Mussoorie : मसूरी में रजत जयंती की धूम रही, शोभायात्रा और फूलों की वर्षा ने रंगी पहाड़ों की संस्कृति
शोभायात्रा सुबह 10 बजे सर्वे चौक से शुरू हुई। मीरा सकलानी ने फीता काटकर इसका उद्घाटन किया। यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। स्थानीय कलाकारों ने चांदनी नृत्य, झोड़ा, स्वांग और थड्या जैसे लोक
Report : सुनील सोनकर
उत्तराखंड राज्य के गठन को 25 वर्ष पूरे होने पर मसूरी शहर ने शनिवार को रजत जयंती समारोह में जोश भरा उत्सव मनाया। पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले इस हिल स्टेशन पर नगर पालिका परिषद द्वारा आयोजित भव्य शोभायात्रा ने पूरे क्षेत्र को लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर कर दिया। माल रोड से शुरू होकर सर्वे चौक तक निकली इस यात्रा में गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार और जौनपुर की परंपराओं की झलकियां देखने को मिलीं। ढोल-दमाऊ की थाप पर लोक नृत्य, पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों की धुनों ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा के दौरान मसूरी के शहीद स्थल पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा की गई, जो राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में एक अनोखा दृश्य था। यह आयोजन 1 नवंबर से शुरू हुए पूरे राज्य के रजत जयंती समारोह का हिस्सा था, जो 9 नवंबर को चरम पर पहुंचेगा।
मसूरी उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो देहरादून से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। समुद्र तल से 2000 मीटर ऊंचाई पर बसा यह शहर ब्रिटिश काल से ही प्रसिद्ध है। यहां की हरियाली, ऊंचे पहाड़ और ठंडी हवाएं पर्यटकों को खींचती हैं। लेकिन मसूरी का इतिहास केवल सैर-सपाटे तक सीमित नहीं। 1990 के दशक में यहां उत्तराखंड राज्य आंदोलन का एक प्रमुख केंद्र रहा। 1994 में मसूरी फायरिंग में आंदोलनकारियों पर गोलीबारी हुई, जिसमें कई लोग घायल हुए। इसी कारण शहीद स्थल यहां का भावनात्मक केंद्र है। रजत जयंती समारोह में इस इतिहास को याद करते हुए शोभायात्रा निकाली गई। नगर पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी ने बताया कि यह आयोजन दो दिवसीय था, जो 8 और 9 नवंबर को चला। पहले दिन शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, तो दूसरे दिन आंदोलनकारियों को सम्मान दिया गया।
शोभायात्रा सुबह 10 बजे सर्वे चौक से शुरू हुई। मीरा सकलानी ने फीता काटकर इसका उद्घाटन किया। यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। स्थानीय कलाकारों ने चांदनी नृत्य, झोड़ा, स्वांग और थड्या जैसे लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दीं। महिलाएं रंग-बिरंगे घाघरा-चोली में सजीं, तो पुरुषों ने कुर्ता-पायजामा पहना। बैंड पार्टियां वाद्य यंत्रों पर मार्चिंग ट्यून्स बजा रही थीं। नगर पालिका की गोल्फ कार्ट को विशेष रूप से सजाया गया, जो यात्रा का आकर्षण बनी रही। पर्यटक मोबाइल पर फोटो खींचते और वीडियो बनाते नजर आए। एक विदेशी पर्यटक ने कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति की जीवंतता दिखाता है। शोभायात्रा शहीद स्थल पहुंची, जहां हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। यह क्षण सबसे भावुक था, क्योंकि आंदोलनकारियों के परिवार मौजूद थे। फूलों की वर्षा के साथ राज्य गान गाया गया।
उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था। उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर 27वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में यह सपना साकार हुआ। राज्य आंदोलन 1990 के दशक में तेज हुआ, जिसमें खटीमा, मसूरी और रामपुर तिराहा जैसी घटनाओं में 40 से अधिक शहीद हुए। आंदोलन की मांग थी कि पहाड़ी क्षेत्रों का अलग राज्य बने, ताकि विकास तेज हो। रजत जयंती पर पूरे राज्य में 1 से 11 नवंबर तक कार्यक्रम चल रहे हैं। देहरादून में मुख्य समारोह 9 नवंबर को होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचेंगे। वे 8140 करोड़ के विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे और स्मारक डाक टिकट जारी करेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह उत्सव राज्य की उपलब्धियों का जश्न है।
मीरा सकलानी ने भाषण में कहा कि उत्तराखंड अब जवान हो चुका है। पिछले 25 वर्षों में सड़कें, रेल और चारधाम यात्रा जैसी परियोजनाओं ने राज्य को नई ऊंचाई दी। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, जिन्होंने राज्य का सपना देखा। वर्तमान में नरेंद्र मोदी उसी को मजबूत बना रहे हैं। सकलानी ने कहा कि यह जश्न आत्ममंथन का अवसर भी है। राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को एकजुट होकर अगले 25 वर्षों की दिशा तय करनी चाहिए। पहाड़ी जिलों में विकास कैसे पहुंचे, पलायन कैसे रुके और युवाओं को गांवों में रोजगार कैसे मिले, इन पर विचार होना चाहिए। उन्होंने शहीदों के बलिदान को याद किया और कहा कि उनकी कुर्बानियों से ही राज्य खड़ा है। सकलानी ने पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मसूरी जैसे स्थलों पर इको-टूरिज्म से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
राज्य स्तर पर रजत जयंती के कई कार्यक्रम हुए। 6 नवंबर को हरिद्वार में संत सम्मेलन, देहरादून में रोजगार मेला और युवा महोत्सव आयोजित हुए। नैनीताल के रामनगर में जन-वन उत्सव और हल्द्वानी में पूर्व सैनिक सम्मेलन हुआ। 7 नवंबर को पंतनगर में कृषक सम्मेलन था। 8 नवंबर को देहरादून की पुलिस लाइन में आंदोलनकारियों को सम्मान दिया गया। मुख्यमंत्री धामी ने तहसील सदर और मसूरी के आंदोलनकारियों को सम्मानित किया। ऋषिकेश और डोईवाला में भी समारोह हुए। 9 नवंबर को रैतिक परेड और सांस्कृतिक संध्या होगी। 10 नवंबर को शीतकालीन पर्यटन सम्मेलन और 11 नवंबर को समापन। इनमें लोक नृत्य, सिनेमा पर चर्चा और जनजातीय प्रस्तुतियां शामिल हैं।
Also Click : Deoband : क़ारी इसहाक़ गोरा ने मोबाइल को बताया ‘ग़फ़लत का जरिया’, वीडियो वायरल होते ही बहस तेज़
What's Your Reaction?