Hardoi News: आरोग्य मंदिर में नहीं मिलते स्वस्थ्यकर्मी रूपी भगवान- भवन में पड़ा रहता है ताला, आम जनता को नहीं मिलता दर्शन। ।
आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा गांवों में आरोग्य मंदिर (पूर्व में स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर) की स्थापना कुछ वर्षों....
रिपोर्ट- अभिषेक त्रिवेदी अरवल
मंसूरपुर/सांडी। आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा गांवों में आरोग्य मंदिर (पूर्व में स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर) की स्थापना कुछ वर्षों पूर्व की गई थी। जहां कुछ आरोग्य मंदिर का निर्माण कुछ गांवों में कराया गया वहीं कुछ किराए के भवनों में चल रहे हैं और कहीं सिर्फ कोरे कागजों में।
आरोग्य मंदिर (किराए की दुकान) मंसूरपुर
ताजा मामला ग्राम मंसूरपुर ब्लाक सांडी का है, जहां गांव के निवासियों को ही जानकारी नहीं है कि हमारे गांव में आरोग्य मंदिर कहां है। जिसका कारण है इस मंदिर का बंद रहना क्योंकि गांव के निवासियों को ही नहीं पता है कि यह मंदिर कब खुलता है और कब बंद होता है। इस मंदिर में एएनएम रोली की नियुक्ति है, जो बिलग्राम ब्लॉक के सदरपुर गांव की निवासी हैं। संवाददाता द्वारा पता करने पर पता चला कि यह महीने में एक या दो बार ही आती हैं और कुछ ही समय में वापस चली जाती हैं।
आपको बता दें कि जिस भवन में आरोग्य मंदिर संचालित है वह भवन भी किराए का है और इस भवन में शारीरिक चेकअप के कई उपकरण एवं जीवन रक्षक दवाएं रखी है परंतु ताला न खुलने से लाभार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। आशा बहुओं की मीटिंग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संगिनी संजू देवी की नियुक्ति की गई है, जो हमेशा नदारत रहती हैं।
प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण योजना को पलीता लग रहे स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी जानकारी है लेकिन जिम्मेदारों द्वारा आंखें बंद किए रहने से गांव की जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। संवाददाता द्वारा जब पड़ोसी गांव उमरौली जैतपुर के मजरा बरगदापुरवा में बने आरोग्य मंदिर का जायजा लिया गया तो पता चला की भवन तो बना है परंतु कोई भी जिम्मेदार इसमें आने की जरूरत नहीं उठाता है। यहां की एएनएम कुसुमा हैं, जो शिवराजपुर कानपुर की निवासी हैं और यदा कदा ही आने की जहमत उठाती हैं। जिम्मेदार लोगों के ना आने से इस भवन में काफी मात्रा में झाड़ियों और गंदगी ने अपना बसेरा बना लिया है। भवन की बाउंड्री वॉल टूटी पड़ी है और कई कमरों के दरवाजे गायब हैं। शौचालय भी बुरी तरह गंदगी से भरे हुए हैं और प्रांगण में बियर की बोतले तथा शराब के पव्वे पड़े हैं।
सरकार का इन आरोग्य मंदिर को बनाने का यह उद्देश्य था कि ग्राम वासियों को छोटे-मोटे रोगों की दवा मौके पर उपलब्ध हो जाए और सामान्य चेकअप वगैरा हो जाए लेकिन जिम्मेदारों द्वारा योजना को पलीता लगाने में कोई भी कमी छोड़ी नहीं जा रही।
बताया जा रहा है कि मंसूरपुर के आरोग्य मंदिर में चेकअप के कुछ उपकरण तथा दवाएं इत्यादि मौजूद हैं लेकिन जिम्मेदारों के अपनी ड्यूटी पर ना आने से यह उपकरण मात्र शोपीस बने हुए हैं। संवाददाता द्वारा गांव के निवासियों से जब पूछा गया कि क्या आपको आरोग्य मंदिर के बारे में जानकारी है तो गांव के निवासियों द्वारा इस संबंध में अनभिज्ञता जताई गई।
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इस संबंध में जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सांडी के चिकित्सा अधीक्षक अखिलेश बाजपेई से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि आज तक शासन के द्वारा मंसूरपुर के आरोग्य मंदिर में किसी भी सी एच ओ की नियुक्ति नहीं की गई है। अब सवाल यह उठता है कि इतना समय बीतने के बाद भी जिम्मेदारों द्वारा नियुक्त करने की मांग क्यों नहीं की गई और स्वास्थ्य उपकरणों तथा दवाइयां का लाभ जनता को क्यों नहीं मिल रहा है।
राम प्रकाश, निवासी बरगदापुरवा
बरगदापुरवा निवासी राम प्रकाश पुत्र गंगाराम ने बताया कि उन्हें आरोग्य मंदिर के बारे में जानकारी ही नहीं है, वही विश्व बंधु पुत्र विजयपाल एवं इंद्रजीत पुत्र खिलाड़ी ने आरोग्य मंदिर के बारे में पूर्ण अभिज्ञता जताई।
मुख्यचिकित्सा अधिकारी रोहतास कुमार से जानकारी की, तो उन्होने बताया की कुल 346 आरोग्य मंदिर है जिसमे 123 निर्माणाधीन है जिसके लिए CHO अपॉइंट कर दिये गए है।
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