Baitul News : बैतूल परियोजना 12 साल से एक ही रेंज में है पदस्थ, निकल गए लाखों के बिल मेडिकल के नाम पर ,अब भी रामपुर में ही पदस्थ है डिप्टी रेंजर दुर्गेश मालवीय,अधिकारी है खास मेहरबान 

यहाँ तो हाल यह है कि कर्मचारियों को इतना सर चढ़ा कर रखा गया है कि वो अपनी पूरी नोकरी एक ही रेंज में अपने गृह क्षेत्र में रहकर कर रहे है और अधिकारियों की जी...

Jun 26, 2025 - 22:16
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Baitul News : बैतूल परियोजना 12 साल से एक ही रेंज में है पदस्थ, निकल गए लाखों के बिल मेडिकल के नाम पर ,अब भी रामपुर में ही पदस्थ है डिप्टी रेंजर दुर्गेश मालवीय,अधिकारी है खास मेहरबान 

रिपोर्ट : शशांक सोनकपुरिया, बैतूल- मध्यप्रदेश

By INA News Madhya Pradesh.

मध्यप्रदेश के बैतूल में इस समय वन विभाग है सुर्खियों में बना हुआ है और जब बात मध्यप्रदेश वन राज्य निगम की हो तो क्या ही कहने क्योंकि यहाँ तो सालों से डिप्टी और नाकेदार निगम को चुना लगाकर मलाई खाने में लगे हुए है जबसे ड्यूटी पर लगे है तबसे एक ही रेंज में पूरी कर रहे अपनी नोकरी इन पर अधिकारियों को भी खास मेहरबानी होने की जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है आपको बता दें कि रामपुर भतोड़ी परियोजना मण्डल बैतूल में भृष्टाचार अब चरम पर है पर विभाग के जिम्मदार एसी चेम्बर में बैठकर ही खानापूर्ति और ट्रांसफर ट्रांसफर खेल रहे है ताकि भृष्टाचार का खुलासा न हो जाये इसीलिए अधिकारी कर्मचारियों को ही हटाकर अपने दामन के दाग मिटाने में लगे हुए है।यहाँ तो हाल यह है कि कर्मचारियों को इतना सर चढ़ा कर रखा गया है कि वो अपनी पूरी नोकरी एक ही रेंज में अपने गृह क्षेत्र में रहकर कर रहे है और अधिकारियों की जी हजूरी करके जमकर मलाई चाटने में लगे हुए है बता दें कि निगम की बैतूल परियोजना में पदस्थ डिप्टी रेंजर दुर्गेश मालवीय के इतने जलवे है कि 12 साल से एक ही रेंज में पदस्थ है और अभी भी डिप्टी की जिम्मेदारी निभा रहे है।जबकि इसी रेंज में वो रेंजर से लेकर नाकेदार तक बनकर काम कर चुके है और निगम में 12 साल की नोकरी में डिप्टी दुर्गेश मालवीय द्वारा लाखों के बिल मेडिकल के नाम पर निकाले जा रहे है पर जिम्मदारों का इस ओर कोई ध्यान ही नही है या यूं कहा जाए कि ध्यान न देकर अधिकारी भी अपनी जेबें गर्म करने में लगे हुए है क्योंकि निगम का इतिहास ही रह है कि जांच तो होती नही ज्यादा मामला गर्माता है मीडिया में खबरें प्रकाशित होती है या कोई शिकायत होती है।तो ऊपर बैठे निगम के जिम्मेदार एक कागज चला देते है जिसमे दोषियों को ट्रांसफर के नाम पर इधर से उधर कर दिया जाता है पर जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती नजर आती है । अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार अब इस मामले में संज्ञान लेकर कोई कार्यवाही करवा पाएगी या जनता के पैसों की बंदरबांट निगम में बदस्तूर जारी रहेगी।

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