Saharanpur : गागलहेड़ी में आजादी के 78 वर्ष बाद भी शमशान घाट का अभाव
यह क्षेत्र पहले हरोड़ा विधानसभा के नाम से जाना जाता था। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने 1996 में इसी क्षेत्र से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और मुख्यमंत्री बनीं। वे
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश में शमशान घाटों और कब्रिस्तानों के सौंदर्यीकरण, चारदीवारी निर्माण और टीन शेड लगाने के कार्यों से कई राज्य सरकारें सराहना पाती रही हैं। लेकिन जनपद सहारनपुर के सहारनपुर देहात विधानसभा क्षेत्र के कस्बा गागलहेड़ी में हिंदू समुदाय के लिए कोई सार्वजनिक शमशान घाट नहीं है। यहां के लोग अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार सहारनपुर-देहरादून रोड पर स्थित हिंदन नदी के पुराने पुल के नीचे करते हैं। यह समस्या मौसम की मार से और गंभीर हो जाती है।
यह क्षेत्र पहले हरोड़ा विधानसभा के नाम से जाना जाता था। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने 1996 में इसी क्षेत्र से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और मुख्यमंत्री बनीं। वे दो बार इस क्षेत्र से विधायक चुनी गईं, लेकिन ग्राम पंचायत गागलहेड़ी में शमशान घाट नहीं बन सका। आजादी के बाद इस क्षेत्र से कांग्रेस की शकुंतला देवी, समाजवादी पार्टी की विमला राकेश, भारतीय जनता पार्टी के मोहर सिंह विधायक रहे। 1993 में भाजपा के मोहर सिंह ने राम मंदिर आंदोलन की लहर में जीत हासिल की थी। लेकिन इनमें से किसी ने भी गागलहेड़ी के लोगों की इस समस्या का समाधान नहीं किया।
वर्तमान में यह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। समाजवादी पार्टी के हाजी मसूद अख्तर 2017 में विधायक चुने गए। इससे पहले 2012 में बसपा के जगपाल सिंह और 2007 में भाजपा के सुरेश राणा विधायक रहे।
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