Lucknow News : खरपतवारनाशी पर 50 प्रतिशत अनुदान दे रही सरकार, अधिक पैदावार के लिए खरीफ फसलों को खरपतवार से बचाएं किसान

फसलों पर खरपतवारों के कारण उनकी वृद्धि, जीवन चक्र एवं उपज पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए कृषकों द्वारा अपनी फसलों में खरपतवारों का समय से नियंत्र/...

Jun 25, 2025 - 23:44
 0  30
Lucknow News : खरपतवारनाशी पर 50 प्रतिशत अनुदान दे रही सरकार, अधिक पैदावार के लिए खरीफ फसलों को खरपतवार से बचाएं किसान
Photo: Social Media

By INA News Lucknow.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, जहाँ की दो-तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है प्रदेश में खरीफ मौसम में लगभग 132 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलों की बुवाई की जाती है। खरीफ मौसम में अधिक वर्षा के कारण पौधों की बढ़वार अधिक होती है। विश्व में लगभग तीन लाख से अधिक पौधों की प्रजातियाँ मानव एवं पशुओं के लिए आर्थिक एवं चारे के महत्व की हैं। इनसे वांछित फसल के अतिरिक्त अन्य प्रजातियों के पौधे, जिन्हें हम खरपतवार कहते हैं, भी उग जाते हैं। खरपतवारों के प्रबंधन हेतु उनकी जानकारी एवं पहचान होना अत्यंत आवश्यक है। इनकी मुख्य रूप से तीन श्रेणियाँ हैं, जिनका प्रबंधन उनके जीवन चक्र, पत्तियों के आकार एवं विषम परिस्थितियों में उनके अंकुरण तथा पादप वृद्धि को ध्यान में रखकर किया जाता है। खरपतवारों का अध्ययन मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित किया गया है, जिसमें संकरी पत्ती वाले खरपतवार, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार तथा मोथा वर्गीय खरपतवार शामिल हैं। कृषि उत्पादों की वार्षिक हानि में खरपतवारों द्वारा लगभग 32-35 प्रतिशत, कीटों द्वारा 27 प्रतिशत, पादप रोगों द्वारा 18-20 प्रतिशत तथा अन्य कारकों द्वारा 05 प्रतिशत हानि होती है।

  • खरपतवारों से होने वाली हानियाँ

फसलों पर खरपतवारों के कारण उनकी वृद्धि, जीवन चक्र एवं उपज पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए कृषकों द्वारा अपनी फसलों में खरपतवारों का समय से नियंत्रण सदैव लाभकारी होता है, जिससे खरपतवार एवं फसलों के बीच पानी, पोषक तत्व, स्थान, हवा एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा न हो सके और अंततः फसलों से अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो।

  • खरपतवार नियंत्रण की तकनीकें

खरीफ फसलों में समय से खरपतवार का नियंत्रण कृषकों के हित में तथा अच्छी उपज प्राप्त करने का सही उपाय है, जिसके लिए शस्य क्रियाओं का समुचित प्रयोग किया जाना कृषक हित में है जैसे- गर्मी में मिट्टी पलट हल से गहरी जुताई, फसल चक्र अपनाना, हरी खाद का प्रयोग, पड्लिंग आदि। खरपतवार का प्रबंधन कृषक एवं पर्यावरण दोनों के हित में रहता है। साथ ही आवश्यकतानुसार मशीनों/यंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें खुरपी, हो, वीडर, मल्चर आदि के माध्यम से खरपतवारों के अंकुरण एवं वृद्धि में अवरोध पैदा कर खरपतवार को कम किया जा सकता है। यदि उपर्युक्त उपाय कारगर न हों तो कृषि रक्षा रसायन/खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से उचित होगा। यह अधिक क्षेत्रफल में कृषि फसलों हेतु लाभकारी एवं ग्राह्य भी है। परंतु इनका सही समय एवं मात्रा में ही प्रयोग मृदा एवं मानव स्वास्थ्य हेतु लाभकारी है।

  • खरीफ की मुख्य फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु संस्तुत खरपतवारनाशी का विवरण:

1. धान फसल

धान की सीधी बुवाई (डी.एस.आर.) में खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार का प्रबंधन धान की सीधी बुवाई (डी.एस.आर.) में एक मुख्य समस्या है, जिसके निदान के लिए मुख्य खरपतवारनाशी पेन्डीमेथालिन 30 ई.सी. (1300 मिली। प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में) बुवाई के तुरंत बाद, तत्पश्चात् बुवाई के 20 से 25 दिन बाद विस्पायरीवैक सोडियम 10 एस.एल. (80 मिली। प्रति एकड़) या पायराइजो सल्फ्यूरान (80 मिली। प्रति एकड़) को 120 लीटर पानी में मिलाकर फ्लैट फैन नोजिल से छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही अन्य रसायन बेनसल्फ्यूरान मिथाइल 60 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई के 20 दिन बाद या मेटसल्फ्यूरान मिथाइल 08 ग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई के 20 दिन बाद प्रयोग करना चाहिए।

रोपाई की स्थिति में: संकरी एवं चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित रसायनों में से किसी एक रसायन की संस्तुत मात्रा को प्रति हेक्टेयर लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर फ्लैट फैन नोजिल से रोपाई के 3-5 दिन के अंदर छिड़काव करें:

प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ई.सी. मात्रा-1.60 लीटर/हेक्टेयर।
पाइराजोसल्फ्यूरान इथाइल 10 प्रतिशत, डब्ल्यू.पी.-0.15 किग्रा।
विस्पायरीवैक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. 0.20 लीटर रोपाई के 15-20 दिन बाद नमी की स्थिति में।

2. मक्का फसल
मक्का में एक वर्षीय घासकुल एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हेतु एट्राजीन 2.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर बुवाई के तुरंत बाद या जमाव से पूर्व दो दिनों में 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिड़काव करें।

3. अरहर
अरहर में बुवाई के तुरंत बाद पेडीमिथालीन 30 ई.सी. 2.5 से 3.0 लीटर प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिड़काव करें या इमैजीथापर 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर बुवाई के 15-25 दिन बाद छिड़काव करें।

4. उर्द/मूंग
उर्द/मूंग में खरपतवार नियंत्रण हेतु इमैजायापर 10 ई.सी. पानी में मिलाकर बुवाई के 10-20 दिनों के बाद, मात्रा 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिड़काव करें या मेटालाक्लोर 50 ई.सी. फसल बुवाई के दो दिन के अंदर मात्रा-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करना उचित होगा।

कृषि विभाग उ.प्र. द्वारा संचालित समस्त कृषि रक्षा इकाइयों पर फसलों के लिए उपयुक्त कृषि रक्षा रसायन/खरपतवारनाशी 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध हैं। किसानों से अनुरोध है कि खरीफ फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण कर अपने कृषि उत्पादन को बढ़ाएँ। यदि कोई समस्या हो तो सहयोग हेतु नजदीकी कृषि रक्षा इकाइयों से संपर्क स्थापित कर समस्या का समाधान प्राप्त करें।

Also Click : Lucknow News : भाषा विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा को नई उड़ान — छात्र सीखेंगे अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow