मसूरी: भगवान श्रीकृष्ण की डोली यात्रा, 160 साल का है इतिहास
मसूरी।
पहाड़ों की रानी मसूरी में 160 सालों से ऐतिसाहिक भगवान श्रीकृष्ण की डोली यात्रा धूमधाम के साथ निकाली गई जिसमें मसूरी और आसपास के सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने शिरकत कर भगवान श्री कृष्ण का आर्शीवाद लिया। माना जाता है कि साल भर में एक बार भगवान श्री कृष्ण नगर भ्रमण पर निकलते है ओर जो लोग मंदिर आने में असमर्थ रहते है व इस दिन भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं जो पूरी होती है।
मसूरी में सनातन धर्म मंदिर के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की डोली यात्रा मसूरी सनातन धर्म मंदिर से गांधी चौक तक निकाली गई वह रास्ते भी मसूरी के विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और कृष्ण भक्तों के द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था जिससे सभी लोगो ने ग्रहण किया। इस मौके पर जौनपुर, जौनसार, टिहरी, देहरादून आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. वहीं, भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए।
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मालरोड पर बैंड बाजे और पारंपरिक ढोल दमाऊ के साथ कन्हैया की दर्जनभर आकर्षक झांकियां निकाली गई, जो लोगों का आकर्षण का केंद्र बनी रही. श्रीकृष्ण की डोली के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. वहीं, इससे पूर्व मसूरी सनातन धर्म मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की डोली की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई. इसके बाद डोली नगर भ्रमण के लिए निकली. बैंड बाजों एवं पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ निकली डोली लंढौर बाजार, मलिंगार, कुलड़ी मालरोड होते हुए गांधी चौक तक गई. वहां से वापस मंदिर पहुंची।
शोभा यात्रा में जहां सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के छात्र वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया गया वह पहाड़ की संस्कृति की भी झलक देखने को मिली जिसने सभी के मन को मोह लिया वह भगवान शिव पर आधारित नृत्य से सभी लोगो को भगवान शिव की भक्ति में विलीन कर दिया। मसूरी के स्थानीय निवासियों ने कहा कि पिछले 160 सालों से जन्माष्टमी के बाद आने वाले पहले रविवार को कन्हैया कि डोली निकाली जाती है. व अंग्रेजो के समय पर भी श्री कृष्ण की डोली निकाली जाती थी व भक्तों की भक्ति हुए अंग्रेज हुकुमत भी डोली निकलने की अनुमति देती थी।
रिपोर्ट: सुनील सोनकर
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