Sambhal News: सेमिनार से हुआ दो रोज़ा उर्से अजमली का आग़ाज़।
मरकज़ी मदरसा अहले सुन्नत अजमल उल उलूम के बानी (संस्थापक) हज़रत मुफ़्ती अजमल शाह का 63 वाँ उर्से अजमली का आग़ाज़ ....
रिपोर्ट- उवैस दानिश
सम्भल। मरकज़ी मदरसा अहले सुन्नत अजमल उल उलूम के बानी (संस्थापक) हज़रत मुफ़्ती अजमल शाह का 63 वाँ उर्से अजमली का आग़ाज़ सेमिनार से हुआ। प्रोग्राम की शुरुआत क़ारी सलमान अशरफ़ी ने तिलावत से की, मौलाना सुलेमान अजमली ने हम्द व दिलकश अजमली ने नाते पाक पढ़ी। मौलाना शमशाद मिस्बाही ने अपना लेख पेश करते हुए कहा कि हज़रत मुफ़्ती अजमल शाह साहब ख़ानदानी आलिम थे, शाह साहब सिर्फ़ आलिम मुफ़्ती ही नहीं बल्कि बहुत अच्छे शायर भी थे, शायरी के फ़न से भली भांति वाकिफ़ थे। किसी को आपकी शायरी देखनी हो तो आपका दीवान इंतिख़ाबे अजमल उल उलमा पढ़े।
मौलाना इमरान मंज़री ने अपने लेख में कहा कि मुफ़्ती अजमल शाह इल्मे हदीस के तमाम इल्म से आरास्ता थे, आप एक बहुत बड़े आलिम, मुफ़्ती, मुहद्दिस, फ़क़ीह थे। आप एक सच्चे मुबल्लिग थे। मुफ़्ती हसीब अख़्तर ने अपने लेख में कहा कि आप हज़रत की रद्दे शहाबे साकिब पढ़िए कैसे आपने उठने वाले फ़ितनों का जवाब दिया है। मौलाना ख़्वाजा कलीम अशरफ़ सम्भली ने अपने लेख में कहा कि सम्भल में मज़हबी शख़्सियत पर कभी सेमिनार नहीं हुआ था, हमने 12 साल पहले 50 वें उर्से अजमली पर पहली मर्तबा अजमल उल उलमा सेमिनार किया, और यह तब से अब तक लगातार जारी है।
मरकज़ी मदरसा का स्टाफ़ रेगुलर काम कर रहा है, यहाँ से हमारे बच्चे सीखकर अच्छी अच्छी पोस्टों पर पहुंच रहे हैं। आप एक बहुत बेहतरीन क़ारी थे, आपने तजवीद हज़रत सय्यद नईमुद्दीन मुरादाबादी और हुज्जतुल इस्लाम मौलाना हामिद रज़ा ख़ाँ से पढ़ी। आप फन्नी क़ारी भी थे और मशक़ी क़ारी भी थे। आप दरसे निज़ामी के अलावा तजवीद भी पढ़ाते थे, आपके तजवीद में बहुत से शागिर्द हैं जो मशहूर हैं। मुफ़्ती शकील मिस्बाही ने अपने लेख में कहा कि मुफ़्ती अजमल शाह इल्म-ए-फ़राइज़ में भी महारत रखते थे, आपकी फ़तावा अजमलिया में पूरा किताबुल फ़राइज़ मौजूद है।
आपकी शोहरत का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि बड़ी बड़ी दरगाहों से भी आपके पास सवालात आते थे और आप सबका जवाब इनायत फ़रमाते थे। मदरसे के प्रिंसिपल मुफ़्ती अहमद रज़ा मिस्बाही ने अपने लेख में कहा कि अजमल शाह साहब को एशिया के तमाम देशों में अहले इस्लाम जानते हैं। अपने बेशुमार फ़तवे दिए हैं, जिस भाषा में सवाल किया जाता था आप उसी भाषा में उसका जवाब देते थे, और ऐसा जवाब देते कि सवाल करने वाला आपकी बात से मुत्तफ़िक़ होता था। संचालन मुफ़्ती आलम नूरी ने किया। शहर मुफ़्ती क़ारी अलाउद्दीन अजमली ने मुल्क व क़ौम के लिए दुआ कराई।
इस मौके पर हाजी ज़फ़ीर अहमद, सय्यद अब्दुल क़दीर, हाजी यामीन, क़ारी वसी अशरफ़ ने लेख पेश करने वालों को सर्टिफ़िकेट एंव बैग वितरित किए, तथा बाक़ी मेहमानों को भी बैग वितरित किए। क़ारी तनज़ीम अशरफ़ अजमली ने लोगों का आभार व्यक्त किया। तक़ी अशरफ़ एडवोकेट ने पूरे सेमिनार की व्यवस्था सँभाली। कल 01 नवम्बर बरोज़ जुमा सुबह 09 बजे प्रोग्राम शुरू होगा और 12:20 पर क़ुल शरीफ़ (दुआ) होगा। और मुफ़्ती अजमल शाह साहब की अजमली निज़ामे शरीयत का इजरा होगा।
प्रोग्राम में मुफ़्ती राशिद सक़ाफ़ी, मुफ़्ती उमर नईमी, इमामे ईदगाह मौलाना ज़हीरुल इस्लाम, मौलाना नईम अशरफ़ी, मौलाना याक़ूब, मौलाना शरीफ़ लतीफी, मौलाना मुशर्रफ़ अशरफ़ी, मौलाना नय्यर जमाल, मौलाना मुहम्मद हुसैन, मौलाना मुज़म्मिल, मौलाना गुल अजमली, क़ारी शौकत, क़ारी ग़ुलाम मुदस्सिर, क़ारी शाहिद, क़ारी सरताज, क़ारी अकबर अली, क़ारी साजिद, क़ारी ज़ाहिद, क़ारी सुलेमान अशरफ़ी, क़ारी शुऐब अजमली, क़ारी कलीम, हाफ़िज़ अब्दुल मन्नान, मास्टर इस्माईल, सरफ़राज़ अजमली, सुब्हान अजमली मौजूद रहे।
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