Lucknow : स्वयं सहायता समूह से जुड़कर बदली जिंदगी, माधुरी पाल और कालिंदी राठौर बनीं मिसाल, महिलायें स्थापित कर रही नित नये आयाम - केशव प्रसाद मौर्य
पसगवां ब्लॉक के ग्राम बाइकुआं की कालिंदी राठौर भी स्नातक शिक्षित हैं। वे बताती हैं कि एक समय ऐसा था जब परिवार की आर्थिक समस्याएं उन्हें भीतर से तोड़ रही थीं। लेकिन जैसे ही
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन मे ग्राम्य विकास विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण व स्वालम्बन की दिशा मे क्रान्तिकारी कदम उठाये गये है, जिसके सार्थक व सकारात्मक परिणाम निखर कर सामने आ रहे हैं। स्वयं सहायता समूहो से जुड़ी दीदियो द्वारा विभिन्न गतिविधियों व क्रियाकलापो के माध्यम से जहां अपनी आमदनी मे उत्तरोत्तर बृद्धि कर रही हैं, वही समाज मे उचित आदर व सम्मान भी पा रही हैं।
यही नही हर जिले मे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र मे कोई न कोई नयी कहानी गढ़ने वाली महिलाये, अपने आस पड़ोस की महिलाओ के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रही हैं। इसकी बानगी लखीमपुर जिले मे देखने को मिल रही है।
ग्रामीण परिवेश में रहकर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना आसान नहीं होता, लेकिन जब हौसला, मेहनत और आत्मविश्वास साथ हों, तो राहें खुद-ब-खुद आसान हो जाती हैं। लखीमपुर जनपद की माधुरी पाल और कालिंदी राठौर ने यही कर दिखाया है। घरेलू जिम्मेदारियों और आर्थिक समस्याओं के बीच घर से बाहर निकलकर उन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़ाव किया और आज नवाचारपूर्ण कृषि व पशुपालन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों महिलाओं को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित भी किया गया है।
- माधुरी पाल: सीमित संसाधनों से आत्मनिर्भरता तक
निघासन क्षेत्र के ग्राम चखरा की निवासी माधुरी पाल स्नातक शिक्षित हैं। शुरुआती दौर में आर्थिक परेशानियों ने उनके जीवन को कठिन बना दिया था। सीमित संसाधन और पारिवारिक जिम्मेदारियां उनके सामने बड़ी चुनौती थीं। ऐसे में स्वयं सहायता समूह से जुड़ना उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।माधुरी दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति चखरा की सचिव बन गईं हैं और कई वर्षों से दुग्ध व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं। आज वह प्रतिदिन करीब 250 लीटर दूध पराग डेयरी को उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि संसाधनों की कमी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। उनका संघर्ष आज आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुका है।
- कालिंदी राठौर: जैविक खेती से बदली तस्वीर
पसगवां ब्लॉक के ग्राम बाइकुआं की कालिंदी राठौर भी स्नातक शिक्षित हैं। वे बताती हैं कि एक समय ऐसा था जब परिवार की आर्थिक समस्याएं उन्हें भीतर से तोड़ रही थीं। लेकिन जैसे ही उन्होंने घर से बाहर निकलकर कुछ नया करने का निर्णय लिया, हालात बदलने लगे।कालिंदी ने दुग्ध उत्पादन के साथ जैविक खेती को अपनाया। उनके पास अच्छी नस्ल के दुधारू पशु हैं और गोबर से तैयार कंपोस्ट खाद से वह जैविक सब्जियां उगा रही हैं। इससे न केवल उनकी आय बढ़ी, बल्कि पूरे परिवार का स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ। उनके फार्म पर प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत सोलर पंप स्थापित है। वर्ष 2022 में धान की खेती में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उन्हें ब्लॉक स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।
- प्रेरणा बनीं दोनों महिलाएं
माधुरी पाल और कालिंदी राठौर की सफलता यह साबित करती है कि स्वयं सहायता समूह, सरकारी योजनाएं और दृढ़ संकल्प मिलकर ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। उनका संघर्ष आज जिले की अन्य महिलाओं के लिए उम्मीद और प्रेरणा की कहानी बन चुका है।
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