Azamgarh: मारपीट केस में नाम निकालने के लिए 5 हजार रिश्वत मांगने पर सब-इंस्पेक्टर लालबहादुर प्रसाद गिरफ्तार, निलंबन के बाद जेल भेजा गया।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का एक नया मामला सामने आया है। देवगांव कोतवाली में तैनात

Nov 26, 2025 - 13:57
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Azamgarh: मारपीट केस में नाम निकालने के लिए 5 हजार रिश्वत मांगने पर सब-इंस्पेक्टर लालबहादुर प्रसाद गिरफ्तार, निलंबन के बाद जेल भेजा गया।
मारपीट केस में नाम निकालने के लिए 5 हजार रिश्वत मांगने पर सब-इंस्पेक्टर लालबहादुर प्रसाद गिरफ्तार, निलंबन के बाद जेल भेजा गया।

आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का एक नया मामला सामने आया है। देवगांव कोतवाली में तैनात सब-इंस्पेक्टर लालबहादुर प्रसाद को एक मारपीट के मुकदमे में आरोपी के नाम को जांच से बाहर करने के बदले 5 हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़ित ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुनील कुमार गुप्ता से शिकायत की थी, जिसके बाद विभाग ने गहन जांच शुरू की। जांच में दोषी पाए जाने पर एसपी ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया और जेल भेज दिया। यह घटना 25 नवंबर 2025 को हुई, जिससे पूरे जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। विभाग ने इसे भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का उदाहरण बताया है।

मामला देवगांव कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मिर्जापुर का है। शिकायतकर्ता आकाश चौहान ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनके साथ मारपीट की घटना हुई थी। इसकी शिकायत पर देवगांव कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ। जांच का जिम्मा सब-इंस्पेक्टर लालबहादुर प्रसाद को सौंपा गया। लेकिन जांच के दौरान प्रसाद ने आकाश से कई बार संपर्क किया और कहा कि मुकदमे में नाम निकालने के लिए 5 हजार रुपये देने होंगे। उन्होंने धमकी दी कि पैसे न देने पर फर्जी सबूत गढ़कर आकाश को ही आरोपी बना देंगे। आकाश ने पहले तो टालमटोल किया, लेकिन दबाव बढ़ने पर एसपी कार्यालय पहुंचे। उन्होंने 24 नवंबर को लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसमें पूरी घटना का विवरण दिया। एसपी ने तुरंत एक टीम गठित की, जिसमें सर्कल ऑफिसर और लोकल पुलिस शामिल थी।

जांच टीम ने गुप्त तरीके से आकाश को निर्देश दिए कि वे प्रसाद से फिर संपर्क करें और रिश्वत की मांग की पुष्टि करें। 25 नवंबर को कोतवाली परिसर के बाहर एक सुनसान जगह पर प्रसाद ने आकाश को बुलाया। जैसे ही आकाश ने 5 हजार रुपये का लिफाफा प्रसाद को सौंपा, छिपी हुई टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। मौके पर रिश्वत की राशि बरामद हो गई। प्रसाद ने शुरुआत में इनकार किया, लेकिन सबूतों के सामने झुक गए। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि वे कई मामलों में इसी तरह पैसे वसूलते थे। एसपी सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि यह कार्रवाई विभाग की पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। प्रसाद को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

देवगांव कोतवाली आजमगढ़ जिले के लालगंज तहसील में स्थित है। यह क्षेत्र ग्रामीण इलाका है, जहां छोटे-मोटे विवाद आम हैं। कोतवाली में करीब 20 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात हैं, और रोजाना दर्जनों शिकायतें आती हैं। लालबहादुर प्रसाद 2018 बैच के सब-इंस्पेक्टर थे और पिछले दो वर्षों से देवगांव में तैनात थे। उनके खिलाफ पहले भी शिकायतें आई थीं, लेकिन ठोस सबूत न होने से कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना के बाद कोतवाली के अन्य कर्मचारियों में डर का माहौल है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह मामला विभाग में सुधार लाएगा। कई पुलिसकर्मी अब सतर्क हो गए हैं। जिले में पिछले एक वर्ष में 12 से अधिक पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से आठ को सजा मिल चुकी है।

आकाश चौहान ने घटना के बाद राहत की सांस ली। उन्होंने कहा कि वे गरीब परिवार से हैं और मुकदमे में फंसने से डर रहे थे। एसपी से शिकायत करने पर उन्हें न्याय मिला। आकाश ने विभाग की तारीफ की और कहा कि ईमानदार अधिकारी ही समाज की रक्षा करते हैं। इस घटना ने स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग रिश्वत के डर से शिकायत दर्ज नहीं कराते। अब वे प्रोत्साहित महसूस कर रहे हैं। एसपी ने आकाश को सुरक्षा का आश्वासन दिया और मुकदमे की निष्पक्ष जांच का वादा किया।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई अभियान चलाए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 'मिशन शक्ति' और 'जीरो टॉलरेंस' नीतियां अपनाई गई हैं। आजमगढ़ में ही पिछले महीने एक हेड कांस्टेबल को 10 हजार रिश्वत लेते पकड़ा गया था। विभाग ने सतर्कता समितियां गठित की हैं, जो गुप्त जांच करती हैं। एसपी गुप्ता ने कहा कि वे जनता की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करेंगे। इस घटना से अन्य अधिकारियों को चेतावनी मिली है। कोतवाली में अब नई जांच टीम भेजी गई है, जो पुराने मामलों की समीक्षा करेगी।

यह मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #AzamgarhBribery और #PoliceCorruptionUP ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने विभाग की सराहना की, जबकि कुछ ने सवाल उठाए कि ऐसे अधिकारी कैसे नियुक्त होते हैं। एक यूजर ने लिखा कि रिश्वतखोरी रोकने के लिए सख्त कानून जरूरी हैं। मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से कवर किया। दैनिक जागरण और हिंदुस्तान जैसे अखबारों में विस्तृत रिपोर्ट छपी। टीवी चैनलों पर डिबेट हुईं, जहां विशेषज्ञों ने कहा कि भ्रष्टाचार पुलिस की छवि खराब करता है। पूर्व डीजीपी ने सुझाव दिया कि ट्रेनिंग में नैतिक शिक्षा बढ़ाई जाए।

आजमगढ़ जिला पूर्वांचल का एक संवेदनशील क्षेत्र है। यहां अपराध दर कम करने के लिए पुलिस सक्रिय है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कभी-कभी सुर्खियां चुरा लेते हैं। इस गिरफ्तारी से विभाग की विश्वसनीयता बढ़ेगी। पीड़ितों को न्याय मिलना ही असली न्याय व्यवस्था है। एसपी ने कहा कि वे और सख्ती बरतेंगे। लालबहादुर प्रसाद का मामला कोर्ट में चलेगा, जहां सजा के प्रावधान सख्त हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 7 से 10 वर्ष की कैद हो सकती है। यह घटना अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बनेगी।

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