Deoband News: पूर्व विधायक माविया अली के आरोपों पर कांग्रेस नेता राहत खलील का पलटवार, इमरान मसूद को बताया ताकत
खलील ने माविया अली को नसीहत देते हुए कहा कि दूसरों पर आरोप लगाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के प्रति वफादारी साबित करनी चाहिए। उन्होंने सपा नेताओं की स्थिति को “मेढक की तरह टर्राने” से ...

By INA News Deoband.
देवबंद: सहारनपुर के देवबंद में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक माविया अली द्वारा कांग्रेस पार्टी और सांसद इमरान मसूद पर लगाए गए गंभीर आरोपों के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहत खलील ने तीखा पलटवार किया है। माविया अली ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस को “मूर्खों की पार्टी” करार देते हुए सांसद इमरान मसूद पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था। इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए राहत खलील ने माविया अली की सोच को हास्यास्पद बताया और कांग्रेस को एक मजबूत राष्ट्रीय पार्टी करार दिया। उन्होंने सपा नेताओं को अपनी पार्टी की स्थिति सुधारने और वफादारी साबित करने की नसीहत दी।
पूर्व विधायक माविया अली ने अपने साक्षात्कार में कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि पार्टी में मूर्ख लोग भरे हैं और सांसद इमरान मसूद भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इन आरोपों का जवाब देते हुए राहत खलील ने कहा, “कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है, जिसका इतिहास और योगदान देश के सामने है। माविया अली की सोच पर मुझे हंसी आती है। सपा का स्तर सभी जानते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे देख लीजिए, तब पता चलेगा कि भाजपा के साथ कौन खेल रहा था।”
खलील ने माविया अली को नसीहत देते हुए कहा कि दूसरों पर आरोप लगाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के प्रति वफादारी साबित करनी चाहिए। उन्होंने सपा नेताओं की स्थिति को “मेढक की तरह टर्राने” से जोड़ा और दावा किया कि उनके पास अब जनता के बीच कोई आधार नहीं बचा है।
माविया अली के बयान में सपा विधायक आशु मलिक के इस्तीफे का जिक्र भी था, जिसे लेकर खलील ने तंज कसा। उन्होंने कहा, “2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। तब इन नेताओं की सारी हेकड़ी निकल जाएगी और उनकी बिस्तर बंध जाएगी। सपा नेताओं को अपनी पार्टी की चिंता करनी चाहिए, न कि कांग्रेस पर उंगली उठानी चाहिए।” खलील ने सपा की आंतरिक कलह और नेताओं के बीच चल रही नोकझोंक का हवाला देते हुए कहा कि सपा का संगठन कमजोर हो चुका है।
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राहत खलील ने सांसद इमरान मसूद का बचाव करते हुए उन्हें सहारनपुर की राजनीति में एक बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा, “इमरान मसूद जब भी चुनाव लड़ते हैं, अपनी ताकत का अहसास कराते हैं। जनता उनसे प्यार करती है और उनका समर्थन करती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सहारनपुर से जीत हासिल कर यह साबित किया है।” खलील ने माविया अली के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि मसूद की लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी पकड़ से विपक्षी नेता बौखलाए हुए हैं।
माविया अली ने अपने साक्षात्कार में स्थानीय बुद्ध बाजार की समस्याओं का मुद्दा भी उठाया था, जिसे लेकर खलील ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, “सांसद इमरान मसूद जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं। बुद्ध बाजार की समस्या का समाधान जल्द कराया जाएगा। इस मुद्दे पर सांसद से वार्ता की जाएगी और उचित कदम उठाए जाएंगे।” खलील ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस और मसूद स्थानीय समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि विपक्ष केवल बयानबाजी कर रहा है।
माविया अली और इमरान मसूद के बीच यह जुबानी जंग सहारनपुर की राजनीति में पहले भी देखी गई है। माविया अली, जो सपा के पूर्व विधायक हैं, ने हाल के वर्षों में कई बार कांग्रेस और मसूद पर निशाना साधा है। दूसरी ओर, इमरान मसूद, जो 2023 में बसपा से कांग्रेस में लौटे थे, सहारनपुर में एक प्रभावशाली मुस्लिम नेता के रूप में जाने जाते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत ने उनकी राजनीतिक ताकत को और मजबूत किया है।
हाल ही में सपा विधायक आशु मलिक और मसूद के बीच भी तीखी नोकझोंक देखी गई थी, जिसमें मलिक ने मसूद को “कांग्रेस के अंदर का स्लीपर सेल” तक कह डाला था। इस तरह के बयान सहारनपुर की राजनीति में सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाते हैं, जो इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के लिए चुनौती बन सकता है।
यह जुबानी जंग सहारनपुर की राजनीति में अल्पसंख्यक वोटों को प्रभावित कर सकती है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सहारनपुर में मुस्लिम और दलित मतदाता मिलकर लगभग 64% वोटर बेस बनाते हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 42% है। माविया अली के बयान और खलील के जवाब से दोनों पार्टियां इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को लेकर कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। एक यूजर ने लिखा, “सहारनपुर में सपा और कांग्रेस की यह लड़ाई इंडिया गठबंधन को कमजोर कर सकती है। नेताओं को बयानबाजी बंद कर एकजुट होना चाहिए।” वहीं, एक अन्य यूजर ने इमरान मसूद का समर्थन करते हुए लिखा, “मसूद साहब ने सहारनपुर में जनता का दिल जीता है। सपा की बौखलाहट उनकी लोकप्रियता का सबूत है।”
माविया अली के आरोपों और राहत खलील के जवाब ने सहारनपुर की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस नेता ने मसूद की ताकत और पार्टी की एकजुटता पर जोर देकर सपा को कठघरे में खड़ा किया है। बुद्ध बाजार जैसे स्थानीय मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता से कांग्रेस जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने की कोशिश कर रही है। यह घटनाक्रम 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सहारनपुर की राजनीति में और उथल-पुथल मचा सकता है, खासकर तब जब सपा और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ता रहे। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जुबानी जंग आगे कैसे प्रभाव डालती है और क्या यह इंडिया गठबंधन की एकता को प्रभावित करेगी।
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