Gorakhpur: मां की मौत पर बेटे का अमानवीय इनकार, मां की लाश आएगी तो अपशगुन होगा, फ्रीजर में रखवा दो, नम आंखों से पति ने गांववालों के साथ दफनाया। 

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज थाना क्षेत्र के भरोहियां गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो मानवता को शर्मसार

Nov 26, 2025 - 13:54
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Gorakhpur: मां की मौत पर बेटे का अमानवीय इनकार, मां की लाश आएगी तो अपशगुन होगा, फ्रीजर में रखवा दो, नम आंखों से पति ने गांववालों के साथ दफनाया। 
मां की मौत पर बेटे का अमानवीय इनकार, मां की लाश आएगी तो अपशगुन होगा, फ्रीजर में रखवा दो, नम आंखों से पति ने गांववालों के साथ दफनाया। 

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज थाना क्षेत्र के भरोहियां गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो मानवता को शर्मसार करने वाली है। यहां के एक किराना व्यापारी भुआल गुप्ता की पत्नी शोभा देवी की जौनपुर के एक वृद्धाश्रम में बीमारी से मौत हो गई। लेकिन उनके बड़े बेटे ने मां के शव को घर लेने से साफ इनकार कर दिया। कारण बताया कि घर में बेटे की शादी हो रही है और शव आने से अपशगुन होगा। उसने वृद्धाश्रम प्रबंधन से कहा कि शव को चार दिन तक डीप फ्रीजर में रख दो, शादी के बाद अंतिम संस्कार कर देंगे। इस अमानवीय बयान ने न केवल परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे गांव को सन्न कर दिया। आखिरकार, पति भुआल गुप्ता ने अपनी पत्नी के शव को जौनपुर से गोरखपुर लाकर गांववालों की मदद से घाट किनारे दफना दिया। यह घटना 20 नवंबर 2025 को हुई, लेकिन 24-25 नवंबर को मीडिया में आने के बाद सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश फैल गया।

शोभा देवी (65 वर्ष) और उनके पति भुआल गुप्ता (70 वर्ष) का जीवन कभी हंसी-खुशी से भरा था। भरोहियां गांव में किराना दुकान चलाकर वे अपने तीन बेटों संजय (बड़ा), जग्गू (मझला) और अज्जू (छोटा) तथा तीन बेटियों का पालन-पोषण करते थे। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ परिवार में बदलाव आया। बड़े बेटे संजय ने माता-पिता को बोझ समझकर घर से निकाल दिया। गुस्से में भुआल और शोभा राजघाट नदी किनारे चले गए। ग्रामीणों ने उन्हें समझाया और मथुरा जाने की सलाह दी। पहले वे अयोध्या गए, फिर मथुरा पहुंचे। वहां किसी ने जौनपुर के विकास समिति वृद्धाश्रम का नंबर दिया। वृद्धाश्रम के हेड रवि कुमार चौबे ने फोन पर बात की और दंपति को अपने यहां बुला लिया। पिछले एक साल से वे दोनों वृद्धाश्रम में रह रहे थे। रवि चौबे ने बताया कि संस्था ने उनका पूरा ख्याल रखा। रहना, खाना और इलाज सब मुफ्त। कभी-कभी छोटे बेटे अज्जू से फोन पर बात होती थी, लेकिन बड़े और मझले बेटे से कोई संपर्क नहीं था।

20 नवंबर को शोभा देवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। वृद्धाश्रम के डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन देर रात उनका निधन हो गया। सुबह रवि चौबे ने छोटे बेटे अज्जू को फोन किया और दुखद समाचार बताया। अज्जू ने कहा कि बड़े भाई संजय से पूछकर बताता हूं। थोड़ी देर बाद संजय का फोन आया। उसने कहा कि 23 नवंबर को उसके बेटे की शादी है। घर में शव आएगा तो अपशगुन होगा। इसलिए मां का शव चार दिन तक वृद्धाश्रम के डीप फ्रीजर में रख दो। शादी खत्म होने के बाद ले जाकर अंतिम संस्कार कर देंगे। यह सुनकर रवि चौबे सन्न रह गए। उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है? शव को फ्रीजर में रखना मानवीय नहीं। लेकिन संजय अड़ गया। मझला बेटा जग्गू ने भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर यही बात दोहराई। वृद्धाश्रम प्रबंधन ने कई बार समझाया, लेकिन बेटों ने साफ मना कर दिया। रवि चौबे ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्होंने कभी ऐसी बेरुखी नहीं देखी। आंखों में आंसू आ गए थे।

इस घटना ने भुआल गुप्ता का दिल तोड़ दिया। वे अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते थे, जो गांव के घाट पर दफनाना था। उन्होंने शोभा के शव को खुद एम्बुलेंस से जौनपुर से गोरखपुर लाया। लेकिन घर पहुंचे तो दरवाजा बंद मिला। बड़े बेटे संजय ने दरवाजा खोला ही नहीं। भुआल ने रोते हुए कहा कि बेटों ने हमें बोझ बता दिया। अब मरने के बाद भी अपशगुन का बहाना। गांववालों को खबर लगी तो पूरा गांव सन्न रह गया। ग्रामीणों ने बेटों को खूब कोसा। एक ग्रामीण ने कहा कि ये कलयुग की सबसे बड़ी विडंबना है। मां ने जीवनभर त्याग किया, लेकिन बेटे शादी के नाम पर शव ठुकरा देते हैं। रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने भुआल को सांत्वना दी। आखिरकार, 24 नवंबर को गांव के घाट पर शोभा देवी का अंतिम संस्कार किया गया। भुआल फूट-फूटकर रोए। ग्रामीणों ने कंधा संभाला और दफनाने में मदद की। शव को मिट्टी में सुपुर्द किया गया। इस दृश्य ने गांव में मातम छा दिया।

घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #KalayugiBete और #MotherDeathRefused ट्रेंड करने लगे। हजारों यूजर्स ने बेटों की निंदा की। एक यूजर ने लिखा कि अपशगुन का बहाना बनाकर मां को अपमानित करना पशुवत है। वृद्धाश्रम प्रबंधन ने भी पोस्ट शेयर की, जिसमें शोभा की तस्वीर थी। उन्होंने लिखा कि बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है। वृद्धावस्था में सहारा देना हमारा कर्तव्य। इस घटना ने बुजुर्गों की स्थिति पर बहस छेड़ दी। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवारों में संयुक्त व्यवस्था कम हो रही है। बेटे संपत्ति तो ले लेते हैं, लेकिन जिम्मेदारी नहीं निभाते। भारत में 1.5 करोड़ से अधिक बुजुर्ग अकेले रहते हैं। उत्तर प्रदेश में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सुविधाएं अपर्याप्त हैं। जौनपुर का यह वृद्धाश्रम 50 से अधिक बुजुर्गों का घर है। यहां भोजन, चिकित्सा और मनोरंजन की व्यवस्था है, लेकिन भावनात्मक सहारा सबसे जरूरी। रवि चौबे ने कहा कि वे भुआल को भी आश्रम में ही रखेंगे। अब भुआल अकेले हैं, लेकिन गांववालों का सहयोग मिल रहा है।

प्रशासन ने भी संज्ञान लिया। कैंपियरगंज थाने के एसएचओ ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। अगर बेटों ने संपत्ति हड़पी है, तो कार्रवाई होगी। बुजुर्गों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की 'एक जिला एक वृद्धजन योजना' के तहत सहायता दी जाती है। लेकिन ऐसी घटनाएं समाज को झकझोरती हैं। भुआल ने मीडिया से कहा कि बेटों से कोई शिकायत नहीं, बस दुख है कि जीवन के अंत में अपनों का साथ न मिला। शोभा देवी की बेटियां संपर्क में हैं, लेकिन वे दूर रहती हैं। छोटा बेटा अज्जू ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया, लेकिन बड़े भाइयों का बहिष्कार रहा। यह घटना परिवारिक मूल्यों पर सवाल खड़ी करती है। शादी जैसे पावन अवसर पर मां का शव ठुकराना अमानवीय है। अपशगुन की अंधविश्वास ने मानवीयता को कुचल दिया।

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