हैदराबाद में अमेरिकी वीजा न मिलने से निराश डॉक्टर रोहिणी ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में डिप्रेशन का जिक्र। 

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पद्मा राव नगर इलाके में शुक्रवार रात एक दर्दनाक घटना घटी। गुंटूर जिले आंध्र प्रदेश की रहने वाली 38 वर्षीय

Nov 24, 2025 - 16:15
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हैदराबाद में अमेरिकी वीजा न मिलने से निराश डॉक्टर रोहिणी ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में डिप्रेशन का जिक्र। 
हैदराबाद में अमेरिकी वीजा न मिलने से निराश डॉक्टर रोहिणी ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में डिप्रेशन का जिक्र। 

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पद्मा राव नगर इलाके में शुक्रवार रात एक दर्दनाक घटना घटी। गुंटूर जिले आंध्र प्रदेश की रहने वाली 38 वर्षीय महिला डॉक्टर रोहिणी की लाश उनके फ्लैट में मिली। प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला लग रहा है। पुलिस को फ्लैट से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें रोहिणी ने डिप्रेशन का जिक्र किया और अमेरिकी जे-1 वीजा अस्वीकृति को अपनी उदासी का मुख्य कारण बताया। रोहिणी अमेरिका में इंटर्नल मेडिसिन में विशेषज्ञता हासिल करने का सपना देख रही थीं।

घटना की जानकारी शनिवार सुबह हुई। रोहिणी के परिवार वाले, जो शहर के दूसरे इलाके में रहते हैं, उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। फोन पर कोई जवाब न मिलने पर वे फ्लैट पहुंचे। दरवाजा खटखटाया लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया न आई। चिंता बढ़ने पर उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया। अंदर रोहिणी का शव फर्श पर पड़ा मिला। पास ही सुसाइड नोट था। चिल्कलगुडा थाने के इंस्पेक्टर बी. अनुदीप ने बताया कि रोहिणी ने शायद सोते हुए गोलियां ज्यादा खा लीं या इंजेक्शन लगाया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है। फिलहाल मामला आत्महत्या का दर्ज किया गया है। परिवार को सूचना दी गई और शव गुंटूर ले जाया गया। अंतिम संस्कार वहां ही होगा।

रोहिणी का जन्म गुंटूर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता का देहांत हो चुका था। मां लक्ष्मी राज्यम गृहिणी हैं। रोहिणी बचपन से ही होशियार छात्रा रहीं। 2005 से 2010 तक उन्होंने किर्गिस्तान में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। वहां की पढ़ाई सस्ती और अच्छी मानी जाती है। भारत लौटने के बाद उन्होंने हैदराबाद में प्रैक्टिस शुरू की। लेकिन उनका सपना बड़ा था। वे अमेरिका जाकर इंटर्नल मेडिसिन में रेजिडेंसी करना चाहती थीं। इसके लिए जे-1 एक्सचेंज विजिटर वीजा की जरूरत पड़ती है। यह वीजा डॉक्टरों, छात्रों और प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग के लिए मिलता है। रोहिणी ने पिछले एक साल से इसकी तैयारी की। अमेरिकी कॉलेज से एडमिशन मिला था। लेकिन वीजा इंटरव्यू हैदराबाद के यूएस कंसुलेट में असफल रहा।

लक्ष्मी ने बताया कि बेटी अमेरिका जाने को बेताब थी। वहां कम पेशेंट्स पर ज्यादा कमाई का लालच था। भारत में प्रैक्टिस के दौरान वे कहतीं कि यहां मरीजों की संख्या सीमित है और सुविधाएं कम। मां ने उन्हें भारत में ही रहने की सलाह दी। लेकिन रोहिणी ने नहीं मानी। वीजा का इंतजार लंबा खिंच गया। अमेरिकी सरकार ने हाल ही में वीजा नियम सख्त किए हैं। इंटरव्यू के बाद रिजेक्शन लेटर आया तो रोहिणी टूट गईं। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि डिप्रेशन ने उन्हें घेर लिया। कुछ रिपोर्ट्स में नोट में एक असफल मैरिज प्रपोजल का भी जिक्र है। रोहिणी की उम्र 38 वर्ष थी। शादी न होने का दबाव भी था। परिवार ने कहा कि वे अकेली रहती थीं। पद्मा राव नगर इसलिए चुना क्योंकि वहां लाइब्रेरी नजदीक हैं। पढ़ाई के लिए सुविधाजनक था।

पुलिस जांच में पता चला कि रोहिणी फ्लैट में अकेली रहती थीं। पड़ोसियों ने बताया कि वे शांत स्वभाव की थीं। हाल ही में उदास नजर आ रही थीं। कोई शोर या झगड़ा नहीं सुना। सुसाइड नोट परिवार और दोस्तों के नाम था। इसमें वीजा रिजेक्शन को मुख्य कारण बताया। पुलिस परिवार से पूछताछ कर रही है। टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट से साफ होगा कि मौत का सटीक कारण क्या था। चिल्कलगुडा पुलिस ने कहा कि कोई संदिग्ध परिस्थिति नहीं दिख रही। लेकिन पूरी जांच होगी। रोहिणी का मोबाइल और लैपटॉप जब्त किए गए। उनमें वीजा संबंधी ईमेल और मैसेज चेक किए जा रहे हैं।

यह घटना हैदराबाद में डॉक्टरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संकट को दर्शाती है। कोविड के बाद कई डॉक्टर विदेश जाने की होड़ में हैं। लेकिन वीजा रिजेक्शन आम हो गया है। अमेरिका में एच-1बी और जे-1 वीजा के लिए सख्त स्क्रूटनी है। डॉक्टरों को अतिरिक्त ट्रेनिंग और फंडिंग की जरूरत पड़ती है। रोहिणी जैसी कई युवतियां प्रभावित हो रही हैं। एक सर्वे के अनुसार, भारत में डॉक्टरों में डिप्रेशन की दर 40 प्रतिशत से ज्यादा है। काम का दबाव, कम सैलरी और सामाजिक अपेक्षाएं कारण हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि काउंसलिंग और हेल्पलाइन जरूरी हैं। तेलंगाना सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन शुरू की है। लेकिन जागरूकता कम है।

रोहिणी की मां लक्ष्मी बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा कि बेटी का सपना टूटा तो वह अकेले पड़ गईं। परिवार ने उन्हें सांत्वना दी। गुंटूर में अंतिम संस्कार के दौरान कई डॉक्टर और दोस्त पहुंचे। वे रोहिणी की मेहनत की तारीफ कर रहे थे। एक दोस्त ने बताया कि रोहिणी रात-रात भर पढ़ती थीं। वीजा इंटरव्यू की तैयारी में लाखों रुपये खर्च हुए। लेकिन सब व्यर्थ गया। लक्ष्मी ने बेटी को फोन पर समझाया था कि भारत में भी अच्छी नौकरी मिल सकती है। लेकिन रोहिणी ने कहा कि वहां सम्मान और पैसा दोनों हैं। अब परिवार पछता रहा है।

सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई। लोग डिप्रेशन और वीजा सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि विदेश का चक्कर जीवन बर्बाद कर रहा है। दूसरे ने कहा कि सरकार को डॉक्टरों के लिए विदेशी ट्रेनिंग के विकल्प भारत में बढ़ाने चाहिए। हैदराबाद के मेडिकल कॉलेजों में चर्चा हो रही है। छात्र कह रहे हैं कि वीजा रिजेक्शन सामान्य है लेकिन इसे संभालना सीखना पड़ेगा। एनडीटीवी और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसी मीडिया ने विस्तार से कवर किया। पुलिस ने परिवार को सहारा देने का वादा किया।

यह मामला महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी रोशनी डालता है। रोहिणी जैसे पेशेवर महिलाओं पर करियर और शादी का दबाव होता है। 30 की उम्र पार करने पर परिवार ताने मारता है। वीजा असफलता ने इसे बढ़ा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सुसाइड रोकने के लिए शुरुआती काउंसलिंग जरूरी। भारत में सालाना 1.5 लाख सुसाइड होते हैं। इनमें युवा और पेशेवर ज्यादा हैं। रोहिणी की मौत ने एक अभियान शुरू कर दिया। डॉक्टर एसोसिएशन ने मीटिंग बुलाई। वे वीजा प्रक्रिया पर जागरूकता फैलाएंगे।

हैदराबाद पुलिस ने कहा कि जांच पूरी होने पर रिपोर्ट सौंपेंगे। फिलहाल परिवार शोक में है। रोहिणी की यादें उनके फ्लैट में बिखरी हैं। किताबें, नोट्स और वीजा दस्तावेज। पड़ोसी कहते हैं कि वे हमेशा मुस्कुराती रहती थीं। लेकिन अंदर ही अंदर टूट रही थीं। यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर कर रही है। सपनों का पीछा करना अच्छा है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। हेल्पलाइन नंबर 104 या 9152907829 पर मदद लें। रोहिणी की कहानी एक सबक है। उनके जैसे कई युवा हैं जो चुपचाप जूझ रहे। समय रहते हाथ थामें।

रोहिणी की शिक्षा यात्रा प्रेरणादायक थी। किर्गिस्तान से एमबीबीएस करने के बाद वे भारत लौटीं। यहां रजिस्ट्रेशन कराया। प्रैक्टिस के साथ आगे की पढ़ाई जारी रखी। अमेरिकी कॉलेज ने उन्हें शॉर्टलिस्ट किया। लेकिन वीजा इंटरव्यू में डॉक्यूमेंट्स या इंटरव्यू में कमी रही। यूएस कंसुलेट हैदराबाद में हर साल हजारों आवेदन आते हैं। रिजेक्शन रेट 50 प्रतिशत से ज्यादा। रोहिणी ने दोबारा अप्लाई करने की सोची लेकिन हिम्मत हार गईं। मां ने बताया कि बेटी कॉलेज प्रेशर में थी। एडमिशन कैंसल न हो इसके लिए जल्दी जाना था।

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