Maha Kumbh 2025: मौनी अमावस्या के दिन चलेगी 150 ट्रेन, हर 4 मिनट में श्रद्धालुओं को मिलेगी ट्रेन।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और ऐसे में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में प्रशासन....
अशरफ अंसारी की रिपोर्ट-
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ को लेकर रेलवे के तरफ से मौनी अमावस्या mauni amavasya के दिन 150 ट्रेन चलाने का ऐलान किया गया है। रेलवे की फैसले के बाद से महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालु बड़े ही आराम से सफर कर सकेंगे।
- मौनी अमावस्या mauni amavasya पर करोड़ो श्रद्धालु गंगा में लगाएंगे आस्था डुबकी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और ऐसे में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने श्रद्धालुओं को लेकर खासा इंतजाम किया हुआ है। लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत श्रद्धालुओं को जब होगी जब पर्व मौनी अमावस्या mauni amavasya का दिन होगा। ऐसे में श्रद्धालुओं को ट्रेन में यात्रा करने में किसी भी तरीके की परेशानी ना हो सके जिसको लेकर रेलवे के तरफ से एक बड़ा ऐलान किया गया है। जिसने बताया गया है कि मौनी अवस्था के दौरान 150 ट्रेन चलाई जाएगी। जो कि श्रद्धालुओं को हर 4 मिनट बाद मिलेगी। वहीं हर 4 मिनट में ट्रेन मिलने का एक रिकॉर्ड भी कायम होगा।
- रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज डिवीजन संभालेगा भीड़
जानकारी के अनुसार, कुम्भ मेला 2025 के दौरान प्रयागराज जंक्शन से सबसे अधिक रेलगाड़ियां संचालित की जाएंगी। इसके साथ ही मण्डल के अन्य स्टेशनों से भी दिशावार स्पेशल गाड़ियों का संचालन किया जाएगा। नियमित ट्रेनों का संचालन भी समयानुसार होगा। मालवीय ने बताया कि यदि किसी स्टेशन से एक दिन में 150 से अधिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन होता है, तो यह एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। कुम्भ 2019 में मौनी अमावस्या के दिन लगभग 85 मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन हुआ था, जो इस बार के मुकाबले कम था।
- 10 करोड़ भीड़ जुटने का लगाया गया अनुमान
महाकुंभ को लेकर अनुमान लगाया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम स्नान के लिए आएंगे, जिनमें से 10 से 20 प्रतिशत श्रद्धालुओं के ट्रेन से आने का अनुमान है। इस बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रयागराज रेल मंडल ने पूरी तैयारी की है। वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि रेलगाड़ियों के संचालन के साथ-साथ यात्रियों के ठहरने और सही ट्रेनों तक पहुंचने के लिए 'कलर कोडिंग' की व्यवस्था की गई है, ताकि यात्रियों को आसानी से अतिरिक्त आश्रय स्थलों और सही ट्रेनों का पता चल सके।
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