में बेस में है भारी गोलमाल, बोर्ड है न ही कोई पारदर्शिता इस सड़क में नजर आई,जांच टीम की जांच भी संदेह के घेरे में,सीएमओ को भी नही सड़क की गुणवत्ता की जानकारी,पूर्व में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बनी सड़क पर ही बनाई जा रही नगर परिषद की सड़क
मध्यप्रदेश के बैतुल में जनप्रतिनिधियों के मौन का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है सड़कों की दुर्दशा से तो आज कोई भी अनजान नही है जबकि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने भी माना सड़कों के हाल है बेहाल बावजूद इसके अधिकारी और इंजीनियर की मिलीभगत से ठेकेदार मौज उड़ा रहे है ताजा मामला जिले की आठनेर नगर परिषद से सामने आया जहाँ पूर्व में बनी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बनी सड़क पर ही कायाकल्प योजनांतर्गत 50 लाख की लागत से 600 मीटर सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
जिसमें मापदंड तो जैसे कुछ है ही नही ठेकेदार द्वारा सड़क पर बेस की जगह कच्चा मसाला गिट्टी और डस्ट दाल दी जा रही है और उसके ऊपर कांक्रीट किया जा रहा है जिससे ये समझ पाना मुश्किल है कि यह सड़क आखिर कितने दिन टिकेगी इंजीनियर का कहना है कि इस रोड के टेंडर में पुरानी सड़क पर ही नई लेयर डालने का काम किया जाना है अब सवाल यह है कि उस आधी सड़क खोदकर उसमें कच्चा मसाला और आधी पुरानी सड़क पर बिना बेस के कांक्रीट करने से सड़क की गुणवत्ता पर संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न हो रही है वही नगरपरिषद के इंजीनियर की योग्यता और उनके द्वारा सड़क के आंकलन को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है।
जब आमजन को इतनी खामियां इस सड़क में दिखाई दे रही है,तो फिर इंजीनियर को नजर क्यों नही आ रही। वहीं जब जांच टीम ने भी निर्माण की जांच की तो क्या उन्हें यह अनियमितताएं नजर नही आई या जांच दल को भी ले देकर जांच को रफा दफा कर फर्जी जांच रिपोर्ट देकर निकल गए और कार्य को गुणवत्तापूर्ण होने का तमगा दे गए और यहाँ आपको बता दें कि पंचायतों में तो 100 मीटर रोड ढाई लाख में बन जाती है पर नपा के इंजीनियरों द्वारा इतना स्टीमेट कैसे दे दिया ये भी जांच का विषय है खैर अब देखने वाली बात यह होगी कि उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा मामले में संज्ञान लेकर कोई जांच करवाई जाएगी या ठेकेदार अधिकारियों की मिलीभगत से शासन के पैसों पर मौज उड़ाते रहेंगे।
रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
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