आश्रय स्थलों में संरक्षित अधिकांश पशुओं के लिए मुसीबत, 4599 हेक्टेयर चारागाह भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने का लक्ष्य

शासन और प्रशासन के निर्देशों को धता बताते हुए अभी भी शतप्रतिशत चारागाहों से अवैध कब्जा नहीं हट पाया है। चारागाह के लिए सुरक्षित भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण है।

Oct 15, 2024 - 23:10
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आश्रय स्थलों में संरक्षित अधिकांश पशुओं के लिए मुसीबत, 4599 हेक्टेयर चारागाह भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने का लक्ष्य

Hardoi News INA.

जनपद में 70 हजार से अधिक निराश्रित पशुओं को तीन सौ से अधिक आश्रय स्थलों में संरक्षित किया गया है। पशुओं को चारा एवं भूसा के लिए लगातार धनराशि भी जारी की जा रही है, संरक्षित पशुओं को नियमित चारा उपलब्ध करवाने के लिए जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने पशु आश्रय स्थलों के निकटवर्ती चारागाहों की मैपिंग आश्रय स्थलों से करने एवं हरा चारा बोआई कर पशुओं को नियमित रूप से उपलब्ध करवाने के निर्देश भी दिए हैं। पर शासन और प्रशासन के निर्देशों को धता बताते हुए अभी भी शतप्रतिशत चारागाहों से अवैध कब्जा नहीं हट पाया है। चारागाह के लिए सुरक्षित भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण है। कहीं फसलें बोई जा रही हैं, तो कहीं लोगों ने स्थाई कब्जा करने के लिए मकान बना लिए हैं। अधिकांश चारागाहों पर अवैध कब्जा होने से आश्रय स्थल में संरक्षित पशु सूखा भूसा खाने को मजबूर हो रहे हैं।

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यह हाल तब है जबकि चारागाहों पर अवैध कब्जे हटाने का मामला उच्च न्यायालय प्रयागराज में विचाराधीन हैं और प्रदेश सरकार को नवम्बर माह में इस प्रकरण पर जवाब देना है। वहीँ मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. एके सिंह ने बताया एक हेक्टेयर में हरा चारा बोने से लगभग 80 से 100 पशुओं को वर्ष भर नियमित हरा चारा उपलब्ध हो जाता है। जनपद में उपलब्ध चारागाह भूमि पर हरा चारा बोआई हो जाए तो चार से पांच लाख पशुओं को नियमित रूप से हरा चारा उपलब्ध हो सकता है। बताया इसको लेकर बीते माह अभियान चलाया जा चुका है, अब तक लगभग दो हजार हेक्टेयर चारागाह भूमि अतिक्रमण मुक्त हो चुकी है। मैपिंग एवं चारा बोवाई का कार्य तीव्रता से किया जा रहा है।जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कहा कि जनपद में चारागाह की कितनी भूमि है, इसके आंकड़े प्रशासन के पास हैं। सभी तहसीलों को चारागाह की इंच इंच भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिए गए हैं, इसकी नियमित मानीटरिंग भी की जा रही है। बीते माह चारागाह के लिए आरक्षित भूमि से अतिक्रमण हटाने की चलाई गई मुहिम के बाद भी अभी तीन हजार हेक्टेयर से अधिक चारागाह भूमि से अवैध कब्जा हटाया जाना बाकी है। अतिक्रमण न हट पाने, चारागाहों में चारा बोवाई न हो पाने के कारण आश्रय स्थलों में संरक्षित अधिकांश पशुओं को सूखा भूसा ही उपलब्ध हो पा रहा है। आश्रय स्थलों में संरक्षित पशुओं को हरा चारा उपलब्ध करवाने के लिए जनपद को 4599 हेक्टेयर चारागाह भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने का लक्ष्य भी शासन स्तर से तय किया गया है।

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