ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद की बहावलपुर मुख्यालय को पुनर्जनन की कोशिश: मसूद अजहर ने शुरू किया चंदा अभियान।
भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के बहावलपुर मुख्यालय को पूरी तरह ....
भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के बहावलपुर मुख्यालय को पूरी तरह तबाह कर दिया था। इस ऑपरेशन ने जैश के आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों और चार करीबी सहयोगियों की मौत हो गई थी। अब, तीन महीने बाद, जैश-ए-मोहम्मद अपने मुख्यालय को फिर से खड़ा करने की साजिश रच रहा है। इसके लिए संगठन के प्रमुख मसूद अजहर ने सोशल मीडिया के जरिए एक चंदा अभियान शुरू किया है, जिसमें लोगों से गोपनीय तरीके से धन जुटाने की अपील की गई है।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की ओर से 07 मई 2025 को शुरू किया गया एक सैन्य अभियान था, जो 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था। पहलगाम हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), जो लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा है, ने 26 लोगों, ज्यादातर पर्यटकों, की हत्या कर दी थी। इस हमले के जवाब में भारत ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था बहावलपुर में जैश का मुख्यालय, जमिया मस्जिद सुभान अल्लाह, जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस के नाम से भी जाना जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने 22 मिनट के भीतर सटीक मिसाइल हमले और लॉइटरिंग म्युनिशन्स का इस्तेमाल किया, जिससे बहावलपुर का सुभान अल्लाह कैंप पूरी तरह नष्ट हो गया। मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरों ने मस्जिद की छत में बड़े छेद, मलबा, और ढह चुकी इमारतों की पुष्टि की। इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों, जिसमें उनकी बड़ी बहन, उनके पति, एक भतीजा और उसकी पत्नी, एक भतीजी, और पांच बच्चे शामिल थे, और चार करीबी सहयोगियों की मौत हुई। मसूद का भाई और जैश का दूसरा कमांडर अब्दुल रऊफ असगर भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे पाकिस्तानी सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद को भारी नुकसान हुआ, और संगठन का मनोबल टूट गया। इसके बावजूद, मसूद अजहर ने अपने संगठन को फिर से खड़ा करने के लिए एक नया अभियान शुरू किया है। 06 अगस्त 2025 को, जैश ने सोशल मीडिया मंचों जैसे व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर एक उर्दू पोस्ट साझा की, जिसमें लोगों से गोपनीय तरीके से चंदा देने की अपील की गई। इस पोस्ट में लिखा गया, "सब एक होकर काम करें। पैसा इकट्ठा करें, लेकिन यह किसी को पता न चले कि किसने कितना दिया। इस मुहिम से जमीन के कई हिस्से जन्नत बन जाएंगे। शहीद मस्जिदें फिर से मुस्कुराएंगी, और रौनक लौट आएगी।" पोस्ट में यह भी कहा गया कि यह अभियान जिहाद के रास्ते में उत्सुक लोगों के लिए नए अवसर खोलेगा।
जैश ने इस अभियान को गुप्त रखने की कोशिश की है, ताकि अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचा जा सके। संगठन ने अपनी भर्ती और प्रशिक्षण गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए बहावलपुर में एक स्विमिंग पूल को फिर से खोल लिया है, जो पहले 2019 के पुलवामा हमले में शामिल आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, जैश ने प्रशिक्षण कक्षाएं शुरू करने की घोषणा की है और मसूद अजहर के पुराने ऑडियो भाषणों को नए बताकर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया जाए।
- मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद
मसूद अजहर, जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक, बहावलपुर में पैदा हुआ और वहां एक heavily-guarded परिसर में रहता है। 1994 में भारत में आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद, उसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस उड़ान IC-814 के अपहरण के बदले रिहा किया गया था। इसके बाद, उसने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की, जो 2001 के संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमले, और 2019 के पुलवामा हमले जैसे कई बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार रहा। मसूद को मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आतंकी घोषित किया था।
बहावलपुर का सुभान अल्लाह कैंप 2015 से जैश का मुख्य केंद्र रहा है। यह 18 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें एक केंद्रीय मस्जिद, 600 से अधिक छात्रों के लिए मदरसा, जिम, स्विमिंग पूल, और घोड़ों के लिए अस्तबल शामिल हैं। यह भर्ती, धन उगाही, और वैचारिक प्रशिक्षण का केंद्र रहा है। 2019 के पुलवामा हमले की योजना भी यहीं बनाई गई थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, यह कैंप पूरी तरह नष्ट हो गया, और गूगल मैप्स पर इसे "स्थायी रूप से बंद" के रूप में चिह्नित किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को गहरा झटका दिया, लेकिन जैश की पुनर्जनन की कोशिशों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), की भूमिका की आशंका है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, मसूद अजहर को हमले के बाद कई बार स्थानांतरित किया गया। उसे रावलपिंडी, गिलगित-बाल्टिस्तान, स्कर्दू, और पेशावर में सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया गया। ऑपरेशन सिंदूर के समय मसूद बहावलपुर में नहीं था, बल्कि वह शहर के एक अन्य मस्जिद, जमिया उस्मान-ओ-अली, में था।
पाकिस्तान ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव में बहावलपुर के सुभान अल्लाह कैंप का प्रशासनिक नियंत्रण लेने का दावा किया था। उस समय, बहावलपुर के उपायुक्त शोजेब सईद ने दावा किया था कि यह एक सामान्य मदरसा है, जिसका जैश से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे एक दिखावटी कदम बताया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जैश ने बहावलपुर में मुख्यालय को फिर से बनाने की बजाय किसी अन्य स्थान पर, संभवतः पाकिस्तानी सेना के ठिकाने के करीब, नया मुख्यालय बनाने की योजना बनाई है।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को एक गैर-वृद्धिपूर्ण, सटीक, और आतंकी ढांचे पर केंद्रित कार्रवाई बताया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 07 मई 2025 को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हमारा उद्देश्य आतंकी ढांचे को नष्ट करना और भारत के खिलाफ हमले की योजना बना रहे आतंकियों को रोकना था।" रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस ऑपरेशन में कोई भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाना निशाना नहीं बनाया गया, और न्यूनतम नागरिक क्षति सुनिश्चित की गई।
भारत ने जैश की नई गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की बात कही है। खुफिया एजेंसियां मसूद अजहर की गतिविधियों और उसके चंदा अभियान पर निगरानी कर रही हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम किसी भी आतंकी गतिविधि को फिर से शुरू होने नहीं देंगे। भारत अब पहले जैसा नहीं है।"
ऑपरेशन सिंदूर को भारत में व्यापक समर्थन मिला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 मई 2025 को एक सर्वदलीय बैठक में कहा, "हमारी सेना ने अद्भुत सटीकता के साथ नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। सभी नेताओं ने एकजुटता दिखाई और सेना की तारीफ की।" AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बहावलपुर और मुरिदके पर हमले की सराहना की।
सोशल मीडिया पर भारतीयों ने इस ऑपरेशन को देश की आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहनशीलता नीति का प्रतीक बताया। एक X पोस्ट में लिखा गया, "ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को भारतीय सेना की शक्ति और नेतृत्व की दृढ़ता दिखा दी।" हालांकि, कुछ लोगों ने इस ऑपरेशन को सीमित प्रभाव वाला बताया और कहा कि आतंकी संगठन फिर से संगठित हो सकते हैं।
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को "युद्ध की कार्रवाई" बताया और दावा किया कि बहावलपुर में एक मस्जिद पर हमले में पांच लोग मारे गए, जिनमें दो पुरुष, दो महिलाएं, और एक तीन साल की बच्ची शामिल थी। हालांकि, भारत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि केवल आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया।
जैश-ए-मोहम्मद की पुनर्जनन की कोशिश भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मसूद अजहर का चंदा अभियान और नई भर्ती की योजना आतंकी गतिविधियों को फिर से शुरू करने का संकेत है। भारत को अपनी खुफिया निगरानी को और मजबूत करना होगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर जैश के वित्तीय नेटवर्क को नष्ट करना होगा।
पाकिस्तान की आईएसआई की भूमिका भी एक चिंता का विषय है। अगर पाकिस्तान आतंकी संगठनों को समर्थन देना जारी रखता है, तो भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है। भारत ने पहले ही संकेत दिया है कि वह भविष्य में भी आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।
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