गोंडा में शव को चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंकने का मामला, चार गिरफ्तार, जांच जारी।

Viral News: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 4 अगस्त 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। कोतवाली देहात ....

Aug 5, 2025 - 14:28
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गोंडा में शव को चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंकने का मामला, चार गिरफ्तार, जांच जारी।
गोंडा में शव को चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंकने का मामला, चार गिरफ्तार, जांच जारी।

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 4 अगस्त 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के लक्ष्मणपुर जाट गांव में एक मृत व्यक्ति, हृदय लाल, के शव को उसके परिजनों ने चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंक दिया। यह घटना गोंडा-लखनऊ राजमार्ग पर बालपुर बाजार के पास हुई, जहां परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें एक व्यक्ति एंबुलेंस के गेट पर लटकता दिखाई देता है और स्ट्रेचर समेत शव को सड़क पर गिरा देता है। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, और जांच जारी है। यह घटना न केवल संवेदनहीनता को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक और कानूनी मुद्दों पर भी सवाल उठाती है।

यह मामला 1 अगस्त 2025 को शुरू हुआ, जब लक्ष्मणपुर जाट गांव में हृदय लाल (38) का 200 रुपये के लेनदेन को लेकर कुछ लोगों के साथ विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि मारपीट में हृदय लाल गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके पैर की उंगलियां कुचल दी गईं और शरीर पर कई चोटें आईं। उन्हें तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उन्हें लखनऊ के एक अस्पताल में रेफर किया गया। लखनऊ में इलाज के दौरान 4 अगस्त 2025 की सुबह करीब 4:30 बजे हृदय लाल की मृत्यु हो गई।

मृत्यु के बाद, हृदय लाल के शव को पोस्टमार्टम के लिए लखनऊ में रखा गया। पोस्टमार्टम के बाद, शव को एंबुलेंस के जरिए उनके गांव वापस लाया जा रहा था। इसी दौरान, गोंडा-लखनऊ राजमार्ग पर बालपुर बाजार के पास, हृदय लाल के परिजनों ने एंबुलेंस को रुकवाया और शव को स्ट्रेचर समेत सड़क पर फेंक दिया। सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो में दिखाई देता है कि एक व्यक्ति एंबुलेंस के पिछले गेट पर लटक रहा था, और स्ट्रेचर सड़क पर घसीटते हुए गिर गया। इसके बाद, परिजनों और स्थानीय लोगों ने शव को सड़क पर रखकर हंगामा शुरू कर दिया, जिससे राजमार्ग पर यातायात बाधित हो गया।

परिजनों का कहना था कि हृदय लाल की मृत्यु के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई थी। उनका आरोप था कि पुलिस ने शुरुआती शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण हृदय लाल को समय पर उचित इलाज नहीं मिल सका। इस गुस्से को जाहिर करने के लिए उन्होंने शव को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।

वायरल वीडियो में देखा गया कि एंबुलेंस चालक ने शव को सड़क पर छोड़कर मौके से भागने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे रोकने का प्रयास किया। इस दौरान सड़क पर भीड़ जमा हो गई, और लोग नारेबाजी करते हुए पुलिस और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने लगे।

घटना की जानकारी मिलते ही गोंडा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। कोतवाली देहात थाने की पुलिस और सर्किल ऑफिसर (सीओ) आनंद कुमार राय मौके पर पहुंचे। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और शव को सम्मानपूर्वक परिजनों को सौंपा। गोंडा पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “1 अगस्त को शराब के नशे में हृदय लाल और कुछ लोगों के बीच विवाद हुआ, जो हिंसक हो गया। हृदय लाल को लखनऊ रेफर किया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम के बाद, परिजनों ने कुछ लोगों के उकसावे में आकर शव को एंबुलेंस से सड़क पर फेंक दिया और राजमार्ग जाम करने की कोशिश की।”

पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मारपीट में शामिल दो लोग और शव को सड़क पर फेंकने में शामिल दो अन्य शामिल हैं। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 353 (सार्वजनिक शांति भंग करना) के तहत मामला दर्ज किया है। सीओ आनंद कुमार राय ने बताया, “हमने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है, और जांच चल रही है। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।”

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि स्ट्रेचर पर रखा शव सड़क पर घसीट रहा है, और एंबुलेंस चालक मौके से भाग रहा है। इसने लोगों में गुस्सा और दुख दोनों पैदा किया। एक X यूजर ने लिखा, “यह कितना शर्मनाक है कि एक मृत व्यक्ति के शव के साथ ऐसा व्यवहार किया गया। पुलिस और प्रशासन को इसकी पूरी जांच करनी चाहिए।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “गोंडा में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। परिजनों का गुस्सा समझा जा सकता है, लेकिन शव का अपमान अस्वीकार्य है।”

कई लोगों ने एंबुलेंस चालक की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए, क्योंकि उसने शव को सड़क पर छोड़कर भागने की कोशिश की। कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि यह घटना समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता को दर्शाती है।

यह घटना कई गंभीर मुद्दों को सामने लाती है। पहला, शराब के नशे में होने वाली हिंसा, जो उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक आम समस्या है। दूसरा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जिसके कारण गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को लखनऊ जैसे बड़े शहर में रेफर करना पड़ता है। तीसरा, परिजनों का शव को सड़क पर फेंकना और विरोध प्रदर्शन करना, जो दर्शाता है कि लोग प्रशासन पर भरोसा खो रहे हैं।

कानूनी दृष्टिकोण से, मारपीट के मामले में धारा 304 के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है, जिसके तहत दोषी को सात साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, शव को सड़क पर फेंकने और राजमार्ग जाम करने के लिए धारा 353 के तहत कार्रवाई की गई है। पुलिस ने यह भी जांच शुरू की है कि क्या एंबुलेंस चालक ने लापरवाही बरती या वह परिजनों के दबाव में भागने की कोशिश कर रहा था।

गोंडा में हाल के महीनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। जुलाई 2024 में, गोंडा में चंडीगढ़-दिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। मई 2023 में, एक तेज रफ्तार एंबुलेंस ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिसमें दंपति की मौत हो गई थी। इन घटनाओं ने गोंडा में प्रशासनिक और स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को उजागर किया है।

यह घटना एंबुलेंस सेवाओं की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है। उत्तर प्रदेश में सरकारी और निजी एंबुलेंस सेवाएं अक्सर लापरवाही के लिए चर्चा में रहती हैं। हाल ही में, सितंबर 2024 में लखनऊ में एक एंबुलेंस चालक पर मरीज की पत्नी के साथ छेड़छाड़ और मरीज को ऑक्सीजन मास्क हटाकर फेंकने का आरोप लगा था, जिसके बाद मरीज की मौत हो गई थी। इस तरह की घटनाएं एंबुलेंस सेवाओं में प्रशिक्षण और निगरानी की जरूरत को रेखांकित करती हैं।

गोंडा में हृदय लाल के शव को चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंकने की घटना ने समाज में असंवेदनशीलता और प्रशासनिक कमियों को सामने लाया है। परिजनों का गुस्सा और विरोध उनकी निराशा को दर्शाता है, लेकिन शव के साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय है। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार कर स्थिति को नियंत्रित किया है, और जांच से यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि इस घटना के पीछे की पूरी सच्चाई क्या है। यह मामला समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि हिंसा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और प्रशासनिक जवाबदेही को कैसे सुधारा जाए।

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