Hardoi News: बुद्ध की मूर्ति तोड़ने की झूठी सूचना देकर पुलिस को भरमाया, फिर किया पथराव और फैलाई अराजकता
इसमें शोभायात्रा में शामिल लोग व पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। एक तरफ जहां अखंड पाठ हो रहा था तो दूसरी तरफ अंबेडकर जयंती पर कुछ लोग तेज आवाज में डीजे बजा रहे थे, जिससे धानी बाबा के स्थान पर हो रहे अ...
By INA News Hardoi.
जिले में बेहटागोकुल के गांव सुरजीपुर में दो पक्षों में हुए पथराव के पीछे अराजक तत्वों के इरादे कुछ और ही थे। पहले तो डीजे की आवाज कम करने को लेकर विवाद उपजा, अपनी खुन्नस निकालने के लिए महात्मा बुद्ध की मूर्ति तोड़ देने की झूठी सूचना देकर पुलिस को भरमाया। इतने पर भी पुलिस ने बीच-बचाव कर स्थिति को संभाल लिया लेकिन अपने मंसूबे पूरे न होते देख दलित समुदाय ने आखिरकार घात लगाकर दूसरे पक्ष द्वारा निकाली जा रही शोभायात्रा पर पथराव कर शुरू दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं।
इसमें शोभायात्रा में शामिल लोग व पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। एक तरफ जहां अखंड पाठ हो रहा था तो दूसरी तरफ अंबेडकर जयंती पर कुछ लोग तेज आवाज में डीजे बजा रहे थे, जिससे धानी बाबा के स्थान पर हो रहे अखण्ड पाठ में विघ्न होता देख डीजे की आवाज कम करने की बात बोली गयी लेकिन यह बात दलित समुदाय के लोगों को नागवार गुजरी और स्थिति विवाद तक बन गयी।
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सूचना पर पुलिस ने बीच बचाव किया तथा मामले को शांत करा दिया। मंगलवार दोपहर जब अखंड पाठ के बाद लोग शोभायात्रा निकाल रहे थे तो वापस गांव आते समय अपनी खुन्नस निकालने के इरादे से दलित समुदाय के लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। जबकि इससे पहले पुलिस द्वारा मामला शांत करा दिया गया था।
इतना ही नहीं, जब शोभायात्रा में शामिल होने वाले लोगों को पता चला कि पहले से नियत मार्ग से जाने पर विवाद हो सकता है तो उन्होंने अपना मार्ग बदल लिया। इस पर भी अराजक लोगों ने शोभायात्रा पर पथराव कर पुलिसकर्मियों व शोभायात्रा में शामिल लोगों को घायल कर दिया। बहरहाल, स्थिति पुलिस बल और पीएसी के कंट्रोल में है। जबकि स्थिति बिगाड़ने व अराजकता फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए पुलिस की तफ्तीश जारी है।
- एएसपी ने कहा- मूर्ति तोड़ने की बात सच नहीं..
एएसपी ने बताया कि बीते 14 अप्रैल को दो पक्षों में उपजे विवाद को पुलिस ने शांत कराया दिया था और एक पक्षा द्वारा महात्मा बुद्ध की मूर्ति को खण्डित करने का आरोप दूसरे पक्ष पर लगाया गया था। पुलिस जांच में यह आरोप पूरी तरह से असत्य पाया गया। माने वह मूर्ति पहले से ही खंडित थी।
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