दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट जांच: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 डॉक्टर-स्टाफ पर नजर, जम्मू लॉकर से AK-47 बरामद के बाद सबूतों की तलाश तेज।
दिल्ली के रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार ब्लास्ट की जांच में नया मोड़ आ गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की
फरीदाबाद। दिल्ली के रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर 2025 को हुए कार ब्लास्ट की जांच में नया मोड़ आ गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक डॉक्टरों और स्टाफ सदस्यों को संदिग्ध सूची में डाल दिया है। यूनिवर्सिटी के हॉस्टल, लैब और स्टोर रूमों में छापेमारी की गई, जहां से रासायनिक पदार्थों के नमूने लिए गए। इसी बीच, जम्मू-कश्मीर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के लॉकरों से बरामद सबूतों की जांच तेज हो गई है। एक लॉकर से पहले ही एके-47 राइफल मिल चुकी है, जो आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी हो सकती है। यह ब्लास्ट जयश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के 'टेरर डॉक्टर' नेटवर्क का हिस्सा लग रहा है। जांच एजेंसियां अब पूरे देश में फैले इस नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश में जुटी हैं।
ब्लास्ट की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। 10 नवंबर को दोपहर करीब तीन बजे चांदनी चौक इलाके में एक ह्यूंडई आई20 कार में विस्फोट हो गया। कार में करीब 15 किलो आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक भरे थे। धमाके से 15 लोग मारे गए, जिनमें पर्यटक, दुकानदार और राहगीर शामिल थे। 32 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें कई की हालत गंभीर रही। विस्फोट इतना तेज था कि कार के टुकड़े सौ मीटर दूर तक बिखर गए। आसपास की दुकानें, वाहन और ऐतिहासिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। शुरुआत में इसे गैस सिलेंडर विस्फोट समझा गया, लेकिन फोरेंसिक जांच से साफ हो गया कि यह सुसाइड बॉम्बिंग थी। डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई कि कार चला रहा था डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी उर्फ उमर उन नबी। उमर पुलवामा का रहने वाला था और अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुका था। उसके फोन से 70 रेडिकल वीडियो बरामद हुए, जिनमें सुसाइड अटैक को 'शहादत' बताते हुए ब्रेनवाशिंग कंटेंट था।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब जांच का केंद्र बिंदु है। फरीदाबाद स्थित यह संस्थान मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लिए जाना जाता है। यहां एमबीबीएस, इंजीनियरिंग और अन्य कोर्स चलते हैं। एनआईए को शक है कि यूनिवर्सिटी के डॉक्टर और स्टाफ आतंकी नेटवर्क से जुड़े हैं। 19 नवंबर को एजेंसियों ने कैंपस में छापे मारे। 200 से अधिक डॉक्टरों, लेक्चररों और स्टाफ की लिस्ट तैयार की गई। इनमें से कई के फोन डेटा डिलीट मिले, जिसे फोरेंसिक लैब में रिकवर किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के 10 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें तीन कश्मीरी छात्र शामिल हैं। इनके फोन स्विच ऑफ हैं। एजेंसियों ने 1000 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। एक अधिकारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी के लैब से केमिकल चुराए गए, जो ब्लास्ट में इस्तेमाल हुए। संस्थान के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया। ईडी को शक है कि विदेशी फंडिंग से आतंकी गतिविधियां चल रही थीं।
जांच का दायरा जम्मू-कश्मीर तक फैल गया है। उमर के सहयोगी डॉक्टर शाहीन मुजम्मिल के जीएमसी श्रीनगर के लॉकर से एके-47 राइफल बरामद हुई। मुजम्मिल लखनऊ का रहने वाला है और अल-फलाह में पढ़ा चुका है। लॉकर में विस्फोटक बनाने के सामग्री के निशान भी मिले। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर का पुलवामा स्थित घर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। उसके परिवार से डीएनए सैंपल लिए गए। एनआईए ने कहा कि यह नेटवर्क इंटर-स्टेट है। इसमें छह डॉक्टर शामिल हैं: उमर नबी, मुजम्मिल, शाहीन शाहिद, मिर्जा शादाब बैग, आमिर रशीद अली और एक अन्य। ये आईएसआईएस और अल-कायदा की प्रोपेगैंडा से प्रभावित थे। स्विट्जरलैंड आधारित एन्क्रिप्टेड ऐप से ये संपर्क में थे। एक नोटबुक से कोडेड मैसेज मिले, जो 8-12 नवंबर के अटैक प्लान से जुड़े हैं।
यह नेटवर्क पुराना लगता है। मिर्जा शादाब बैग, जो 2008 के अहमदाबाद ब्लास्ट का आरोपी था, भी अल-फलाह का छात्र था। उसने गोरखपुर, जयपुर और अहमदाबाद में पांच ब्लास्ट किए थे। एजेंसियों को शक है कि यूनिवर्सिटी से ही रेडिकलायजेशन शुरू होता था। उमर ने 10 दिनों तक यूनिवर्सिटी के एक कमरे में खुद को बंद रखा, जहां वह वीडियो बनाता रहा। एनआईए ने 73 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। दो और गिरफ्तारियां हुईं: कश्मीर के काजीगुंड से एक व्यक्ति और यूपी से एक सहयोगी। नोवगाम पुलिस स्टेशन में जब्त अमोनियम नाइट्रेट के विस्फोट से नौ लोग मारे गए, जो इस मॉड्यूल से जुड़े थे।
सरकार ने सख्त कदम उठाए। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली का दौरा किया। एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी पर ऑडिट का आदेश दिया। ईडी ने 20 लाख रुपये नकद, 2900 किलो विस्फोटक और 20 क्विंटल एनपीके उर्वरक जब्त किए। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से बहस छिड़ी। कुछ ने इसे इस्लामोफोबिया बताया, लेकिन ज्यादातर ने कड़ी कार्रवाई की मांग की। विपक्ष ने सुरक्षा चूक पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि युवाओं को रेडिकल होने से रोकना जरूरी।
यह ब्लास्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' में शिक्षित लोग शामिल हैं, जो ब्रेनवाशिंग से प्रभावित होते हैं। एजेंसियां अब ऑनलाइन प्रोपेगैंडा पर नजर रख रही हैं। यूनिवर्सिटी कैंपसों में निगरानी बढ़ाई गई। विशेषज्ञ कहते हैं कि शिक्षा संस्थानों में काउंसलिंग जरूरी। जम्मू के लॉकरों की जांच से नए सबूत मिल सकते हैं। एनआईए ने कहा कि जांच जारी है और बड़े खुलासे होंगे।
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