ममता बनर्जी का भाजपा को कड़ा संदेश: 'मैं जिंदा शेरनी हूं, 2026 में बंगाल की जीत सुनिश्चित करूंगी।
Political News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी ....
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले कड़ी चुनौती दी। उन्होंने कहा, "आप मुझे तब तक नहीं हरा सकते, जब तक मैं आपको ऐसा करने की अनुमति नहीं देती। मेरा सिर फोड़ दिया गया था, मेरा शरीर खून से लथपथ हो गया था। मैं डरी नहीं। मैं एक जिंदा शेरनी हूं। मुझे घायल करने की कोशिश मत करो, मैं खतरनाक हो जाऊंगी।" यह बयान ममता की लड़ाकू छवि और बंगाल की सियासत में उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी और भाजपा के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए यह बयान चर्चा का केंद्र बन गया है।
- ममता बनर्जी का बयान
ममता बनर्जी ने यह बयान कोलकाता में टीएमसी की एक जनसभा में दिया, जो 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के लिए आयोजित की गई थी। इस रैली में ममता ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट होने और बंगाल की अस्मिता की रक्षा के लिए लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने अपने बयान में 2021 के विधानसभा चुनावों का जिक्र किया, जब उनकी टांग में चोट लगी थी और वह खून से लथपथ थीं। ममता ने कहा कि उस समय भी वह नहीं डरी थीं और अब भी वह किसी भी चुनौती से डरने वाली नहीं हैं।
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बंगाल की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूची में हेरफेर कर रही है और हरियाणा व गुजरात जैसे राज्यों से फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ रही है। उन्होंने कहा, "मैंने 2006 में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 26 दिन की भूख हड़ताल की थी। अगर जरूरत पड़ी, तो मैं चुनाव आयोग के सामने अनिश्चितकालीन धरना दूंगी।"
- 2026 विधानसभा चुनाव
पश्चिम बंगाल में 2026 का विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है, जिसमें 294 सीटों के लिए मतदान होगा। ममता बनर्जी 2011 से बंगाल की मुख्यमंत्री हैं और उनकी पार्टी टीएमसी ने 2011, 2016, और 2021 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। 2021 के चुनाव में टीएमसी ने 213 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 77 सीटें मिली थीं। ममता ने 2026 में 215 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और कहा है कि वह भाजपा की सीटों को और कम करेंगी।
ममता ने इस रैली में कार्यकर्ताओं से कहा, "हमारा लक्ष्य दो-तिहाई बहुमत हासिल करना है। हमें बंगाल की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बचाना है।" उन्होंने 2021 के अपने नारे "खेला होबे" को दोहराते हुए कहा, "खेला अबर होबे" (खेल फिर होगा), जिससे कार्यकर्ताओं में जोश भर गया।
भाजपा ने 2026 के चुनावों को अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया है। पश्चिम बंगाल में पार्टी का नेतृत्व विपक्ष के नेता सुवendu अधिकारी कर रहे हैं, जो पहले ममता के करीबी सहयोगी थे, लेकिन 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। सुवendu ने "5% फॉर्मूला" की रणनीति अपनाई है, जिसमें हिंदू मतदाताओं, खासकर ऊपरी जातियों (ब्राह्मण, कायस्थ, और वैद्य) और मार्जिनल समुदायों जैसे मटुआ और राजबंशी, को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा ने ममता पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाया है, खासकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों के बाद। सुवendu ने दावा किया कि ममता "जिहादी तत्वों" को शरण दे रही हैं। इसके जवाब में, ममता ने 18 फरवरी 2025 को विधानसभा में अपनी जातीय पहचान का खुलासा करते हुए कहा, "मैं न केवल गर्वित हिंदू हूं, बल्कि एक ब्राह्मण परिवार की बेटी हूं।" यह पहली बार था जब ममता ने अपनी जातीय पहचान को सार्वजनिक रूप से उजागर किया, जो उनकी "सॉफ्ट हिंदुत्व" रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
- ममता की रणनीति: सॉफ्ट हिंदुत्व और बंगाली अस्मिता
ममता ने 2026 के लिए अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने बंगाली भाषा और संस्कृति को केंद्र में रखकर एक भावनात्मक अभियान शुरू किया है। टीएमसी ने दावा किया है कि भाजपा-शासित राज्यों में बंगाली प्रवासियों को "अवैध नागरिक" बताकर परेशान किया जा रहा है। ममता ने इसे बंगाल की अस्मिता पर हमला बताया और कहा, "हम बंगाल को बाहरी लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे।"
इसके साथ ही, ममता ने हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति अपनाई है। अप्रैल 2025 में उन्होंने 250 करोड़ रुपये की लागत से जगन्नाथ धाम का उद्घाटन किया और अब "दुर्गा अंगण" परियोजना की घोषणा की है, जो मां दुर्गा को समर्पित एक साल भर चलने वाला मंदिर परिसर होगा। टीएमसी के प्रवक्ता रिजु दत्ता ने कहा, "ममता ने हमेशा से काली पूजा की है और हजारों दुर्गा पूजा समितियों को वित्तीय मदद दी है। यह उनकी आस्था का हिस्सा है, न कि राजनीति।"
- मतदाता सूची विवाद
ममता ने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा और गुजरात के लोगों के नाम बंगाल की मतदाता सूची में जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैंने सभी जिलों से सबूत इकट्ठा किए हैं। अगर जरूरी हुआ, तो हम चुनाव आयोग के सामने धरना देंगे।" ममता ने यह भी आरोप लगाया कि नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव थे, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
- टीएमसी की संगठनात्मक तैयारी
ममता ने 2026 के लिए अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठनात्मक बदलाव शुरू किए हैं। उन्होंने विधायकों से 25 फरवरी 2025 तक ब्लॉक स्तर के संगठन के लिए तीन नाम सुझाने को कहा। इसके अलावा, उन्होंने कार्यकर्ताओं से मतदाता सूची की निगरानी करने और फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए कमेटियां बनाने का निर्देश दिया। ममता ने अपने भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ किसी भी मतभेद की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा, "मेरे लिए टीएमसी ही मेरा परिवार है।"
अभिषेक ने भी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर 215 से अधिक सीटें जीतने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "2026 में हम ममता बनर्जी को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाएंगे।"
- विपक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा ने ममता के बयान को उनकी हताशा का प्रतीक बताया। सुवendu अधिकारी ने कहा, "2026 में बंगाल की बारी है। लोग भाजपा को वोट देंगे।" केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, "ममता की पार्टी बंगाल में मजबूत है, लेकिन 2026 में भाजपा सत्ता में आ सकती है।" कांग्रेस ने ममता के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले की आलोचना की। बंगाल कांग्रेस प्रमुख सुभंकर सरकार ने कहा, "2011 में सोनिया गांधी की मदद से ममता मुख्यमंत्री बनी थीं। अब वह कांग्रेस को कमजोर बता रही हैं।"
ममता का यह बयान बंगाल की सियासत में एक नया मोड़ लाया है। उनकी "जिंदा शेरनी" वाली टिप्पणी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा है और उनकी लड़ाकू छवि को मजबूत किया है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ममता का सॉफ्ट हिंदुत्व और बंगाली अस्मिता पर जोर उनकी पुरानी धर्मनिरपेक्ष छवि को प्रभावित कर सकता है।
भाजपा की हिंदू एकता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति ने बंगाल के शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कुछ प्रभाव दिखाया है, खासकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के बाद। ममता ने इसे "बंगाल विरोधी साजिश" बताकर इसका जवाब देने की कोशिश की है।
2026 का विधानसभा चुनाव बंगाल की सियासत में एक कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। ममता की रणनीति बंगाली अस्मिता, सॉफ्ट हिंदुत्व, और संगठनात्मक मजबूती पर आधारित है। दूसरी ओर, भाजपा हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने और मतदाता सूची में कथित हेरफेर के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। ममता का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भारत गठबंधन (INDIA bloc) के लिए भी चुनौती बन सकता है।
ममता बनर्जी का "जिंदा शेरनी" वाला बयान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले उनकी मजबूत और लड़ाकू छवि को सामने लाता है। उन्होंने भाजपा को कड़ी चुनौती देते हुए बंगाल की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा का वादा किया है। टीएमसी ने 215 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जबकि भाजपा हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। मतदाता सूची विवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति ने बंगाल की सियासत को और गर्म कर दिया है।
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